नशेबाजों ने बनाया अड्डा, छात्रों और रहवासियों पर पड़ रहा असर
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। राजधानी के कई इलाके ऐसे है जहां पर नशा-जुआ-सट्टा का कारोबार फल फूल रहा है। पुलिस कभी कभार इन इलाकों में करवाई करती है, लेकिन कार्रवाई के कुछ दिनों बाद ये धंधे फिर सक्रिय हो जाते है।
तेलीबांधा इलाके का देवार बस्ती इन अवैध कारोबारों के लिए बदनाम है, अब इसी तर्ज पर विद्याचरण शुक्ल चौक से लेकर छत्तीसगढ़ कॉलेज जाने वाले मार्ग और इलाके में इस तरह के अवैध धंधे पंप रहे है। जबकि इस इलाके में नामी कॉलेज सहित कई ख्यात हिंदी और अंग्रेजी मीडियम की स्कूलें है। नशे-सट्टे के कारोबार से स्कूली बच्चे प्रभावित हो सकते है इसे देखते हुए इलाके में पुलिस को छापामार कार्रवाई करने की जरुरत है।
लॉकडाउन में बढ़ा नशे का कारोबार
रायपुर के हर इलाके में नशे का कारोबार चलते जा रहा है। लॉकडाउन में भी नशे का कारोबार राजधानी में लगातार फैलते जा रहा है। नशे के सौदागर अब स्कूली बच्चों को भी नहीं बख्श रहे है। राजधानी में संचालित सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों के आस-पास इन सौदागरों ने अपने ठीहे बना रखे है जहां से बच्चों को नशे के सामान उपलब्ध कराए जा रहे है। नशे के कारोबारियों ने स्कूलों के आस-पास चाय टपरी और ठेले वालो को अपने धंधे में सहभागी बना लिया है जिसके माध्यम से वे स्कूली बच्चों को आसानी से नशे के आदि बना रहे है। शहर में हो रहे अपराधों को कम करने के लिए पुलिस भी अथर प्रयास कर रही है बावजूद अपराध पर लगाम लगाना थोड़ा मुश्किल नजऱ आ रहा है। और वही दूसरी तरफ कोरोना महामारी में भी नशे के सौदागर अपना कारोबार चला रहे है जिसके चलते नवयुवक-युवतियां नशे में मदमस्त है और नशे की पार्टियों में भी संलिप्त रहने लगे है।
रायपुर हुआ लॉक, नशा हुआ अनलॉक
रायपुर में ड्रग तस्करों से कोई भी राज्य अछूता नहीं रहा है। मुंबई और गोवा से ड्रग्स लेने वालो पर पुलिस ने भी कड़ी कार्रवाई की थी मगर उसके बाद भी नशे का कारोबार जोर शोर से चले जा रहा है। पुलिस ने अपने अभियान में भी नशाखोरो को जड से उखाड़ कर फेंका। मगर नशे के कारोबारी अब स्कूल के बाहर स्कूली बच्चों को नशा देने की फिराक में चल रहे है। आज के युवक-युवती भी कम नहीं है हर गली मौहल्ले में सिगरेट का कश लगाते नजऱ आते है। युवा नशाखोरी में सबसे अधिक संख्या में ग्रसित हो चुके हैं।
जिनमें ज्यादातर शिक्षित और संपन्न परिवारों से हैं, जो नशे को शुरुआत में फैशन और शौक के लिए अपनाते हैं और बाद में इसके आदी हो जाते हैं, जिसके लिए ड्रग माफियाओं द्वारा कई प्रलोभन भी दिए जाते हैं, मगर कई लोगों के लिए नशा दिनचर्या का हिस्सा भी बन चुका है और इस धंधे में कई बड़े नाम भी सामने आ चुके हैं।
रायपुर शहर का दूसरा धारावी
