गुड़ में मिलावट की जांच करेगा खाद्य विभाग

Update: 2022-01-28 05:40 GMT
  1. छग में मिलावटी सरसो तेल मार्केट में पहुंचने के बाद प्रशासन अलर्ट
  2. छत्तीसगढ़ के सभी जिलों से 177 सैंपल लिए गए
  3. शुद्धता के मामले में छत्तीसगढ़ 24 वें नंबर पर

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। हाल ही में मार्केट नकली चावल, नकली मोबाइल आइल, चायपत्ती, साबुन के बाद खाद्य तेलों में मिलवटी होने की खबर जनता से रिश्ता लगातार प्रकाशित कर प्रशासन के संज्ञान में लाते रहा है। प्रशासन ने खबर पर संज्ञान लेकर लगातार कार्रवाई कर नकली कारोबारियों में हडक़ंप मचा दिया। अब खाद्य और औषधि प्रशासन ने गुड़ की गुणवत्ता जांचने का मन बना लिया है। जिन पांच जिलों को गुड़ की जांच के लिए चुना गया है, उनमें रायपुर, कवर्धा, अंबिकापुर, जांजगीर-चांपा और बस्तर जिले के नाम है। क्योंकि लोकल गुड़ में मिलवट होने के चांसेस बहुत ज्यादा है। छत्तीसगढ़ में जिन-जिन जिलों में गन्ना उत्पादक सबसे अधिक है वहां-वहां स्थानीय स्तर पर गुड़ बनाने की फैक्ट्री है जिसमें मानक का ध्यान रखे बिना ही गुड़ का निर्माण होता है। बिना मानक का गुड़ खुले बाजार में धड़ल्ले से बिक रहा है जिस पर अब प्रशासन ने सुध लेकर गुड़ की गुणवत्ता जांचने विचार कर रही है। ऐसा माना जा रहा है कि फरवरी में गन्ना की कटाई पूरी होने के बाद जो गुड़ तैयार होगा उसकी सैंपल लेकर खाद्य और औषधि प्रशासन गुणवत्ता की जांच करेगी और मानक तय करेगी। प्रदेश में पहली बार खाद्य विभाग पांच जिलों में गुड़ में मिलावट की जांच करेगा। इसके पहले प्रदेश में कभी भी गुड़ में मिलावट की जांच नहीं हुई है। एफएसएसएआई ने जांच के निर्देश जारी किए

खाद्य विभाग की टीमें इन जिलों में फरवरी में रैंडमली सैंपल कलेक्ट करेगी। जिसके बाद गुड़ में किन तत्वों की मिलावट की जा रही है, जांच की जाएगी। दरअसल, एफएसएसएआई यानी भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ने चुने हुए राज्यों को पहली बार गुड़ की जांच के लिए निर्देश जारी किए हैं। जिसमें छत्तीसगढ़ का नाम भी शामिल है। हर जिले से दो दर्जन से अधिक सैंपल कलेक्ट करने का टारगेट रखा गया है। सैंपलों की जांच फूड एंड ड्रग विभाग की एडवांस लैब में की जाएगी। जानकारी के मुताबिक प्रदेश में एडवांस लैब का सेटअप बनने के बाद अब खाने पीने की चीजों में मिलावट की स्थानीय स्तर पर जांच की जा रही है। इसमें अनाज, फल, सब्जियों की जांच भी शामिल है। एडवांस लैब में प्लाज्मा मास स्पेक्ट्रोमेट्री और लिक्विड केमोट्रोग्राफी तकनीक के जरिए सभी तरह के खाद्य पदार्थों में हैवी मेटल्स, पेस्टीसाइड आदि की जांच भी की जा सकती है।

मिलावट की व्यापक तौर पर होगी पड़ताल : फूड एंड ड्रग विभाग के अफसरों के मुताबिक इसके पहले कभी भी प्रदेश में गुड़ में मिलावट की जांच नहीं की गई है। इसलिए इस बात का पता लगाना एक नई तरह की पहल होगी। इसके जरिए गुड़ में मिलावट कर रहे लोगों पर एक्शन भी लिया जा सकेगा। वहीं व्यापक तौर पर पड़ताल हो सकेगी मिलावट किस तरह से हो रही इसकी भी व्यापक तौर पर पड़ताल हो सकेगी। प्रदेश में स्थानीय स्तर पर गुड़ बनाने के साथ अन्य राज्यों से भी गुड़ बुलाया जाता है। भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण के निर्देशों के मुताबिक खाने पीने के ऐसे सभी सामान जो रोजमर्रा लोग खा पी रहे हैं, उनमें मिलावट को रोकने के लिए अब हर तरह की चीजों की जांच का सिस्टम बनाया जा रहा है। प्रदेश की एडवांस लैब में खाद्य पदार्थों में घातक रसायनों के साथ धातुओं की जांच भी की सकती है।

