अंबिकापुर। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के बयान पर राज्य के खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने पलटवार किया है। उन्होंने छग में धान खरीदी का पूरा ब्यौरा भी सामने रखा। उन्होंने कहा की मंत्री गोयल ने गलत जानकारी देकर छग के किसानों को दिग्भ्रमित करने का काम किया, जो भाजपा नेताओं का मूल स्वभाव है। मंत्री श्री भगत ने कहा की पिछले खरीफ सीजन 2022-23 में छत्तीसगढ़ के 23 लाख 42 हजार किसानों ने 107.53 मीट्रिक टन धान बेचा। पिछली खरीदी में प्रति एकड़ 15 क्विंटल धान लेने का निर्देश था, उसके अनुसार ही राज्य सरकार ने किसानों से धान खरीदा। इस पर यह आरोप लगाना कि यहाँ स्कैण्डल चल है, ये पूरी तरह से बेबुनियाद है। इतने गंभीर मुद्दों पर बोलने से पहले भाजपा नेताओं को होमवर्क करना चाहिए. ताकि उन्हें फैक्ट को छोडक़र झूठ बोलना न पड़े। उन्होंने कहा कि आने वाले खरीफ सीजन 2034-24 में भूपेश सरकार ने किसानों से प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान लेने की घोसणा की है, सरकार अपने हर वादे को पूरा करने में सफलतापूर्वक प्रयासरत है। इस साल प्रदेश में किसानों से अनुमानित 130 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी होगी। इस पर राज्य सरकार पर 28 हजार 800 करोड़ रूपये का ऋण भार आना तय है, जबकि केंद्रीय सरकार राज्य को किसी भी तरह की राशि का भुगतान नहीं करती और केंद्रीय के नेता यहाँ आकर अनर्गल बयान देते है।
मंत्री श्री भगत ने कहा कि एफसीआई को चावल देने काम किया जा रहा है, आकड़ों की बात की जाए तो 15 सितंबर की स्थिति में प्रदेश के राइस मिलरों ने 38.97 लाख मीट्रिक टन और खाद्य नागरिक पूर्ति निगम ने एफसीआई को 26.3 लाख मीट्रिक टन चावल जमा कर दिया है। इस तरह 65 लाख मीट्रिक टन चावल जमा किया जा चुका है। इसमें से 54..09 लाख मीट्रिक टन केंद्रीय पूल और 10.91 लाख मीट्रिक टन राज्य पूल में जमा किया जायेगा। अभी 4.26 लाख क्विंटल चावल जमा करना शेष है। इन्हीं आकड़ों के अनुसार केंद्रीय पूल में 58.35 लाख मीट्रिक टन चावल जमा कराया जायेगा। इससे है साफ है कि केंद्रीय पूल के चावल जमा नहीं करने का आरोप पूरी तरह से गलत है। वही 7.80 लाख मीट्रिक टन धान जमा करना शेष है। श्री भगत ने कहा कि भूपेश सरकार पूरी ईमानदारी के साथ किसानों का धान खरीद रही है और ऋण की सुविधा उपलब्ध करा रही ही लेकिन भाजपाईओं के पेट में इससे दर्द हो रहा है। केंद्रीय खुद यहाँ पहले रही रमन सरकार का काम देखे, सिर्फ झूठ बोलने सिवाए कुछ उपलब्धि भाजपा के पास नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने 86.50. लाख मीट्रिक टन के कोटे को घटाकर 61 लाख मीट्रिक टन कर दिया है। इस पर किसानों कि हित कि झूठी बात करने वाले प्रदेश के भाजपाई नेताओं को अपना मुँह खोलना चाहिए, जबकि साल 2023-24 में 130 लाख मीट्रिक क्विंटल धान खरीदा जाएगा, जिससे 88 लाख मीट्रिक टन चावल निर्मित होगा, दूसरी तरफ केंद्रीय सरकार ने कोटा कम कर किसानों से बेईमानी की है। मंत्री श्री भगत ने कहा की धान खरीदी में बायोमेट्रिक्स का उपयोग कठिन इसलिए है, क्योंकि अंदरूनी हिस्सों में नेटवर्क की समस्या है, ऐसे में खरीदी प्रभावित होगी और किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा, इसलिए केंद्रीय सरकार से इसमें छुट की मांग की गई है।