राजधानी में फिर होने लगीं नशे की पार्टियां...

वीआईपी रोड की नाइट क्लब-पब में हो रहे आयोजन

Update: 2020-11-13 05:42 GMT

ड्रग तस्करों पर पुलिस कार्रवाई के बाद भी बैखौफ हैं नशे के सौदागर

पुलिस की मेहनत पर पानी फेर रही नशे की पार्टियां

आयोजकों, कैफे-पब संचालकों को छुटभैय्ये नेताओं का संरक्षण

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। राजधानी रायपुर सहित प्रदेश के दूसरे बड़े शहरों में ड्रग तस्करों पर पुलिस की ताबड़तोड़ कार्रवाई से लगने लगा था कि शहर अब नशेडिय़ों और नशे के कारोबारियों से मुक्त होंगे लेकिन छुटभैय्ये नेताओं के संरक्षण और ड्रग माफियों के दुस्साहस से ऐसा होता नहीं दिख रहा है। ड्रग तस्करों और अवैध धंधेबाजों की बदौलत अपनी राजनीति चलाने वाले छुटभैय्ये नेता अपने संरक्षण में नशे के कारोबार को बेखौफ जोर-शोर से चलाने में तस्करों और युवाओं-रईसजादों को नशे के सामान उपलब्ध कराने वाले होटल-क्लब और पब संचालकों की मदद कर रहे हैं। इसी का नतीजा है कि वीआईपी रोड में संचालित बड़े होटलों, क्लब और पब में नशे की पार्टियां फिर से आयोजित होने लगी हैं। बीते बुधवार को एक क्लब में ऐसी एक पार्टी हुई जिसमें सिर्फ लड़कियों को इंट्री दी गई। वहीं अब आगामी शनिवार दिवाली की रात को एक पार्टी आयोजित की जा रही जिसमें लड़कियों के साथ लड़कों की भी इंट्री रहेगी। छुटभैय्ये नेताओं के संरक्षण में ऐसी पार्टी आयोजित कराने वाले तस्कर इंवेट कंपनियां पुलिस को खुली चुनौती दे रहे हैं कि उनका कारोबार कभी बंद नहीं हो सकता। ऐसी खबर भी है कि बुधवार को हुई पार्टी में एक बड़े नेता के दो गुर्गे आपस में लड़ बैठे थे। हैरान करने वाली यह है कि क्वींस क्बल का मामला सामने आने और ड्रग तस्करी में ताबड़तोड़ गिरफ्तारी और कार्रवाई के बाद भी आखिर ऐसी पार्टियों का आयोजन कैसे हो पा रहा है। वीआईपी रोड पर स्थित किसी-न-किसी कैफे में ऐसी पार्टियों का बोर्ड रोज ही देखने को मिल रहा है। इन पार्टियों के लिए परमिशन कौन दे रहा है। आयोजकों को किसका संरक्षण मिल रहा है। खबर है कि आयोजकों कैफे-क्लब संचालकों को उसके संरक्षकों ने बाकायदा इस बात का भरोसा दिलाया है कि पार्टियों के दौरान पुलिस रेड नहीं करेगी। तो क्या पुलिस और प्रशासन ने इन्हें फिर से नशा परोसने की इजाजत दे दी है?

