मंदी के दौर में रायपुर के आठ बड़े बिल्डर हुए दिवालिया

Update: 2022-04-19 05:20 GMT
  1. नंबर वन और बड़े-बड़े नामचीन रियल स्टेट करोबारियों की नहीं बिक रही प्रापर्टी
  2. बिल्डरों को कर्ज देने वाले ने धन्नासेठों ने खींचा हाथ
  3. बिल्डरों के डूबते प्रापर्टी से निवेशकों और बैंकों ने मुंह मोड़ा
  4. बाजार से एक परसेंट में कर्ज लेने वाले ले रहे ढाई परसेंट में कर्ज
  5. निवेशकों का आरोप -बिल्डर तो खुद डूबे है अब निवेशकों को भी डूबाने बिछाया नया जाल
  6. प्रापर्टी की खरीदी पर 100 फीसद फाइनेंस, रजिस्ट्री शुल्क फ्री, खरीदारों को एक तोला सोना फ्री के लुभावने आफरों ने भी दम तोड़ा

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। 2020 और 2021 के कोरोनाकाल में मरने वालों किसानों की प्रापर्टी औने-पौने दाम में खरीदने वाले बिल्डरों को किासनों की हाय लग गई है। कोरोनाकाल समाप्ति के 4 महीने बाद भी प्रापर्टी के बिजनेस में उठाव नहीं आ रहा है। वैसे भी कोरोनाकाल के दो साल में मंदी की मार से बिल्डरों की कमर टूट चुकी है। जैसे-तैसे कर्ज चुकाने के लिए बड़े मीडिया घरानों को मीडिया पार्टनर बनाने के बाद भी बिल्डरों की प्रापर्टी को लेवाल नहीं मिल रहे है। कुछ तो कोरोनाकाल के दौैरान ही दिवालिया घोषित हो गए, कुछ कोरोना समाप्ति के बाद दिवालिया घोषित होने के कगार पर खड़े है। यो कहे कि प्रापर्टी की बिजनेस में बड़े-बड़े दावे और लोक लुभावन आफर का ढिंढोरा पीटने के बाद भी ग्राहकी की पूछ-परख में कोई आशातीत बढ़ोत्तरी नहीं हुई। प्रापर्टी मेला के नाम पर आयोजित लांचिंग पार्टी में बिल्डरों के गुर्गों ही ग्राहक बनकर मेला में पहुंच कर भीड़ बढ़ा रहे थे। खबर तो यह भी आ रही है कि दिवालियों होने के कगार पर खड़े बिल्डरों ने एक नया समूह बनाकर एक दूसरे की प्रापर्टी को खरीदेंगे और उन्हें दिवालिया होने से बचाएंगे। लेकिन अभी तक इस मुहिम में बिल्डरों को सफलता नहीं मिल रही है। बिल्डर दिवालिया होने से बचने के लिए मार्केट से ढाई से तीन परसेंट में कर्ज ले रहे है। वहीं पहले बिल्डरों को घन्ना सेठ आँख मूंद कर एक परसेंट में कर्ज देने के लिए उतावले खड़े रहते थे। अब तो कोरोना काल समाप्ति के बाद भी बिल्डरों की प्रापर्टी के लेवाल नहीं मिलने से बिल्डरों पर कर्ज का दबाव इतना बढ़ गया है कि वो दिवालिया घोषित होने के कगार पर खड़े हो गए है। एक के बाद एक बिल्डर अपनी प्रापर्टी को अपने साथियों को बेचकर बिल्डर लाइन से ही तौबा करने का मूड बना रहे है। किसी भी हालात में प्रापर्टी की बिक्री हो, इस धंधे को हाथ जोड़कर राम-राम कह देंगे।

बैंकों और निवेशकों ने मुंह मोड़ा

बिल्डरों ने पिछले 10-20 सालों में किसानों से या सरकारी घास या नजूल भूमि को अधिकारियों से राजनीतिक सांठगांठ से अपने प्रोजेक्ट में जोड़ कर फ्रंट की सरकारी जमीन पर जो कर्ज लिया उसकी भरपाई नहीं कर पाने के कारण बैंकों ने और आगे कर्ज देने पर रोक लगा दी है। वहीं जमीन पर इवेंस्ट करने वाले अधिकारी और सेठ-साहूकारों ने भी बिल्डरों की प्रापर्टी में निवेश से बच रहे है। बिलड्रों के प्रोजेक्ट पर पैसा लगाने वालों का कहना है कि बिल्डरों से पिछले दो साल से कोई रिटर्न नहीं आने से हमें भी बिल्डरों की मंदी का अभिशाप झेलना पड़ रहा है। इसलिए जब तक प्रापर्टी बाजार में ठीक से उठाव नहीं आता, तब तक उसमें पैसा नहीं लगाएंगे।

