महंगाई की मार; घर खरीदना 15 प्रतिशत तक होगा महंगा!
तीन सालों में लोहा, सीमेंट, ईंट सहित सभी निर्माण सामग्री के बढ़ गए दाम.
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। देश में महंगाई आसमान छू रही है। पेट्रोल-डीजल से लेकर सब्जी-फल के दाम बढ़ गए हैं। वहीं नए घर खरीदने का सपना देख रहे लोगों को करारा झटका लगा है। दरअसल जहां मकान बनाने में इस्तेमाल होने वाली चीजों की कीमतों में वृद्धि हो रही है। वहीं होम लोन भी महंगा होने वाला है। इसके अलावा कुछ ऐसी वजह हैं। जिनके कारण घर खरीदना महंगा हो जाएगा। रियल एस्टेट डेवलपर्स संगठन क्रेडाई के अनुसार मकान के दाम में 10 से 15 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी संभव है।
क्यों महंगा होगा मकान खरीदना
घर बनवाने में जिन सामान का इस्तेमाल होता है। उन सभी की कीमतों में वृद्धि हो रही है। इनमें स्टील, सीमेंट, ईट और लेबर हैं। वहीं कई बैंक भी होम लोन की ब्याज दर को बढ़ाने वाली हैं। इस कारण ईएमआई को बोझ भी बढ़ जाएगा। वहीं बीते कुछ समय में तेज से घर-मकानों की बिक्री हुई थीं। जिसकी वजह से जो मकान नहीं बिके थे। उनकी संख्या में गिरावट हुई है। मकानों की सप्लाई के मुकाबले डिमांड बढ़ गई है।
स्टील का भाव दोगुना हुआ
मकान बनाने में बड़े पैमाने पर सीमेंट और स्टील का उपयोग होता है। सीमेंट के भाव बीते कुछ महीनों में 100 रुपए तक बढ़ गए हैं। वहीं स्टील के दामों में जबरदस्त उछाल हुई है। स्टील 90 हजार रुपए प्रति मिट्रिक टन हो गया है, जो पहले 45 हजार रुपए था। 260 की सिमेंट की बोरी का दाम अब 400 रूपये हो गया है. ईटों की किमत भी 8,000 रूपये हो गई है. बिजली के तार, फिटिंग, टाइल्स, पाईप, सॅनिटरी वेअर, फॅब्रिकेशन और सबसे महत्वपूर्ण मजदूरी में भी भारी वृद्धी हुई है. आम तौर पर अभी सभी घरों में काली ईंट यानी फ्लाई ऐश वाली ईंट लग रही है। इसकी कीमत भी 20 से 30 पैसा तक बढ़ गई है। अभी एक ईंट की कीमत बाजार में 3.20 रुपए तय है। सीमेंट, सरिया और फ्लाई ऐश की कीमत एक साथ बढ़ जाने की वजह से मकान बनाने की लागत भी बढ़ गई है। 3 साल पहले तक सामान्य ठेकेदार 700 रु. वर्गफीट (मटेरियल सहित) में मकान बनाने का ठेका लेते थे, लेकिन अभी यही ठेका न्यूनतम 1000 रु. वर्गफीट में तय हो रहा है। ज्यादातर ठेकेदार अभी भी 1100. रु. प्रति वर्गफीट की डिमांड कर रहे हैं। यह रकम मकान का इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने में खर्च हो रही फैक्ट्रियों में उत्पादन, सप्लाई और बाजार में डिमांड सबकुछ सामान्य होने के बावजूद सीमेंट की कीमत अचानक बढ़ा दी गई। इससे मकान बनाने वाले लोग खासे परेशान हो रहे हैं। सीमेंट, सरिया और ईंट की कीमत बढऩे से मकानों की कंस्ट्रक्शन कॉस्ट भी दोगुना बढ़ गई है।
मटेरियल वही फिर भी बढ़ गया खर्चा
आज से लगभग तीन साल पहले सम्भवत: एक हजार वर्गफीट के मकान का इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने में पहले जो सामान लगाए जाते थे, उस पर लगभग 6-7 लाख का खर्चा आता था। लेकिन अब इस पर करीब 10 लाख का खर्च आ रहा है। इसमें लोहा, सीमेंट, ईंट, रेत, सेनेटरी आइटम, लोहे के ग्रिल, नल फिटिंग, टाइल्स का काम शामिल है। इसके अलावा अगर घर में पीओपी (प्लास्टर ऑफ पेरिस) का काम करवाना है तो करीब 100 रुपए वर्गफीट का खर्च और बढ़ जाता है। 1000 रुपए वर्गफीट में काम करने वाला ठेकेदार 1100 रुपए चार्ज करता है। मकान बनाने वाले ठेकेदारों का कहना है कि लेबर कास्ट 2 से 3 गुना बढ़ गया है।
हाउसिंग प्रोजेक्ट्स पर पड़ रहा असर
