खाईवालों को छूट, एजेंटों पर कार्रवाई

चौक-चौराहों में गुमटियों-ऑटो में लिखी जा रही सट्टा पट्टी

Update: 2021-03-09 05:39 GMT

जितने भी छोटे अधिकारी अपने से बड़े अधिकारी को झूठ और फरेब की कहानी सुनाकर अपनी करतूतों पर पर्दा दाल रहे है।

बड़े और ईमानदार पुलिस अधिकारी को सिविल ड्रेस में जाकर जमीनी हकीकत से रूबरू होना चाहिए। तब जाकर पुलिस के माथे से सट्टे का कलंक मिट सकता है।

छुटभैय्ये नेताओं की आवक का असली जरिया बना गया सट्टा, जुआ और नशे का कारोबार।

बड़े पुलिस अधिकारी शहर के क्रिकेट कार्निवाल के वीआईपी ड्यूटी में होने के कारण झूठी जानकारी देने वाले अधीनस्थ कर्मचारी को सच मान बैठे है, जो दुर्भाग्यजनक है।

माहामारी कोरोनाकाल के दौरान बेताहाशा और बेकाबू आयोजन और मानमाने ढंग से नशे की ड्रग्स पार्टी महामारी को तीव्र गति से बढ़ावा दे रही है। इस प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री एक अन्य मंत्री और कई विधायक भी चपेट पर आ गए। शासन-प्रशासन भी इस पर अंकुश लगाने हेतु कड़ाई से विचार करना चाहिए और बड़े से लेकर नीचले स्तर के अधिकारी व कर्मचारी को कड़े से कड़े निर्देश देकर जनता के हित के लिए ऐसे ड्रग्स पार्टी का आयोजन और भीड़ व समूह जमा करने वाले आयोजनों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। राजधानी के सिविल लाइन थाना क्षेत्र अंतर्गत आकाशवाणी मंदिर के ठीक बगल में इन दिनों सटोरियों की संख्या बढ़ती ही जा रही है और यह कारोबार भी फलफूल रहा है। बावजूद पुलिस विभाग का इस और कोई ध्यान नही है। गली-मुहल्ले में खुलेआम सट्टा-जुआ का धंधा चल निकला है। कभी-कभार पुलिस दो-चार छोटे एजेंटों को पकड़ कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेती है, जबकि हकीकत यह है कि सटोरियों और जुआरियों के कारनामों को जानने के बाद भी पुलिस के स्थानीय और आला अधिकारी चुप्पी साधे बैठे हैं। राजधानी में सट्टा खाईवालों की फौज खड़ी हो गई है। यही वजह है कि यह कारोबार जिले के आसपास के क्षेत्र में फल-फूल रहा है। सूत्र बताते हैं कि शहर में कई ऐसे स्थान हैं, जहां शाम होते ही महफिल सज जाती है। माना जा रहा है कि राजधानी में रोजाना लाखों रुपये का सट्टा और जुआ खेला जा रहा है। सूत्रों की मानें तो राजधानी में कई ऐसी जगहों में जुआ संचालित हो रहा है, जहां पांच से 10 लाख रुपये शो मनी रखी गई है, लेकिन पुलिस सिर्फ इन कार्रवाई नहीं कर पा रही है।

खाईवालों पर पुलिस नहीं बनाती केस

सिविल लाइन क्षेत्र में खुलेआम चल रहे सट्टे के कारोबार में पुलिस छोटे-छोटे एजेंटों को पकड़कर मामूली केस बनाकर कुछ ले देकर मामला रफा-दफा कर देती है। जो खाईवाल खुलेआम लाखों रुपए का सट्टे के कारोबार को अंजाम देते हैं जो पूरे शहर एवं आसपास के गांवों में एजेंट बनाकर खेल करवा रहे हैं, ऐसे खाईवाल पर कोई कार्रवाई नहीं होती। पुलिस के कई जवानों का इन लोगों से कमीशन बंधा होता है। इसलिए पुलिस जवान सट्टा खाईवालों पर पकडऩे और कार्रवाई करने की बजाए केवल बंदी लेकर चले जाते हैं।