छुटभैया नेताओंं का मिल रहा संरक्षण

राजधानी में अपराध व अपराधी बेखौफ हो गए है। जिसके चलते पुलिस भी ऐसे आरोपियों से परेशान हो गए है। रायपुर में नशे के कारोबार पर पुलिस लगातार नकेल कसने के लिए उनके ठिकानों पर दबिश देकर ड्रग पैडलरों की नाकेबंदी कर दी है। ड्रग्स पैडलरों की गिरफ़्तारी की वजह से बड़े घरानों में ड्रग के शौकीनों की हालत पस्त हो गई है। ड्रग एडिक्टेड युवक-युवतियों के लिए भोजन नहीं मिलेगा तो चलेगा, लेकिन ड्रग नहीं मिलने से उनकी बेचैनी बढ़ जाती है। पुलिस की कार्रवाई से ड्रग पैड़लरों में हडक़ंप मचा हुआ है। बावजूद छुटभैय्ये नेताओंं के संरक्षण में नशे का कारोबार अब भी बेखौफ चल रहा है। ये नेता अपनी राजनीति चमकाने और जल्द से जल्द करोड़पति बनने की चाह में नेतागिरी के साथ नशे के तस्करों को संरक्षण देकर भरपूर कमाई कर रहे हैं। ऐसे छुटभैय्ये नेताओं की दोनों हाथों में लड्डू है। तस्करों से औने-पौने दाम पर नशे का सामान खरीद कर नशेडिय़ों को मुंहमांगी दाम पर बेची जा रही है। छुटभैया नेताओं को कानून कायदे की कोई परवाह नहीं है। बेखौफ खुलेआम नशा परोस रहे है।

नशे का लत लगाने पहला पैकेट फ्री

पुलिस की जांच में पता चला है कि नशे के धंधे में युवतियों की संलिप्तता भी कम नहीं है। आरोपियों के मोबाइल की जांच से इसका खुलासा हुआ है। पुलिस इस बिंदु पर काफी काम कर चुकी है। अफसरों का कहना है कि ड्रग के आदी एक युवक ने पुलिस को बताया कि पैडलर कई लोगों को ड्रग्स की आदत डालने के लिए पहला पैकेट फ्री देते थे। एक पैडलर की उससे दोस्ती भी इसी तरह हुई। इसके बाद वह उसे हाईप्रोफाइल पार्टियों में ले जाने लगा और एक-दो बार ड्रग टेस्ट करवाई। आदत पड़ गई तो वह सौदेबाजी करने लगा और मोटी रकम वसूली। ऐसा युवतियों के साथ ज्यादा किया गया है। मगर पैडलरों ने सोशल मीडिया का भी काफी फायदा उठाया और लोगों को व्हाट्सअप के जरिए ड्रग की फोटो भेजने लगे। सायबर सेल ने गिरफ़्तार 16 आरोपियों के सोशल अकाउंट जब खंगाले तो पता चला कि युवतियां भी ड्रग्स का रैकेट चलाती है और शहर में अब भी ये युवतियां खुलेआम घूम रही है जिसकी जांच पुलिस कर रही है।

हर दिन फल-फूल रहा नशे का कारोबार

छत्तीसगढ़ में नशे का कारोबार दिन पर दिन फल-फूल रहा है, नशे ने युवा पीढ़ी को अपने आगोश में ले रखा है। राजधानी रायपुर में शराब, गांजा, हेरोइन, चरस, हेरोइन, अफीम की तस्करी का खेल खुलेआम चल रहा है, नशे का अवैध कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। शहर के अधिकांश लोग यहां से फोन पर कांटेक्ट कर माल की सप्लाई करते हैं। इसके लिए तस्करों ने महिलाओं और बच्चों को नियुक्त कर रखा है। नशेड़ी यहां खुलेआम धुंआ उड़ाते नजर आते हैं। पाँच सौ रूपये से लेकर दस हजार रूपए तक की खुराक वाले नशा का सामान राजधानी में उपलब्ध है। युवा नशे के सुरूर में मदमस्त रहना चाहते हैं। वर्तमान समय में नशा युवाओं को अपनी चपेट में पूरी तरह ले चुका है और परिजनों को इस बात की भनक तक नहीं है।

होटल-रेस्टारेंट बांट रहे नशा

नशे का कारोबारी महंगे होटल, रेस्टोरेंट और बार जैसी जगहों पर पार्टियों के नाम पर नशे का सामान परोस रहे है। रायपुर को नशे के कारोबारियों ने पूरी तरह से अपने शिकंजे में कस लिया है। पुलिस और नसे के कारोबारियों में पकड़ो-छोड़ों का खेल चल रहा है, पुलिस की लगातार कार्रवाई के नशे के सौदागरों में हडक़ंप मचा हुआ है। नशे के कारोबारियों के ठिकानों पर पुलिस ने मुखबिर लगा दिए है। राजधानी नशे के सौदागरों के लिए सेफ जोन बनती जा रही है।

