राजधानी के 70 वार्डो में 700 दुर्गा पंड़ालों में रही गरबा की धूम
कपड़ा मार्केट, टेलरों के साथ ड्रेस किराया कारोबार हुआ दोगुना
इवेंट मैनेजरों ने ड्रेस किराया देने वालों से किया था टाइअप
ड्रेस किराया प्रतिदिन 500 से एक हजार तक, छोटे बच्चों के ड्रेस 300 से 500 तक
गरबा पंडाल में शामिल होने हर परिवार से लिया गया सैकड़ों रूपए चंदा
आयोजकों ने जमकर की जीएसटी और एक्साइज की चोरी
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। इस साल की नवरात्रि पर मां दुर्गा की कृपा इवेंट मैनेजरों और ड्रेस किराए से देने वालों पर बरसी है। इस नवरात्रि में डे्रस किराए देने वाले और इवेंट मैनेजरों की जमकर कमाई हुई । एक अनुमान के अनुसार इस बार गरबा डे्रस किराए पर देने वाले दुकानदारों के साथ टेलरों और कपड़ा व्यापारियों ने जमकर कमाई की। पिछले तीन सालों का रिकार्ड तोड़ते हुए राजधानी के 70 वार्डों में 700 से अधिक दुर्गा पंडाल स्थापित हुए और वहां गरबा डांस का आयोजन हुआ जिसमें इवेंट मैनेजरों ने ड्रेस किराए से देने वालों से टाइअप किया कि हमारे पंडाल में लगने वाले डे्रस की आपूर्ति करें। जिसके लिए किराए का निर्धारण इवेंट मैनेजर और डे्रस किराए देने वाले दुकान के संचालकों के बीच हुई। जिस भी पंड़ाल में गरबा करने जाना हो तो वहां के आयोजकों के पास नाम लिखाए और ड्रेस किराया कि राशि का भुगतान कर गरबा में डांडियां लेकर झूमते रहे। बीते दो वर्षों से कोरोना के चलते नवरात्र में होने वाले गरबा में किराए के गरबा ड्रेस की बिक्री थम गई थी। इस वर्ष नवरात्र में किराए के कपड़ों के कारोबार ने रफ्तार पकड़ ली है। बताया जा रहा है कि दो वर्षों बाद नवरात्र में किराए के कपड़ों का कारोबार दोगुना हुआ है। बीते आठ दिनों में ही अगर कपड़ा कारोबार की बात की जाए तो अकेले रायपुर में 25 लाख रुपये से अधिक का कारोबार हो गया है। इन दिनों नवरात्र में शहर के कालोनियों के साथ ही बड़े-बड़े मैदान में गरबा के आयोजन हो रहे है और इनमें रोजाना हजारों की संख्या में भीड़ लगी रहती है। बीते कुछ वर्षों में नवरात्र पर गरबा आयोजनों का महत्व भी काफी बढ़ गया है। रोजाना ही गरबा स्थलों में हजारों की संख्या में युवाओं के साथ ही दूसरे लोगों की भी भीड़ देखी जा सकती है। गरबा के दौरान ही इन पारंपरिक ड्रेस का अपना अलग महत्व रहता है, इसके चलते युवक-युवतियां कपड़े खरीदने की अपेक्षा किराए से कपड़ा लेना ही ज्यादा पसंद करते है। इन दिनों पुरानी बस्ती स्थित किराए के कपड़ों के संस्थानों के साथ ही दूसरे क्षेत्रों के संस्थानों में भी गरबा ड्रेस किराए में लेते युवाओं की भीड़ देखी जा सकती है। पुरानी बस्ती स्थित कारोबारी राजेश कुमार ने बताया कि युवाओं की पसंद के अनुसार ही उनके पास पांरपरिक ड्रेस के साथ ही युवतियों के लिए पारंपरिक आभूषण भी रहते है। किराया एक दिन के लिए दिया जाता है। किराए से मिलने वाले गरबा ड्रेस का किराया प्रतिदिन के हिसाब से 500 से 1000 रुपये है। पुरानी बस्ती सहित शहर के कई क्षेत्रों में इन दिनों फैंसी ड्रेस किराए में उपलब्ध कराने वाले संस्थान हो गए हैं। बीते दो वर्षों से इन संस्थानों में कोरोना की मार पड़ गई थी और पूरी तरह से कारोबार ठप हो गया था। इस वर्ष अब कारोबार ने रफ्तार पकड़ ली है।
नवरात्रि के पहले से ही गरबा के कपड़ों की साफ सफाई के साथ नए डे्रस बनवाने की तैयारी शुरू होने से कपड़ा मार्केट में भी तेजी रही। जिससे कपड़ा कारोबारियों में उत्साह देखा गया। लेडिस टेलरों ने भी एक माह पहले से घाघरा चोली, लांछा बनाने की तैयारी में जुटे जो नवरात्रि के अंतिम दिनों तक चलता रहा। जिसके कारण नवरात्रि से एक माह पहले से बाजार में रौनक देखी गई।