धन्नासेठ और बिल्डरों के फाइनेंर रेत और रॉ मटोरियल के क्षेत्र में उतरे

कोरोनाकाल समाप्ति के ठीक बाद प्रदेश राजनीतिक रसूख रखने वाले धन्ना सेठों ने बिल्डरों को फाइनेंस करने के बजाय खुद ही अपने नौकर-चाकरों के नाम से रेत और सीमेंट, लोहा के कारोबार में इनवेंस्ट कर दिया है। अब मार्केट में बिल्डरों की हालत तो पतली है लेकिन मार्केट में रेत, सीमेंट, लोहा के कारोबार से से पिछले दो साल को घाटे की भरपाई करने के लिए उतर गए है। मार्केट में लगातार पिछले तीन सालों में रेत के दाम में तवाही वृद्धि हुई है कोरोना काल में भी सीमेंटे का दाम जून से लेकर अक्टूबर तक बढ़ते रहे है।

बिल्डरों की प्रापर्टी मिट्टी के मोल में भी खरीदार नहीं

कोरोड़ों अरबों रुपए के प्रोजेक्ट लाने वाले बिल्डरों की प्रापर्टी पिछले दो साल से एक परसेंट भी नहीं बिकने से दाम इतने घट गए है कि 22 लाख का फ्लेट 10 लाख में खरीदने के लिए कोई तैयार नहीं है। वहीं जमीन पर पापावर ऑफ अटर्नी लेकर किसानों की जमीनों में हवामहल तानने वालों की हालात बद से बदतर हो गई है। उन प्रोजेक्टों के लिए बड़े-बड़े मीडिया घरानों के साथ देश के टीवी चैनलों में बी विज्ञापन देने के बाद आज तक खास रिस्पांस नहीं मिल पाया। बिल्डरों की प्रापर्टी के दामों में बारी गिरवट के चलते मार्केट में उनकी प्रापर्टी की नहीं के बराबर पूछ परख है। कोई उनसे सौदा करने के लिए खरीदार की मीटिंग ही नहीं करवा पा रहा है।

बेशकीमती जमीन पर दांत गड़ाए हुए है अज्ञात बिल्डर

राजधानी में बड़े और नामचीन बिल्डरों के साथ कंडम बिल्डरों ने जमीन प्लाट और बहुमंजिला फ्लाट नहीं बिकने पर पॉश कालोनियों में लोगों की जमीन पर बलात कब्जा करने का खेल शुरू कर दिया है। मिड-डे अखबार जनता से रिश्ता के मालिकाना हक वाले शंकर नगर स्थित प्रापर्टी पर एक अज्ञात बिल्डर एख वकील और कुछ कुख्यात अपराधियों की मदद से उस जमीन पर अपना निस्तारी बनाने के लिए अनावश्यक धमकी-चमकी देकर दबाव बना रहा है। जिसकी शिकायत मुख्यमंत्री कार्यालय, कलेक्टर, कमिश्नर, डीजीपी, आईजी, एसपी, एडिशनल एसपी,डीएसपी और संबंधित थाना क्षेत्र के थानेदार से की गई है। वकील और अज्ञात बिल्डर के गुर्गे सुबह से शाम तक शंकर नगर स्थित मीडिया घराने की जमीन पर कब्जा करने के लिए नए-नए दांवपेंच करने के साथ आसपास के लोगों पर भी दबाव बना रहे है। वकील से बिल्डर का नाम पूछने पर वकील साफ मुकर जा रहा है और कहता है कि मुझे तो किसी दूसरे आदमी ने हायर कर उस अज्ञात बिल्डर का काम सौंपा है। मुझे भी उस बिल्डर का नाम पता नहीं मालूम है। तथाकथित वकील का कहना है कि वैसे भी अपने क्लाइंट का नाम नहीं बताया जाता है। पुलिस को यह भी जरूर जांच करना चाहिए कि वह वास्तव में डिग्रीधारी सनद वाला वकील है या फिर बिल्डर की तरह ही फर्जीवाड़ा वाला वकील है। जब उससे पूछा गया कि इस जमीन बलात कब्जा करने गुंडे-बदमाशों को साथ में क्यों रखा गया है। तो कुछ भी बताने से बचता रहा। इस तरह राजधानी में बिल्डरों ने प्रापर्टी नहीं बिकने पर लोगों की जमीन-मकान-दुकान में कब्जा करने का नया धंधा शुरू कर दिया है। जमीन पर बने बाउंड्रीवाल को तोडऩे बिल्डर के गुर्गे लगातार कोशिश करते नजर आ रहे है। अज्ञात बिल्डर छुपकर वकील और गुगोंं का तमाशा देख रहा है। जबकि सामने आने पर उसे वास्तविकता से अवगत कराया जा सकता है कि इस जमीन का मालिकाना हक और पूरे बी-5 काम्प्लेक्स के सभी वैध दस्तावेज मिड-डे अखबार जनता से रिश्ता प्रबंधन के पास सुरक्षित है।

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