रिसर्च में करोड़ों खर्च के बाद भी अभ्यारण्य बाघ विहिन...!

Update: 2020-10-29 06:30 GMT

बिना बाघ के उदंती में विभागीय कवायद शून्य

उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में आज तक बाघ का कोई भी पुख्ता प्रमाण नहीं मिल पाया

ज़ाकिर घुरसेना

रायपुर। केंद्र और राज्य सरकारें बाघों के संरक्षण की दिशा में लगातार काम कर रही है लेकिन बाघों की संख्या में इजाफा होने के बजाय जंगली जानवरों के व्दंद और शिकारियों के जंगल में बेरोकटोक बेखौफ शिकार के कारण बाघों की संख्या में पिछले 10 सालों में कोई सम्मानजनक इजाफा नहीं हुआ है। वहीं गुजरात, मप्र, पश्चिम बंगाल, राजस्थान के अभ्यारणों में ही बाघों को पूर्ण संरक्षण मिला जिसके फलस्वरूप बाघों की संख्या में वृद्धि की खबर है। छत्तीसगढ़ का एक मात्र उदंती सीतानदी बाघ रिजर्व अभ्यारण बिना बाघ के ही अभ्यारण बना हुआ है जहां हर साल फारेस्ट विभाग बाघ संरक्षण के नाम पर करोड़ों रूपए खर्च कर रही है।

प्रकृति एवं संस्कृति रिसर्च सोसाईटी मैनपुर वन्यप्राणी व वनों के रिसर्च कार्य, संरक्षण, संवर्धन हेतु छत्तीसगढ़ शासन द्वारा रजिस्टर्ड संस्था है । संस्था के द्वारा विभिन्न प्रकार के रिसर्च कर शासन प्रशासन को प्रस्तुत किया जाता है। संस्था के संचालक तीव कुमार सोनी ने इस संबंध में जनता से रिश्ता को जानकारी उपलब्ध कराई है।

( 1 ) उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में कोई बाघ नहीं है :उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में आरम्भ से ही कोई भी बाघ नहीं है, इसीलिए उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में आज तक बाघ का कोई भी पुख्ता प्रमाण नहीं मिल पाया है । बाघ तो उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के बाहर के जंगलों में पाए जाते है। वन मंडल गरियाबंद, कांकेर,केशकाल, सोनाबेड़ा में 8 से 12 बाघ है। नक्शे में उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के पूरे क्षेत्र को काला रंग कर दिया गया है, क्योंकि उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में कोई भी बाघ नहीं है । बाघों का मूल निवास क्षेत्र सोनाबेड़ा अभ्यारण्य (उड़ीसा) है । सोनाबेड़ा अभ्यारण्य (उड़ीसा ) के बाघों के घुमने के सर्कल क्षेत्र में कुल्हाडीघाट रेंज के ताराझर-नगरार सटे हुए है, इस कारण कुल्हाडीघाट रेंज के ताराझर - नगरार के क्षेत्रो में 5 -6 साल में एकाध बार बाघ के प्रमाण मिल जाते है।

उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व का गलत सीमा निर्धारण किया गया है । जिन वन परिक्षेत्रो में बाघ पाये जाते है उन वन परिक्षेत्रों को टाईगर रिजर्व में शामिल ही नहीं किया गया है, और जिन वन परिक्षेत्रो में बाघ नहीं पाये जाते है उन वन परिक्षेत्रो टाईगर रिजर्व में शामिल किया गया है । बाघ नहीं होने के कारण उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में आज तक बाघ का कोई पुख्ता प्रमाण नहीं मिल पाया है।

(2) सोनाबेड़ा अभ्यारण्य (उड़ीसा) में 2 से 3 बाघ है : सोनाबेडा अभ्यारण्य में 2 से 3 बाघ है 7 सोनाबेडा अभ्यारण्य (उड़ीसा ) की सीमा गरियाबंद जिले के उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व से सटा हुआ है । सीमा सटे होने के कारण उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में 5 - 6 साल में एकाध बार बाघ के प्रमाण मिल जाता है । फि र उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व वाले सोनाबेडा अभ्यारण्य (उड़ीसा ) के बाघों को अपना बाघ होने का हल्ला मचाते है ।

पूर्व में सोनाबेडा अभ्यारण्य (उड़ीसा) में 3 से 4 बाघ थे परन्तु 1 से 2 बाघों का अवैध शिकार कर लिया गया है, वत्र्तमान में यहाँ पर 2 से 3 बाघ है 7 वर्ष 2017 में मैनपुर पुलिस ने जिस बाघ की खाल को बरामद किया था वो सोनाबेड़ा अभ्यारण्य के बाघ की खाल है । सोनाबेड़ा अभ्यारण्य (उड़ीसा ) के बाघों के मूल निवास क्षेत्र में नीले रंग का सर्कल बनाया गया है इसी 20 किमी क्षेत्र में बाघ घुमते है।

(3) गरियाबंद वन मंडल में 2 से 3 बाघ है : वन मंडल गरियाबंद में 2 से 3 बाघ है : वन मंडल गरियाबंद का दबनई-सिकासार-नवागढ़-धवलपुर-मैनपुर-गोबरा-भाठीगढ़ ये 30 किमी का इलाका बाघों का मुख्य ठिकाना है । इन क्षेत्रों के बाघ घटारानी, जतमई, छुरा क्षेत्र में साल में एक दो बार जाते है । गरियाबंद वन मंडल बाघों का गढ़ है यहाँ पूर्व में तीन बाघ पकडे जा चुके है ।

( 4 ) कांकेर एवं केसकाल वन मंडल में 4 से 8 बाघ है : कांकेर एवं केसकाल वन मंडल में 4 से 8 बाघ है -पूर्व में यहाँ पर 8 से 14 बाघ थे परन्तु 4 से 6 बाघों का अवैध शिकार कर लिया गया है, वत्र्तमान में यहाँ पर 4 से 8 बाघ है । कांकेर एवं केसकाल वन मंडल के बाघों के मूल निवास क्षेत्र में नीले रंग का सर्कल बनाया गया है इसी 50 किमी क्षेत्र में बाघ घुमते है ।

कांकेर एवं केसकाल वन मंडल के बाघ कभी कभार चारामा - नरहरपुर के क्षेत्रो की तरफ भी जाते है और कभी कभार बोरई - सीतानदी के क्षेत्रो की तरफ भी जाते है और 4-5 दिन में अपने मूल निवास क्षेत्र कांकेर एवं केसकाल वन मंडल में वापस आ जाते है । इसलिए कभी कभार चारामा और सीतानदी क्षेत्र में बाघ के पद चिन्ह मिल जाते है ।

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