सट्टा-नशे का कारोबार करने वाले बेख़ौफ़, सख्ती का असर नहीं...

Update: 2021-05-31 06:05 GMT

डी कंपनी के गुर्गों की तरह पुलिस की आंख में झोंक रहे धूल 

रायपुर। राजधानी के कई इलाकों में सट्टा-जुआ का कारोबार फूलने लगा है। लगातार नशे की वजह से भी अपराध भी बढ़ते जा रहे है। आजकल युवा ऑनलाइन चाकू मंगाकर रौब दिखने के लिए चाकू लेकर घुमते है। शहर भर में सट्टा कारोबार रवि साहू की गैंग चला रही है। लेकिन पुलिस इन तक नहीं पहुंच पाती है। पुलिस को इनके ठिकाने में दबिश देती जरूर है लेकिन उससे पहले ही रवि और उसके गुर्गों को पुलिस के आने की खबर मिल जाती है जिस वजह से रवि और उसके गुर्गे खुद को अपने इलाके से बाहर रखकर पुलिस की नजऱों से छिपकर घुमते है। सट्टेबाजी के दिग्गज माने जाने वाले सट्टा किंग दिलीप नायर (अन्ना) का शागिर्द रवि साहू ने दिलीप की मौत के बाद से ही उसने शहर भर में अपने सट्टे के धंधे को बढ़ा लिया है। शहर भर में मुंह में गमछा बांधकर घूमने वाला रवि शास्त्री बाजार में खुद भीड़ का फायदा उठाकर सट्टा खिलाता है। पुलिस की नजऱें भी रवि तक नहीं पहुंच पाती क्योंकि भीड़ के बीचो-बीच बैठकर सट्टा खिलाने वाला रवि साहू खुद को पुलिस से बचाने के लिए अपने साथ बॉडीगार्ड भी रखे रहता है।

मुंबई-दिल्ली से संचालित रायपुर का कल्याण सट्टा

शहर में इन दिनों सट्टे का अवैध कारोबार जोर शोर से चल रहा है। एक रुपए को अस्सी रुपया बनाने के चक्कर में खासकर युवा वर्ग अधिक बर्बाद हो रहे हैं। सट्टे के इस खेल को बढ़ावा देने सटोरी ग्राहकों को मुफ्त में स्कीम देखने सट्टे नंबर वाले चार्ट उपलब्ध करा रहे हैं। इसका गुणा भाग कर ग्राहक सट्टे की चपेट में बुरी तरह से फंस कर पैसा इस अवैध कारोबार में गंवा रहा है। रायपुर का सट्टा किंग रवि साहू अपने धंधे को बढऩे के लिए लोगों को अपने नंबरों की जाल में फसाता है। जिले में चल रहा ऑनलाइन सट्टे का कारोबार मुंबई, दिल्ली जैसे बड़े शहरों से संचालित हो रहा है। लेकिन रायपुर पुलिस तो शहर का सट्टा रोकने में नाकाम होते जा रही है तो मुंबई और दिल्ली की बात ही कुछ और है।

छुटभैय्या नेताओं के साथ बड़े खाईवालों की सांठ-गांठ

रायपुर में एक समय था कभी चोरी-छिपे चलने वाला सट्?टा बाजार आज-कल कानून की ढीली पकड़ की वजह से खाईवाल के संरक्षण में खुलेआम संचालित हो रहा है। ओपन, क्लोज और रनिंग के नाम से चर्चित इस खेल में जिस प्रकार सब कुछ ओपन हो रहा है उससे यही प्रतीत होता है कि खाईवाल को कानून का कोई खौफ नहीं रह गया है। छुटभैय्या नेताओं की पहुंच और पुलिस से सांठगांठ के चलते ये अवैध कारोबार को बाकायदा लाइसेंसी कारोबार के रूप में खुले आम शहर में संचालित हो रहा है। पुलिस और खाईवालों की सेटिंग इतनी तगड़ी है कि ऊपर अधिकारियों को दिखाने ये खाईवाल अपने गुर्गों के नाम हर महीने एक-एक प्रकरण बनवा देते हैं। ऊपर बैठे अफसरों को लगता है पुलिस कार्रवाई कर रही है। जबकि वास्तव में ये सांठगांठ का एक पहलू होता है। सवाल ये है कि जब पुलिस हर महीने सटोरियों के गुर्गों के खिलाफ कार्रवाई करती है तो फिर उनसे पूछताछ कर खाईवालों तक क्यों नहीं पहुंच पाती।

गिरोह के हौसले बुलंद

शहर में सट्टा और जुआ का खेल चल रहा है। शाम होते ही सट्टा लगना शुरू हो जाता है और देर रात तक चलता है। खुलेआम चले रहे इस कारोबार पर न तो पुलिस की नजर है और ना ही वह इस पर लगाम कसने का प्रयास कर रहे हैं। यही वजह है कि यह कारोबार लगातार बढ़ता जा रहा है। स्थानीय लोग कई बार पुलिस को शिकायत देकर इस पर प्रतिबंध लगाने की फरियाद लगा चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। पुलिस रवि साहू के गुर्गों को हर महीने एक-एक जमानती धाराओं में पकड़कर अपनी पीठ थपथपा लेते है। लेकिन रवि साहू की गिरफ्तारी अब तक नहीं हो पाई है।


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