राज्यों के विकास एवं नीति निर्माण के लिए पर्यावरणीय लेखांकन महत्वपूर्ण

Update: 2023-03-23 11:39 GMT

रायपुर। आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग द्वारा ‘‘छत्तीसगढ़ में पर्यावरण एवं आर्थिक लेखांकन मूर्त एवं अमूर्त उत्पादन‘‘ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। कार्यशाला में छत्तीसगढ़ सहित मध्यप्रदेश, हरियाणा, मिज़ोरम, जम्मू कश्मीर तथा अन्य राज्यों के पर्यावरणविद् और सांख्यिकी के विशेषज्ञ शामिल हुए।

कार्यशाला में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय भारत सरकार की निदेशक डॉ. सुदीप्ता घोष ने ओवरव्यू ऑफ द एनवायरनमेंट अकाउंट एंड इट्स लिंकेज विथ एसडीजी पर व्याख्यान दिया। जिसमें उन्होंने पर्यावरण आर्थिक लेखांकन की प्रणाली तैयार किये जाने की रूपरेखा के बारे में जानकारी दी। जिसके अनुसार देश के सभी राज्यों में भी पर्यावरणीय लेखांकन तैयार किया जायेगा। उनके द्वारा बताया गया कि राज्य के विकास एवं नीति निर्माण के लिए पर्यावरणीय लेखांकन महत्वपूर्ण होगा साथ ही जिसका प्रयोग नीति निर्माण में किया जायेगा। वर्तमान समय में पर्यावरण को अर्थव्यवस्था से जोड़ना अति आवश्यक है क्योंकि बिना पर्यावरण संरक्षण के अर्थव्यवस्था का विकास की परिकल्पना करना असम्भव है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय भारत सरकार केे उप महानिदेशक राकेश कुमार मौर्य ने थ्योरी एंड हैंड्स ऑन ट्रेनिंग ऑन लैंड कवर्स पर व्याख्यान दिया।

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ राज्य में लगभग 44 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्रफल वनों से आच्छादित है। तीन नदी प्रणाली छत्तीसगढ़ की धरती को सींच रही हैं। राज्य में पर्यावरण आर्थिक एकाउण्ट में प्राकृतिक संसाधन, स्टॉक लेवल, समय विशेष पर स्टॉक में होने वाले परिवर्तन तथा आर्थिक गतिविधियां जो पर्यावरण के मूर्त रूप और अमूर्त उत्पादों का ब्यौरा रखना आवश्यक है। यह ब्यौरा निर्णय, निर्माण और भविष्य की नीति बनाने, संसाधनों के संरक्षण तथा सतत् विकास सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण होगा। इससे राज्य के रिसर्च की सही मैपिंग करने और उसे सटीक रूप से मापने में भी मदद मिलेगी।

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