दंतेवाड़ा। किसी चीज को शिद्दत से चाहो तो सारी कायनात लग जाती है हमें मिलाने में, पर यहां हम बात कर रहे है एक आवास की, जहां झुग्गी झोपड़ियों में रहने वालों को पक्का मकान दिलाने सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ी। आज प्रधानमंत्री आवास योजना की बदौलत कई बूढ़ी आंखों के निहारते सपने सच हुए हैं। घर को परिभाषित करने सबके अलग-अलग मायने हैं, पर आधुनिकता के साथ हमारे रहन सहन में भी बहुत बदलाव आया हैं और वर्तमान में विषम परिस्थितियों में भी हमें सुरक्षा दे सभी को ऐसा आवास चाहिए। ऐसे ही कई लोगों के सपने को सच कर दिखाया है, प्रधानमंत्री आवास योजना ने। इसी तरह जिले के कई लोगों को पक्के आवास का सहारा मिला है, जहां लोग जीवन की कई महत्वपूर्ण यादें इस आवास में संजो रहे हैं। दंतेवाड़ा की रहने वाली सरोज साहू भी आज प्रधानमंत्री आवास (शहरी) योजना से मिले घर में सुकून की जिंदगी जी रही है। झोपड़ी से पक्के छत तक का सफर आसान नहीं था। सरोज बताती है कि उनके घर में वो स्वयं, उनकी बेटी और उनके पति एक छोटे से घर में जीवन बसर कर रहे थे।
सर्दी हो या गर्मी मौसम कि मार झेलनी पड़ती थी। हालात और बदतर हो जाते थे, जब बारिश में झोपड़ी कि सुराखों से टपकता पानी भर जाता था। कच्ची दीवारों में दरारें पड़ गयी थी। बारिश के मौसम में इन दरारों से पानी रिसने की समस्या का सामना करना पड़ता था। इस छोटे से घर में अपने परिवार के साथ गुजर बसर कर रही सरोज की स्थिति उस समय बेहद दयनीय हो गयी, जब 2005 में उनके पति की मृत्यु हो गयी। उसकी व्यथा सुनने वाला कोई नहीं, पर सरोज ने हिम्मत नहीं हारी। धीरे-धीरे हिम्मत जुटा बस आगे बढ़ती गयी। वे बताती है कि नगर पालिका के माध्यम से 2019-20 में पीएम आवास योजना के बारे में पता चला। सरोज भी पक्की आवास के छत में शासन प्रशासन की ओर आस लगा बैठी, फॉर्म जमा किया उनका नाम चयन होने की सूचना मिली। फिर धीरे-धीरे चार किस्त में पुरे पैसे भी मिले और आज उनका खुद का पक्का मकान है। वे कहती है कि उनको शासन से वृद्धा पेंशन, विधवा पेंशन का भी लाभ मिल रहा है। प्रधानमंत्री आवास मिलने से अब उनके जीवन में खुशियां आई है। यह योजना सरोज की ही तरह कई जरूरतमंदों के लिए सहारा बनी है।