- जांच पर्यवेक्षक बोधराम कंवर की रिपोर्ट पर बवाल होना ही था
- मोहन मरकाम फिर से अध्यक्ष बनने को आतुर
- अधिकतर बीआरओ बाबा समर्थक
राजनीतिक संवाददाता
रायपुर। गुटबाजी से प्रदेश कांग्रेस के नेताओं की टेंशन बढ़ गई है। पार्टी अध्यक्ष मोहन मरकाम के महत्वकांक्षा ने पार्टी की टेंशन बढ़ा दी है। फिर से पीसीसी अध्यक्ष बनने की जुगत में टी एस बाबा से भी नजदीकी बढ़ा दिए हैं। अभी हाल में ही प्रदेश संगठन महामंत्री चंद्रशेखर शुक्ला को हटाकर अन्य को लाना भी इसी कड़ी से जोडकर देखा जा रहा है। नेताओ और कार्यकर्ताओ में चर्चा है कि पार्टी आगामी चुनाव में गुटबाजी खत्म कर आगे बढ़ेगी तो फिर से सत्ता में लौटने की उम्मीद रहेगी। पिछले चुनाव में भाजपा को बुरी तरह से पटकनी देने के बाद सरकार बनाया था लेकिन जिस तरह से अभी गुटबाजी देखने को मिल रही है यह अच्छा संकेत नहीं है। कांग्रेस नेता सार्वजनिक रूप से भले ही कहें कि भाजपा के पास छत्तीसगढ़ में कोई ठोस मुद्दा नहीं है ऐसे में भला वे जनता के सामने किस मुद्दे को लेकर जायेंगे। मंहगाई, बेरोजगारी तेल गैस के बढ़ते दाम के लिए भाजपाई आंदोलन भी नहीं कर सकते क्योकि जनता को मालूम है कि ये सब केंद्र से कंट्रोल होता है। लेकिन भाजपाई कांग्रेस के गुटबाजी से आशान्वित नजऱ आ रहे हैं। और इस विषय पर व्यापक स्तर पर हर पहलू पर सोचना प्रारम्भ कर सम्भावना की तलाश कर रहे हैं। गुटबाजी से कांग्रेसी भी डरे हुए हैं। हालांकि दोनों पार्टी में प्रदेश के चुनावी समीकरणों को लेकर मंथन हो ही रहा है। अभी से कुछ कहना ठीक भी नहीं क्योकि समीकरण बनते बिगड़ते रहते हैं। पुराने कांग्रेसियो का कहना है कि गुटबाजी खत्म कर आगे बढऩा होगा आगे तभी बेडा पार होने की उम्मीद है।
प्रदेश में गत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 90 सीटों में 67 सीट जीतकर ऐतिहासिक बहुमत से सरकार बनी थी। इसी जीत को 2023 में बरकऱार रखने भूपेश बघेल दिनरात मेहनत कर रहे है और प्रदेश का तूफानी दौरा भी कर रहे हैं। लेकिन वर्तमान में गुटबाजी ने नेताओ के माथे पर बल ला दिया है। नवसंकल्प शिविर से लौटने के बाद नेता इस पर ध्यान देंगे। जिस प्रकार से अभी बीआरओ की नियुक्ति हुई है उसमे सूत्रों के अनुसार बाबा के समर्थक अधिकतर हैं। संगठन महामंत्री चंद्रशेखर शुक्ला को अचानक हटाया जाना भी गुटबाजी का ही परिणाम बताया जा रहा है। हालाकि सूत्र बताते हैं कि चंद्रशेखर शुक्ला को खैरागढ़ के उपचुनाव में बड़े नेताओ के द्वारा उच्च स्तरीय कमिटी के माध्यम से टिकट का मामला लगभग तय कर दिया गया था उसके उपरांत पीसीसी के एक विशेष गुट ने अपने तीन खास लोगो को पर्यवेक्षक बनाकर भेजा और अपने लोगो का नाम टिकट के पेनल में जुड़वाया। यह भी एक बड़ा कारण रहा चंद्रशेखर शुक्ला को हटाने का। सूत्र यह भी बताते हैं कि दूसरा कारण जो विधायकगण भूपेश बघेल के समर्थन में दिल्ली गए हुए जिन्हे वापस बुलाने चंद्रशेखर शुक्ला पर मोहन मरकाम ने दबाव बनाया कि पत्र जारी कर विधायकों को दिल्ली से वापस बुलाया जाये जबकि चंद्रशेखर शुक्ला विधायकों को दिल्ली से बुलाने के सक्षम नहीं थे यह काम मोहन मरकाम द्वारा ही किया जाना था लेकिन मरकाम ने दूसरे के कंधे में बन्दूक रखकर यह सेफ गेम खेलना चाहते थे. चंद्रशेखर शुक्ला मरकाम के इस गेम को समझ नहीं पाए और राजनीतिक चाल में फंस गए। शुक्ला का यह कार्य मरकाम और बाबा को ठीक नहीं लगा और वे हटा दिए गए। तीसरा एक कारण सूत्र यह भी बताते हैं कि निकाय चुनाव के दौरान कोरिया गए नेताओ ने कुछ काम ही नहीं किया जिसकी रिपोर्ट बोधराम कँवर द्वारा दिए गए रिपोर्ट से खुलासा हुआ. इस रिपोर्ट को शुक्ला ने सीएम और आला नेताओं को दे दिया गया. यह भी एक ठोस कारण बन गया शुक्ला के हटने कई. क्योंकि देखा जा रहा ही कि आज उच्च पदों पर उन सभी नेताओं को बिठाया गया है जो कोरिया निकाय चुनाव के प्रमुख थे, जिन्होंने पार्टी को हराया था। पिछले लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद राहुल गांधी के इस्तीफा देने के बाद सोनिया गांधी को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था। पार्टी का कामकाज फिलहाल वे ही देख रही हैं।अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का 2019 के लोकसभा चुनाव की हार के बाद राहुल गाँधी के स्तीफा देने के बाद से अभी कोई स्थाई अध्यक्ष नहीं है। इस बीच संगठन चुनावों को लेकर तैयारी शुरू की जा चुकी है। उदयपुर नवसंकल्प शिविर के बाद कांग्रेस को स्थाई अध्य्क्ष मिलने की उम्मीद है। पार्टी ने सभी राज्यों में चुनाव अधिकारी नियुक्त कर दिए हैं। इसके बाद संगठन चुनाव का सिलसिला शुरू होगा। बताया जा रहा है कि अगस्त-सितंबर में राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव कराया जा सकता है। हालांकि उदयपुर चिंतन शिविर में भी राहुल गाँधी या प्रियंका गांधी को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाये जाने की चर्चा भी चली है। देखना है की राष्ट्रीय अध्यक्ष गाँधी परिवार से ही होगा या गैर गाँधी को बनाया जायेगा। राष्ट्रीय अध्यक्ष जो भी बने लेकिन अभी प्रदेश में जो बीआरओ बने हैं उनमे अधिकतर बाबा समर्थक हैं और मोहन मरकाम बाबा से मिलकर फिर से अध्यक्ष बनने की तमन्ना लिए बैठे हैं।