वर्मी खाद विक्रय से कमाया 93 लाख, महिला समूह को मिला आत्मनिर्भरता का रास्ता

Update: 2022-07-20 11:50 GMT

कोरिया। गोधन न्याय योजना पूरे देश में अपने किस्म की अनूठी योजना है। शासन की गोधन न्याय योजना ने गोबर को एक कमोडिटी में तब्दील कर दिया है। आज गोबर बेचा और खरीदा जा रहा है। शासन छत्तीसगढ़ में पशुपालकों से गोबर खरीद रही है। इस गोबर से गौठानों में स्व सहायता समूहों के द्वारा वर्मी खाद बनाई जा रही है। इस वर्मी खाद के विक्रय से समूहों को जो लाभ हो रहा हैं और उससे उनके जीवन में बड़ा बदलाव आ रहा है, इसी की एक बानगी देखने को मिलती है स्वच्छ मनेन्द्रगढ़ क्षेत्र स्तरीय संघ के साथ।

कोरिया जिले के मनेन्द्रगढ़ के शहरी गौठान में वर्मी कम्पोस्ट निर्माण में संलग्न स्वच्छ मनेन्द्रगढ़ क्षेत्र स्तरीय संघ, जो एक महिला स्वसहायता समूह है, आजकल काफी चर्चा में है और इस चर्चा का विषय है कि किस तरह इस समूह ने वर्मी खाद बेचकर 93 लाख रूपए कमाए हैं। चर्चा हो भी क्यों ना किसने सोचा था कि गोधन इतने काम का हो सकता है। धार्मिक कार्यों में गोबर का बेहद महत्व माना जाता है पर मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार ने गोबर को आर्थिक बदलाव की धुरी बना दिया है।

पूरे जिले में सर्वाधिक वर्मी खाद उत्पादन करने वाले विकासखण्ड मनेन्द्रगढ़ की स्वच्छ मनेन्द्रगढ़ क्षेत्र स्तरीय संघ की सदस्य श्रीमती प्रीति टोप्पो बताती हैं कि, ष्मैं पहले डोर-टू-डोर कचरा क्लेक्शन का कार्य करती थीं, जब गोधन न्याय योजना शुरू हुई तो शहर के गौठान में समूह के रूप में जुड़कर वर्मी कम्पोस्ट निर्माण का कार्य शुरू किया, तब घर-परिवार के लोग खुश नहीं थे, लेकिन जैसे-जैसे उत्पादन एवं विक्रय से लाभ मिला, लोगों का हमारे प्रति नजरिया बदलने लगा। इस योजना से हमें स्वरोजगार का जरिया मिला है और ये कहना कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि समाज में हमारा मान-सम्मान बढ़ा है। समूह द्वारा अब तक 9 लाख 30 हजार किलोग्राम वर्मी कम्पोस्ट खाद उत्पादन कर बेचा गया है जिसके एवज में समूह को 93 लाख रूपए का भुगतान किया गया है। इसमें समूह का शुद्ध लाभ 36.49 लाख रुपए है।

प्रीति ने बताया उसे लाभांश से लगभग 50 हज़ार रुपये मिले हैं। उसने बहन की शादी में कुछ कर्ज लिया था, वो इस पैसे से छूट गया और बच्चों को स्कूल आने-जाने के लिए साईकल लेकर दी है। घर के लोग पहले घर मे टाइम ना दे पाने के कारण थोड़ा नाराज़ थे पर अब आय देखकर खुश हैं।

'आत्मनिर्भरता का मिला रास्ता'

इस समूह में 73 महिलाएं हैं। यानि सीधे-सीधे 73 महिलाएं स्वरोजगार से जुड़ी हैं। गौठान में वर्मी कम्पोस्ट खाद उत्पादन के काम से जुड़ी कोई महिला निर्धन परिवार से है तो किसी ने कभी घर से बाहर निकलकर कभी काम नहीं किया। इस काम से हुई कमाई ने उन्हें अपने परिवार का मजबूत स्तंभ बनाया है। उन्हें आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता का रास्ता दिखाया है।

'प्रीति ने बताया कैसे, कहां मिली मुख्यमंत्री से और उनके शब्दों ने जगाया नया मोटिवेशन'

मुख्यमंत्री श्री बघेल के भेंट-मुलाकात कार्यक्रम में उनसे हुए संवाद को याद करते हुए प्रीति कहती हैं कि भेंट-मुलाकात कार्यक्रम में राज्य के मुखिया से सीधे बात कर पाई, ये मेरे लिए और पूरे समूह के लिए बड़ा क्षण था। उन्होंने हमारा हौसला बढ़ाया और कहा कि गौठान का टर्नओवर जल्द ही एक करोड़ हो जायेगा। उनकी इस बात ने समूह में नई ऊर्जा का संचार किया है और समूह की सभी महिलाएं इस दिशा में दुगुनी मेहनत कर रही हैं।

'अब तक जिले के वर्मी उत्पादक समूहों को 9 करोड़ से ज्यादा को किया गया है भुगतान'

जिले में 332 गौठानों में संलग्न 345 महिला स्व-सहायता समूहों के द्वारा वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन एवं विक्रय किया जा रहा है। अब तक जिले में 1.30 लाख क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट एवं सुपर कम्पोस्ट का उत्पादन किया गया है जिसमें से 92 हजार 805 क्विंटल वर्मी खाद विक्रय किया जा चुका है। इसके एवज में समूहों को 9.28 करोड़ की आय हुई है और जिसमें समूह का शुद्ध लाभांश 3.52 करोड़ रूपये रहा है। जिले में 342 स्थानों पर गोबर खरीदी की जा रही है। इसमें 13 हजार ज्यादा विक्रेताओं से 3.93 लाख क्विंटल गोबर खरीदी की गई है और विक्रेताओं के खाते में 7.86 करोड़ रूपये सीधे अंतरित किए गए हैं।

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