बाहर से आ रहे बुकी और जुआरी

रायपुर जिले में कुछ समय पहले शहर में जुए का कारोबार जोरों पर संचालित किया जाता था। पूर्व में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए इस अवैध कारोबार को ध्वस्त किया था, लेकिन वर्तमान में फिर से क्षेत्र में एक बार फिर जुआ माफिया सक्रिय हो गए हैं। रायपुर जिले में संचालित जुए के फड़ में दांव लगाने के लिए क्षेत्र के बड़े-बड़े जुआरियों का आना जाना लगा रहता है। वहीं अंदेशा लगाया जा रहा है, कि जुए के बढ़ते व्यापार से शहर में आपराधिक वारदातों में इजाफा हुआ है।

सट्टेबाज दे रहे पुलिस को चुनौती

राजधानी में सट्टेबाज पुलिस वालों को खुलेआम चुनौती देते नजर आ रहे हैं सट्टेबाज बकायदा अपने आसपास सीसीटीवी कैमरे का उपयोग कर अपने यहां आने वाले हर एक व्यक्ति पर नजर बनाए है बकायदा चारों तरफ सीसीटीवी कैमरे पर यह निगरानी करते हैं और खुलेआम अपना सट्टा मटका का खेल खिलाते हैं यह है खेलने का तरीका-इस खेल में शून्य से नौ तक ईकाई, दहाई का अंक लगाने पर एक रूपये के दस रूपये मिलते हैं। इसके अलावा एक से सौ तक का कोई नंबर लगाने पर अगर फंस गया तो 12 रूपये के 100 रूपये मिलते हैं। हर जीत पर रकम का पच्चीस प्रतिशत हिस्सा ऐजेन्ट का है। इसके अलावा हार पर भी कुछ इतना ही मिलना तय है। सट्टे के कारोबार में केवल खाईवाल अपना घर भरता है। ओपन और क्लोज़ के इस खेल में 9 घर खाईवाल के पास होते हैं जबकि एक घर खेलने वाले के पास। बर्बादी के इस खेल में रूपये का लेनदेन ईमानदारी से किया जाता है। सूत्रों की माने तो नगर में रोज़ाना करोड़ों रूपये का सट्टा खेला जा रहा है।

ज़रूरत है बड़ी कार्यवाही की

सटोरियों पर की जाने वाली कार्यवाही में अधिकांश प्रकरणों में सज़ा जुर्माना के तौर पर होती है जिसका फायदा क्षेत्र के खाईवाल उठा रहे हैं। पहले तो धरपकड़ नहीं की जाती, और अगर उच्चाधिकारियों के अभियान में किसी को पकड़ भी लिया जाये तो अधिकांश जुए की धारा में जेल भेजे जाते हैं। शायद यही कारण है सटोरियों में कानून का कोई भय नहीं होता। खाकी की ओर से अनदेखी जारी है जिससे सट्टा कारोबारियों के हौंसले बुलन्द हैं। अधिकांश अड्डे पुलिस के संज्ञान में है पर कार्यावाही शून्य जिससे संरक्षण की बात सामने आती हैं। पुलिस की कार्रवाई सट्टे के धंधे पर अंकुश लगाने में नाकाफी साबित हो रही है। क्षेत्र के सटोरियों पर कड़ी कार्यवाही की ज़रूरत है।

सट्टे की बुनियाद युवाओं को बर्बाद कर रहा

शहरी क्षेत्र में एक बार फिर से जुआ सट्टा का कारोबार पनपने लगा है। प्राय: हर वार्ड और आसपास के जगहों में खुलेआम सट्टा खिलाया जा रहा है। जिससे युवा वर्ग बड़ी संख्याओं में सट्टा के खेल में घुसते चले जा रहे हैं। वही सट्टा खिलाने वाले लोगों को पुलिस की कार्रवाई से भी अब डर नहीं रहा। शहर के कई स्थानों में खुलेआम सट्टा लिखा जा रहा है, जिस पर पुलिस प्रशासन फिर से मौन हो गई है। सूत्रों के अनुसार कई युवा ऐसे हैं जिनकी उम्र 18 साल भी नहीं हुई है और सट्टा खेलने व खिलाने लगे है। शहर और आसपास के इलाकों में खुलेआम सट्टा लिखा जा रहा है। रामनगर, लाल बगीचा, बनियापारा, मठ मंदिर चौक, कचहरी चौक, आमापारा और सिविल लाइन सहित अन्य जगाहों में सटोरिए बेखौफ सट्टे का कारोबार कर रहे हैं। ऐसे में देखना होगा कि अब पुलिस प्रशासन की ओर से इन पर कड़ी कार्रवाई की जाती है या नहीं।

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