भगवान महावीर की समता, क्षमा, प्रेम और करुणा को जीवन में धारण करें

Update: 2022-08-30 04:17 GMT

रायपुर। ''एक बात हमेशा याद रखें कि महापुरुषों का जीवन केवल सुनने के लिए नहीं होता है, उनका जीवन चरित्र हमारे जीवन में चरित्र निर्माण के लिए होता है। जब हम कल्पसूत्र में प्रवेश कर रहे हैं तो हमें ज्ञात होगा कि किस तरह भगवान श्रीमहावीर ने कान में कीले ठुकवा लिए उस प्रसंग को याद कर हमें यह संकल्प करना होगा कि जैसे मेरे भगवान ने कान में कीले ठुकवाए मैं कम से कम किसी के कड़वे शब्द तो जरूर सुन लुंगा। चण्डकौशिक नामक जहरीले सर्प ने उनके अंगूठे पर डंक मारा, यदि भगवान जहरीले सर्प से अपने-आपको डसवा सकते हैं तो छोटे-मोटे मच्छर आदि कीड़े-मकोड़े से मैं अपने-आपको नहीं प्रभावित करुंगा। जब-जब चंदनबाला का चरित्र सुनें तो मन को इस बात के लिए जरूर तैयार कीजिएगा कि चंदनबाला ने जीवन में आने वाली इतनी तकलीफों को सहन किया तब भी जीवन में कभी-भी उफ नहीं किया। छोटी-मोटी तकलीफें मेरे जीवन में भी आएंगी तो मैं अपने चित्त को प्रभावित नहीं करुंगा। महापुरुषों का जीवन चरित्र हम अपने चरित्र का निर्माण करने के लिए सुनते हैं। ताकि हम भी वैसा ही निर्मल और पवित्र जीवन जी सकें। प्रभु महावीर के जीवन से हम समता, क्षमा, करुणा, प्रेम व करुणा को धारण करें।''

आउटडोर स्टेडियम बूढ़ापारा में जारी सूत्र शिरोमणि कल्पसूत्र पर आधारित प्रवचन के अंतर्गत राष्ट्रसंत श्रीललितप्रभ सागरजी महाराज ने पयुर्षण पर्व के छठवें दिन 'महान तीर्थंकरों का महान जीवन-दर्शन' विषय पर ये प्रेरक उद्गार व्यक्त किए। भगवान महावीर स्वामी के जन्म प्रसंग का श्रवण कराते हुए संतश्री ने कहा कि भगवान का जन्म चराचर जगत के लिए कल्याणकारी हुआ। कहते हैं नर्क में रहने वाले जीवों को कभी साता नहीं मिलती, जैसे ही भगवान श्रीमहावीर का जन्म हुआ चराचर जगत में इतनी खुशियां व आनंद छाया था कि नर्क में रहने वाले जीवों को भी साता मिली। संतप्रवर ने आगे कहा कि केवल महावीर का अनुयायी बनने से बात नहीं बनेगी, हम सबको जिंदगी में एक दिन महावीर बनना है। केवल सिद्धों का अनुयायी नहीं बनना है, हमें अपना जीवन ऐसे जीना है कि हम भी सिद्ध बन जाएं। साधना करते-करते हमें भी एक दिन णमो अरिहंताणम् में प्रवेश करना है। भगवान श्रीमहावीर का जीवन हमें साधना और वैराग्य को अपनाकर मोक्ष मार्ग की ओर चलने प्रेरित करता है।

संतश्री ने आज श्रद्धालुओं को भगवान श्रीमहावीर के जन्म प्रसंग का श्रवण कराते हुए कहा कि मानवता का उत्थान व कल्याण करने के लिए और वैराग्य, प्रेम, शांति व अहिंसा की स्थापना के लिए भगवान का धरती पर जन्म हुआ था। कल्पसूत्र के अंतर्गत आज संतश्री द्वारा मेरू पर्व पर इंद्रों द्वारा भगवान का जन्माभिषेक करने, राजा सिद्धार्थ के राज्य क्षत्रियकुण्ड ग्राम में राजपरिवार व नगरवासियों द्वारा भगवान का जन्मोत्सव मनाने, उनके नामकरण संस्कार, भगवान के बाल्यकाल में उनकी शक्ति पर संशय करने वाले दुष्ट देव द्वारा उन्हें आकाश पर ले उड़ने वाले उस देव के सिर पर भगवान द्वारा एक मुष्ठीप्रहार करने से देव का आकाश से गिरकर धरती में कंधे तक धंस जाने और फिर देव द्वारा उनके चरणों में गिरकर क्षमा मांगने का दृश्य देख नगरवासियों द्वारा भगवान को वीरों का वीर महावीर कहने से उनका नाम महावीर हो जाने तक के कथानकों का श्रवण कराया गया। इसके अतिरिक्त श्रद्धालुओं को आज की धर्मसभा में भगवान श्रीमहावीर के गुरुकुल गमन, उनकी युवावस्था के कथा प्रसंगों में उनके विवाह, गृहस्थ जीवन, दीक्षा कल्याणक, साधना काल के विविध प्रसंगों उन्हें मिले उपसर्गों, चंदनबाला के उद्धार सहित कैवल्यज्ञान प्राप्ति और निर्वाण कल्याणक तक के प्रसंगों का श्रवणलाभ प्राप्त हुआ।

