रायपुर। साइबर ठगी का तरीका है जिसमें किसी व्यक्ति या संस्था की फर्जी पहचान का उपयोग करके अन्य लोगों को धोखा देकर इमरजेंसी बता कर पैसे मांगे जाते है । इसमें ठग एक ऐसी प्रोफाइल फोटो (डीपी) का इस्तेमाल करते हैं जो वास्तविक नहीं होती और किसी अन्य व्यक्ति की होती है या इंटरनेट चुराई गई होती है। ये फर्जी डीपी आमतौर पर लोगों को भ्रमित करने और धोखाधड़ी के मकसद से बनाई भी जा सकती है। इस प्रकार के फ्रॉड में ठग कई तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं:
👉 ठग एक प्रोफाइल फोटो और नाम का उपयोग करके किसी असली व्यक्ति की पहचान चोरी कर लेते हैं। यह व्यक्ति किसी मित्र, रिश्तेदार, या सहकर्मी का भी हो सकता है, ताकि दूसरे लोग आसानी से ठगा जा सके
👉 फर्जी डीपी का उपयोग करके, ठग आमतौर पर दोस्तों या रिश्तेदारों से इमरजेंसी बता कर पैसे मांगते हैं। वे किसी बीमारी, दुर्घटना, या किसी अन्य इमरजेंसी का बहाना बना सकते हैं ताकि लोग जल्दी से पैसे भेज दें।
👉 ठग लोगों से ओटीपी (वन-टाइम पासवर्ड) बैंक डिटेल्स, या अन्य संवेदनशील जानकारी मांग सकते हैं, जिसे वे बाद में गलत इस्तेमाल कर सकते हैं।
👉फर्जी प्रोफाइल से मैसेज भेजकर ठग फिशिंग लिंक साझा कर सकते हैं, जिन पर क्लिक करने से व्यक्तिगत जानकारी चोरी होने का खतरा होता है।
इस प्रकार के फ्रॉड से बचने के उपाय
👉यदि कोई व्यक्ति पैसे या अन्य संवेदनशील जानकारी मांग रहा है, तो उनकी पहचान को वेरिफाई करें। संबंधित व्यक्ति को फोन करके स्थिति की पुष्टि करें।
👉 व्हाट्सऐप पर अपनी प्रोफाइल फोटो, स्टेटस आदि को केवल माय कॉन्टैक्ट्स के लिए सेट करें ताकि आपकी जानकारी अजनबियों तक न पहुंचे।
👉 यदि कोई संदिग्ध लिंक या अनजान स्रोत से मैसेज आता है, तो उस पर क्लिक न करें।
👉 व्हाट्सऐप पर उपलब्ध रिपोर्ट फीचर का उपयोग करके फर्जी प्रोफाइल की रिपोर्ट करें।
ठगी होने पर क्या करें
साइबर अपराध घटित होने पर 1930 पर काल करे ,www. cybercrime.gov.in पर लॉगिन करें, नजदीकी थाना अथवा साइबर सेल से संपर्क करें।