छत्तीसगढ़ में सिंचाई की सुविधा मिलने से किसान लेने लगे दोहरी फसल, जानें कैसे हुआ ये?

कुंओं के जल स्तर में 0.20 मीटर से लेकर 1.60 मीटर की वृद्धि।

Update: 2022-02-06 13:01 GMT

रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा संचालित नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी यानी सुराजी गांव योजना का असर अब दिखाई देने लगा है। सुराजी गांव योजना के चार महत्वपूर्ण घटकों में से एक नरवा विकास से ग्रामीण अंचल में भू-जल स्तर की स्थिति सुधर रही है। मृतप्रायः नरवा (नाले) अब फिर से जीवित हो उठे हैं। उपचारित नालों में अब कमोबेश सालभर पानी रहने लगा है। इसका लाभ नाले के किनारे के किसान उठाकर अब दोहरी फसंलों का उत्पादन करने लगे हैं।

छत्तीसगढ़ में नरवा विकास का यह कार्यक्रम लगभग 3 साल पहले शुरू किया गया था। अब तक राज्य में 2477 नालों का उपचार पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग तथा वन विभाग के माध्यम से कराया जा रहा है। इन बरसाती नालों में पानी की रोकथाम के लिए लगभग 614 करोड़ रूपए के उपचार कार्य कराए गए हैं, जिसमें स्टापडेम, अरदन बोल्डर चेक, गली प्लग, ब्रश हुड जैसी संरचनाओं का निर्माण शामिल हैं। इससे उपचारित नालों में अब कमोबेश अप्रैल-मई तक जल भराव बना रहता है। इसका फायदा यह हुआ है कि उपचारित नालों के आसपास के गांवों के कुंओं-हैण्ड पम्प के जल स्तर में आशातीत वृद्धि हुई है। गर्मी का मौसम शुरू होते ही प्रायः कुंओं और हैण्ड पम्प के जल स्तर में गिरावट की स्थिति अब न सिर्फ थम सी गई है, बल्कि उसमें वृद्धि भी देखने को मिल रही है।
राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में उपचारित नालों के क्षेत्रों में कुंओं के जल स्तर के सर्वेक्षण रिपोर्ट से यह बात स्पष्ट रूप से सामने आई है कि कुंओं के जल स्तर में 0.20 मीटर से लेकर 1.60 मीटर तक की बढ़ोत्तरी हुई है। बेमेतरा जिले के नवागढ़ इलाके में स्थित हलफली नरवा के उपचार से श्री उदे प्रधानी के कुंए में जल स्तर जून 2019 में 4.60 मीटर में था, जो हलफली नाले में हुए उपचार के बाद जून 2020 की स्थिति में 3 मीटर पर आ गया है। इसी तरह मनेन्द्रगढ़ स्थित चिरकोली नाला, कोण्डागांव स्थित चाऊरबाहर नाला, नरहरपुर स्थित झुरा नाला, भानुप्रतापपुर के बुदन नाला जैसे सैकड़ों नालों के उपचार के बाद उस इलाके के कुंओं और हैण्ड पम्प के जल स्तर में 0.20 मीटर से लेकर 1.60 मीटर तक बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है।
राज्य में उपचारित नालों के इलाके की मिट्टी में नमी की मात्रा भी बढ़ी है। कांकेर के मांदरी नाला के उपचार के बाद उस इलाकेे की मिट्टी में नमी का प्रतिशत 2.90 बढ़ा है। नहरपुर नाला के क्षेत्र में 2.85 प्रतिशत तथा बुदन नाला क्षेत्र की मिट्टी में नमी 1.90 प्रतिशत बढ़ी है। मुंगेली जिले के पथरगड़ी की बात करें, तो वहां के नरवा योजना के तहत बने चेकडेम से नाले का जल स्तर 10 फीट बढ़ गया है। इसका लाभ उठाकर किसान दोहरी फसल उपजाने लगे हैं। राज्य के कबीरधाम जिले में औसत रूप से कम बारिश होती है। अमूमन गर्मी के दिनों में कबीरधाम जिले के ग्रामीण अंचल में निस्तार एवं पेयजल की समस्या बनी रहती है। नरवा विकास कार्यक्रम से अब वहां हालात बदलने लगे हैं। नरवा विकास कार्यक्रम के तहत कबीरधाम जिले में महीडबरा जलाशय से 1.80 किलोमीटर नहर का निर्माण कराए जाने से किसानों को सिंचाई सुविधा मिलने लगी है, जिससे किसान अब कोदो, कुटकी के स्थान पर धान और अरहर की खेती करने लगे हैं।
मुंगेली जिले के रमतला गांव के किसान श्री विश्वनाथ वर्मा कहते है कि बारिश के मौसम में बोर से पानी भरपूर मिलता था, लेकिन गर्मी के मौसम में पानी बहुत कम आता था और खेती करने में काफी समस्या होती थी। पानी की कमी की वजह से टमाटर उत्पादन भी कम होता था, खेत में डबरी निर्माण से अब सारी समस्या दूर हो गई है। गर्मी के मौसम में डबरी में उपलब्ध पानी से टमाटर की खेती करते है।

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