तपस्वियों के एकासने के लाभार्थी हुए सम्मानित

श्रीऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष विजय कांकरिया, कार्यकारी अध्यक्ष अभय भंसाली, ट्रस्टीगण तिलोकचंद बरड़िया, राजेंद्र गोलछा व उज्जवल झाबक ने संयुक्त जानकारी देते बताया कि आरंभ में पालनाजी के लाभार्थी परिवारों द्वारा दीप प्रज्जवलन से दिव्य सत्संग का शुभारंभ हुआ। भगवान श्री महावीर के जन्म वांचन पर महास्वप्नों को बधाने को बधाने के प्रसंग पर सभा संचालन में प्रमुख रूप से वरिष्ठ सुश्रावक सुपारचंद गोलछा, पारस पारख, सुरेश भंसाली, खेमराज बैद, महावीर तालेड़ा की सक्रिय सहभागिता रही। आज धर्मसभा में श्रद्धालुओं को राष्ट्रसंत श्रीचंद्रप्रभ रचित किताब महावीर का मार्ग- जियो और जीने दो को भेंट करने के लाभार्थी धर्मचंद-रत्नादेवी, पवनकुमार-रेणुकादेवी, समर्थ, ध्याना चौरड़िया परिवार सहित श्रीऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट को 1 लाख 5 हजार की राशि समर्पित करने वाले साधर्मिक मानवेन्द्र, संयोग, संकेत कुमार दफ्तरी परिवार का श्रीसंघ की ओर से बहुमान हुआ।

वहीं अक्षय निधि, समवशरण, कसाय विजय तप के एकासने के 27 व 28 अगस्त के लाभार्थी कमलादेवी पारसचंद विमल, निर्मल, राजेंद्र गोलछा परिवार, धर्मराज, अरिहंत लोढ़ा परिवार, नेमीचंदजी श्यामसुंदर बैदमुथा परिवार, बसंत सेठिया परिवार, महावीरचंद, अशोक-राजेश लुंकड़ परिवार, डॉ. जयेश लोकेश कावड़िया परिवार, गौतमचंद अभिषेक लोढ़ा परिवार, पारसमल प्रवीण कुमार सुराना परिवार, नेमीचंद, प्रकाशचंद, विकास भंसाली परिवार, भीखमचंद-पुष्पादेवी, मनोज कोठारी परिवार, टीकमचंदजी-सुआबाई बुरड़ परिवार, कांतिलालजी विजय कुमार बुरड़ परिवार, ज्ञानचंदजी विमलादेवी लूनिया परिवार, महेंद्र कुमार सौरभ धाड़ीवाल परिवार का भी बहुमान किया गया। सूचना सत्र का संचालन चातुर्मास समिति के महासचिव पारस पारख ने किया। 21 दिवसीय दादा गुरुदेव इक्तीसा जाप श्रीजिनकुशल सूरि जैन दादाबाड़ी में प्रतिदिन रात्रि साढ़े 8 से साढ़े 9 बजे तक जारी है, जिसमें श्रद्धालुजन बड़ी संख्या में सम्मिलित होकर पुण्यार्जन कर रहे हैं।

तपस्वियों का हुआ बहुमान

श्रीऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट एवं दिव्य चातुर्मास समिति की ओर से 8 उपवास की तपस्वी नन्ही बालिका महक सांड, श्रीमती रेणुकादेवी चौरड़िया-8 उपवास, रितु धर्मपत्नी राहुल मुणोत-8 उपवास एवं श्रीमती आकांक्षा बरड़िया-6 उपवास का बहुमान किया गया।

आज के प्रवचन का विषय 'युग प्रभावी आचार्य एवं साधु-समाचारी'

दिव्य चातुर्मास समिति के महासचिव प्रशांत तालेड़ा व कोषाध्यक्ष अमित मुणोत ने बताया कि मंगलवार 30 अगस्त को पर्वाधिराज पर्युषण पर्व आराधना के सप्तम दिवस प्रात: ठीक 8.40 बजे से कल्पसूत्र आधारित 'युग प्रभावी आचार्य एवं साधु-समाचारी' विषय पर विशेष प्रवचन होगा। महिलाओं का पौषध आराधना हॉल सदरबाजार में एवं पुरुषों का पौषध व्रत दादाबाड़ी में किया जा रहा है। पर्युषण पर आंगी समिति सदरबाजार द्वारा प्रभु परमात्मा की प्रतिमाओं की मनोहारी आंगी सजाई सदर जैन मंदिर में सजाई जा रही है।


Tags:    

Similar News

-->