धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के कार्यक्रम में शामिल हुए वनमंत्री

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Update: 2024-11-16 13:20 GMT
Raipur. रायपुर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज बिहार के जमुई से धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की 150 वीं जयंती वर्ष समारोह की शुरुआत की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भगवान बिरसा मुंडा के सम्मान में एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट का अनावरण भी किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री के संबोधन का सीधा लाईव प्रसारण हुआ, जिसे वन मंत्री केदार कश्यप के मुख्य अतिथ्य में जगदलपुर के टाउन हॉल में आयोजित जनजातीय गौरव दिवस समारोह में बड़ी संख्या में उपस्थित लोगों ने देखा और सुना।
जनजातीय
गौरव दिवस कार्यक्रम के अवसर पर वन मंत्री केदार कश्यप ने टाउन हाल में पारंपरिक वेशभूषा, आभूषण की प्रदर्शनी का अवलोकन करते हुए वेशभूषा का क्रय भी किए। बीएसएनएल के सिम स्टाल में फीताकाट कर विक्रय की शुरुआत की। इस मौके पर चिकित्सा शिविर और जनजातीय समुदाय की संस्कृति के अनुरूप स्थानीय व्यंजन के स्टॉल भी लगाए गए थे। कार्यक्रम के प्रारंभ स्वतंत्रता संग्राम में शहीद परिवार के सदस्यों को सम्मानित किया और साथ ही जिले के उत्कृष्ट खिलाड़ियों, बस्तरिया शिल्पकारों को सम्मानित किया व एफआरए के हितग्राहियों को बीज का मिनी कीट वितरण किया।


इस अवसर पर वन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि आज हम सभी बिरसा मुंडा की 150 वीं जयंती मनाते हुए गौरवान्वित हो रहे हैं। हमारे जनजातीय समाज के महापुरूषों ने देश की आजादी, संस्कृति और जल-जंगल जमीन की रक्षा के लिए अपनी कुर्बानी दी थी। इन जननायकों के योगदान को सदैव स्मरण रखने सहित जनजातीय परम्परा, संस्कृति, धरोहर को बनाए रखने के लिए हमें संकल्प लेना होगा। हमारी गौरवशाली इतिहास को जानने-समझने सहित संरक्षण-संवर्धन के लिए वर्तमान पीढ़ी को आगे आकर
सहभागिता
निभानी होगी, जिससे इन वीर शहीदों की स्मृति चिरस्थाई बनी रहे। कार्यक्रम में विधायक चित्रकोट विनायक गोयल ने भी सम्बोधित करते हुए जनजातीय समाज के वीर योद्धाओं के योगदान को रेखांकित किया। कार्यक्रम में कलेक्टर हरिस एस ने स्वागत उदबोधन दिया। इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष वेदवती कश्यप, महापौर सफीरा साहू, पूर्व सांसद दिनेश कश्यप, पूर्व विधायक लच्छूराम कश्यप, बैदूराम कश्यप सहित अन्य जनप्रतिनिधि और कमिश्नर डोमन सिंह, जिला पंचायत सीईओ, नगर निगम आयुक्त, सहायक आयुक्त आदिवासी सहित अन्य अधिकारी और बड़ी संख्या में जनजाति समुदाय के लोग और स्कूली बच्चे उपस्थित थे।
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