राजधानी में नवनिर्मित पंडित विद्याचरण शुक्ल से लेकर छत्तीसगढ़ कॉलेज का मार्ग अब शहर का दूसरा और सबसे कुख्यात धारावी बन गया है। इस इलाके में शाम होते ही नशेडिय़ों की भीड़ लगनी शुरू हो जाती है। इस इलाके का मुख्य सरगना तक पुलिस भी नहीं पहुंच पाता है। हर दिन इस इलाके में लोग नशे का कारोबार चलाते है, जिस पर पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती। रायपुर शहर का इस मार्ग में शिक्षा का मंदिर है जहां बच्चों का भविष्य सुधरता है और इसी मार्ग में बच्चों के भविष्य को खराब करने के लिए नशे का कारोबार किया जाता है।
इस मार्ग में रात को कोई भी गुजरता नहीं है अंधेरे का लोग गलत फायदा उठाते है जिसकी वजह से इस इलाके में नशा फल-फूल रहा है। इस तरह से ये मार्ग रायपुर का दूसरा धारावी बन गया है। इस जगह पर पुलिस को जल्दी काबू पाना होगा और नशे के सौदागरों को जल्दी ही सलाखों के पीछे भेजना होगा वरना शहर की युवा पीढ़ी इस धारावी के नशे में डूबते चले जायेंगे।
मॉडर्न बनने के लिए नशा
नशा को कुछ लोग मॉडर्न मानते है, उनका मानना होता है, नशा करने से लोग उन्हें एडवांस समझेगें, और उनकी वाह वाही होगी। नशा को अमीरों की शान भी माना जाता है, उन्हें लगता है, नशा करने से हमारा रुतबा सबको दिखेगा। जो व्यक्ति शिक्षित है, वो भी नशा से दूर नहीं है।
खुलेआम चल रहा सट्टा : राजधानी में समता कालोनी, तेलाबांधा, कटोरातालाब, राजातालाब, बस स्टैंड, मोवा, दलदल सिवनी, पुरैना, गुढिय़ारी, कोटा, गोगांव, खमतराई, बिरगांव, कबीर नगर, बोरिया खुर्द और बोरिया कला, टीटीबंध, लाभांडी के तक सटोरियों का जाल बिछा है। हर रोज लाखों के दाव लगते है। लेकिन पुलिस बेखबर है।
शहर के दूसरे धारावी में होती गैंग की मीटिंग
रायपुर में लॉकडाउन के बाद भी हर शाम को रक्सेल, तंजील, रवि साहू गैंग की मीटिंग होती हैं और ये मीटिंग छत्तीसगढ़ कॉलेज के पास जिमखाना क्लब के पीछे अंधेरे में होती है। इस मीटिंग में सभी शामिल होकर गांजा और शराब की पार्टी करते है। जिसके आसपास मंदिर-मस्जिद भी है। जिससे श्रद्धालुओं को आने-जाने में दिक्कत होती है। जनता से रिश्ता ने इस पूरे मामले की जांच में पाया कि पुलिस के नाक के नीचे से अपराधी मीटिंग करते हैं और अपने आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देते हैं।जिसके परिणामस्वरूप पुलिस मूकदर्शक बनकर तमाशा देखते रहती है।
नाबालिग बच्चे नशे की आड़ में
लॉकडाउन में अब बच्चों के लिए सस्ता नशा इजाद हो चुका है, नशा के लिए बोनफिक्स तथा सुलेसन को सूंघ कर नशे की सामग्री के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है जो वास्तव में चौकाने वाला मामला है। लॉकडाउन की वजह से स्कूल बंद है जिसकी वजह से इन दिनों अधिकाश बच्चों में नशे की यह लत देखी जा रही है। बोनफिक्स, सुलेसन जो किसी टूटे हुए वस्तु के साटने के उपयोग में लाया जाता है। लेकिन बच्चे इसका उपयोग नशा के रूप में इस तरह से इस्तेमाल करते हैं। पेस्ट को सूती कपड़े या फिर प्लास्टिक में निकल कर हल्का धूप लगाकर सांसों द्वारा ऊपर खींचते हैं। एक से दो बार यह क्रम करने के बाद वे बधो खुद व खुद नशे कि हाल में आ जाते हैं। इसके बाद उन्हें यह कहां पता होता है कि सामने कोई और है भी या नहीं।
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