क्रेडाई के मुताबिक घर की कीमतों में फिलहाल 8 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हुई है। इसमें अभी 5 से 7 प्रतिशत की वृद्धि और होगी। देश में कई हाउसिंग प्रोजेक्ट्स हैं, जो महंगाई से तंगहाल है। महंगे बिल्डिंग मैटेरियल के कारण कई प्रोजेक्ट्स रुक गए हैं। बिल्डर्स सरकार से महंगाई कम करने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर महंगाई कम नहीं हुई तो प्रोजेक्ट्स पूरे नहीं हो पाएंगे। इन वजहों से मकानों की सप्लाई पर बुरा असर पड़ रहा है।
बिल्डर दे रहे एक से बढ़कर एक ऑप्शन फिर भी कारोबार में नहीं आ रहा बूम
कोरोनाकाल की दो साल चली मंदी के दौर में मौत से भी भयावह दिन बिल्डरों को देखने पड़े है। करोड़ों-अरबों की प्रापर्टी बनाने के बाद कोई लेवाल दो साल में नहीं मिल पाया। अब मीडिया हाउस के कंधे में बैठकर मंदी के भवसागर को पार करने के लिए नित नए एक्स-पो और प्रापर्टी मेला लगाकर निवेशकों को लुभावने और आकर्षक प्रलोभन दे रहे है उसके बाद भी पूछपरख नहीं होने से बिल्डरों में निराशा और हताशा साफ झलक रही है। प्रापर्टी मेला में प्लाट,जमीन, प्लैट, बंगलों खरीदारों को रजिस्ट्री फ्री, विदेश यात्रा, बिना डाउन पेमेंटे के पजेशन लेने की पेशकश, मेला स्थल पर पहुंचने पर पार्किंग फ्री, ब्रेकफास्ट, लंच, डीनर फ्री, बैंक लोन की गारंटी, 90 से 100 प्रतिशत फाइनेंस का आफर, शुरूआती पांच किश्त की छूट, एसी, फर्नीचर के साथ कीचन सेट, तुरंत गृहप्रवेश करने एक तोला सोना उपहार में देने के आफरों को जमीन, मकान, फ्लैट, दुकान खरीदने वाले रुचि नहीं दिखा रहे है। जिसके कारण बिल्डरों का प्रापर्टी मेला लगातार फ्लाप शो साबित हो रहा है। पिछले दो साल तक करोड़ों की बनी बनाई प्रापर्टी लेवाल नहीं मिलने से खंडहर में तब्दील होने की स्थिति में आ गई है, जिसे औने-पौने दाम में बेचकर बाजार और बैंक के कर्ज से मुक्त होने के सारे प्रयास धड़ाधड़ गिरते नजर आ रहे है। अब तो ऐसी हालात हो गई है कि बिल्डरों के लांचिंग स्थल पर आने-जाने के लिए कार की सुविधा देने के बाद भी लोग बिल्डरों के मेले तक पहुंचने से भी कतरा रहे है। राजधानी के बड़े-बड़े बिल्डरों ने मीडिया हाउस को पार्टनर बनाकर बिजनेस में उठाव लाने के लिए हर संभव प्रयास कर लिए लेकिन उनके मेहनत का असर खरीदारों पर बेअसर ही साबित हो रहा है। मीडिया हाउस के पार्टनर होने का लाभ बिल्डरों को मिलता नजर नहीं आ रहा है। हताशा से उबरने के लिए बिल्डरों ने प्रापर्टी के दाम आधे कर दिए उसके बाद भी प्रापर्टी की कोई पूछ परख नहीं हो रही है। लोग बिल्डरों के लोकलुभावन झांसे में आने से लगातर बच रहे है। पिछले दो साल तो करोना में निकल गया, उससे पहले बिल्डरों से जो सौदे हुए उसका पजेशन आज तक बिल्डरों ने नहीं दिया है जिसके कारण खरीदारों और बिल्डरों के बीच विवाद का मामला अब रेरा तक पहुंच चुका है, जिस पर एक्शन लेकर रेरा त्वरित कार्रवाई कर बिल्डरों को नोटिस पर नोटिस तामिल कर रहा है। ऐसे हालात को देखते हुए दूसरे राज्य के पूंजीपति भी बिल्डरों के प्रोजेक्टों में पैसा फंसाने से कतरा रहे है। कुल मिलाकर बिल्डरों का मंदीकाल लाख जतन करने के बाद भी खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है।
छत्तीसगढ़ क्रेडाई से मिली जानकारी के अनुसार
मटेरियल 2019 2020 2021 2022 महंगा (त्न मे )
स्टील (टन में) 33180 40380 57000 90000 141.11
सीमेंट 190 200 250 350 42.11
टाइल्स डबल चार्ज 32 32 39 43 34.38
यूपीवीसी पाइप (20 एमएम) 129 129 208 280 117.05
वायर 1.5 एसक्यू एमएम 7.25 8.15 13.59 15.3 111.03
यूपीवीसी विंडो 460 500 613 675 46.74
एल्यूमीनियम (केजी में) 190 190 315 450 136.84