सरसों तेल में ऑफ्लाटॉक्सिन्स, कीटनाशक व घातक रसायन और भारी मेटल मिले

एफएसएसएआई ने 29 दिसंबर को देशभर के 29 राज्यों में तेल की जांच रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें शुद्धता के मामले में छत्तीसगढ़ 24 वें नंबर पर था। खुलासा हुआ कि यहां राइस ब्रान तेल और सरसों तेल के ज्यादातर सैंपल शुद्धता और मानकों पर खरे नहीं उतरे। आपके घर में इस्तेमाल किया जाने वाला तेल कितना शुद्ध है, क्वालिटी कैसी है, इसकी पड़ताल का आम लोगों के पास कोई सिस्टम नहीं है लेकिन फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) की ताजा रिपोर्ट ने छत्तीसगढ़ में बिक रहे तेलों की क्वालिटी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एफएसएसएआई की रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ में सभी जिलों से अलग-अलग तेलों के 177 सैंपल कलेक्ट किए गए थे, जिसकी देशभर की अलग-अलग प्रयोगशालाओं में जांच करवाई गई।

सैंपल सबसे ज्यादा फेल : जांच रिपोर्ट चौंकाने वाली है, क्योंकि इन सैंपलों में आधे (88 या 49.7 प्रतिशत) मानकों पर खरे नहीं उतरे या मिलावट पाई गई है। यहां बिक रहा राइस ब्रान आइल और सरसों तेल ऐसे हैं, जिनके सैंपल सबसे ज्यादा फेल हुए हैं, यानी इनकी क्वालिटी बाकी तेलों की तुलना में खराब पाई गई है। यही नहीं, देशभर के 29 राज्यों में छत्तीसगढ़ तेलों की क्वालिटी के मामले में 24वें पायदान पर है, अर्थात यहं के बाद देश में केवल 5 ही राज्य हैं जहां खाने के तेल के सर्वाधिक सैंपल फेल हुए हैं। 25 से 27 अगस्त 2020 के बीच पूरे राज्य में एफएसएसएआई ने रेंडम सैंपलिंग की थी। फिर इसकी जांच अपनी प्रयोगशालाओं में करवाई।

फैटी एसिड और आयोडीन की कमी: प्रदेश से इकठ्ठा किए गए सैंपल में फैटी एसिड और आयोडीन की कमी पाई है। यानी कंपनी पैकेजिंग में जिन तत्वों के तेल में शामिल होने का दावा कर रहती हैं, सैंपल जांच में वे मिले नहीं या उनकी मात्रा कम पाई गई है। यह मिसलीडिंग की श्रेणी में आता है। इसका मतलब है कि कंपनियां उपभोक्ताओं को गुमराह कर रही हैं। उधर, राज्य में फेल सैंपल में 20.3 प्रतिशत एसिड वैल्यू और 35.3 प्रतिशत में नमी मिली है। इसके अलावा विटामिन-ए, विटामिन-डी2, विटामिन-डी3 भी मानकों से कम मिला है।

सरसों तेल, नारियल तेल, सूरजमुखी, कुसुम तेल, मूंगफली, राइस ब्रेन, तिल का तेल, मक्के का तेल और अलसी तेल में मिलावट मिली है। सबसे ज्यादा मिलावट राइस ब्रान ऑइल और सरसों में पाई गई है। इनमें ऑफ्लाटॉक्सिन्स, कीटनाशक और घातक रसायन और भारी मेटल मिले हैं। रिपोर्ट में हाईड्रोसाइनिक एसिड का भी जिक्र है, जो घातक रसायन माना जाता है।

छत्तीसगढ़ समेत सभी राज्यों से हुई रेंडम सैंपलिंग : नियंत्रक-खाद्य और औषधि प्रशासन केडी कुंजाम ने बताया कि खाद्य तेलों की गुणवत्ता को जांचने के लिए छत्तीसगढ़ समेत सभी राज्यों से रेंडम सैंपलिंग हुई थी। ये सर्विलांस के लिए था। अभी रिपोर्ट नहीं आई है। जो भी निर्देश मिलेंगे, आगे की कार्रवाई होगी।

पहली बार होगी गुड़ में मिलावट की जांच

छत्तीसगढ़ में पहली बार गुड़ में मिलावट की जांच के लिए सैंपल कलेक्ट किए जाएंगे। इसके लिए पांच जिलों का चयन किया गया है।

-केडी कुंजाम, नियंत्रक, खाद्य एवं औषधि विभाग

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