यहां नीचे तबके से लेकर हाई प्रोफाइल लोगों के लिए अलग-अलग किस्म की नशे की सामग्री उपलब्ध हैं। 10 रुपए में बिकने वाले गांजे से लेकर 5-10 हजार रुपए प्रति ग्राम तक की कोकीन भी डिमांड पर उपलब्ध है। नशे के सौदागरों द्वारा डिमांड के आधार पर इसे मुंबई से मंगाया जा रहा है। इस महंगे नशे के ग्राहक बड़ी-बड़ी गाडिय़ों में घूमने वाले रईस हैं, जिनमें युवक-युवतियों से लेकर महिलाएं भी शामिल हैं।

आयोजक का दावा-पुलिस रोक नहीं सकती...

< पेज थ्री पार्टी के कर्ता-धर्ता ही नशे के पार्टी के आयोजनकर्ता बने, संभ्रांत और बड़े घर के युवक-युवकतियों को सोशल और माडर्न लाइफ के बहाने पार्टियों में आमंत्रित किया जाता है और प्रदेश का कुख्यात ड्रग पार्टी आयोजक ही इन पार्टियों का भी मुख्य सरगना, एक बार वह पुलिस के हत्थे भी चढ़ चुका है।

< ड्रग पार्टी के रैकेट को देखते हुए और भी छुटभैय्ये नेता लोग लड़की और शबाब के लिए आयोजन का हिस्सा बनते हैं। बुधबार को हुई और शनिवार को होने वाली पार्टी के कर्ता-धर्ता का स्पष्ट कहना है कि रायपुर पुलिस में दम नहीं की मेरी पार्टी को रोक ले और मेरे आयोजन को बंद करा दे। मेरी इस सरकार में और जो भी सरकार में मेरी चलेगी, इस तरह का खोखला दावा आयोजनकर्ता युवक-युवतियों को बरगलाने के लिए करता है।

< आयोजक द्वारा एक तेजतर्रार पूर्व आईपीएस अधिकारी का हवाला देकर युवक-युवतियों को झांसे में लिया जाता है।

< ऐसी पार्टियों के आयोजक मीडिया के लोगों को भी धमकाने से गुरेज नहीं करते, इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है क्वींस क्लब का मामला जहां आयोजकों और संचालकों ने मीडिया के लोगों से बससलूकी की थी।

नशे के शिकंजे में युवा

रायपुर में नवयुवक नशे के इतने आदी हो गए है कि नहीं मिलने पर पागलपन सवार हो जाता है, जिसके कारण अपराध बढ़ रहे है। राजधानी की संड़ांध मारती गली-मोहल्लों में पुडिय़ाबाजों ने अड्डा बना रखा है, जहां से वह घरों में सप्लाई कर रहे है। खबरदारों का कहना है कि इसके पीछे पुलिस और छुटभैया नेताओं का हाथ है, जो उनसे अवैध वसूली कर उन्हें बचाने के लिए संरक्षण देकर गांजा के काले कारोबार को बढ़ावा दे रहे है। गली-मोहल्ले में नशे का कारोबार करने वाले हर महीने एक निर्धारित राशि अपने मोहल्ले के नेताओं को नजराना पेश करते है। ड्रग माफिया लोग कारोबार से जुड़े लोगों को एक विशेष नाम का उपयोग करते हैं और वे आपस में एक-दूसरे को उसी नाम से जानते थे। ड्रग्स का कारोबार सबसे पहले मिन्हाज मेमन ने बिलासपुर में शुरु किया था और कुछ दिनों बाद ही उसने अभिषेक उर्फ डेविड को अपने साथ इस व्यवसाय में शामिल कर लिया।

दोनों इसी दौरान पुणे जाकर 2-3 बार ड्रग्स लेकर रायपुर व बिलासपुर में बेच चुके थे, लेकिन पैसों को लेकर दोनों के बीच अनबन हो गई थी इसलिये दोनों एक-दूसरे से अलग-अलग कारोबार करने लगे। रायपुर पुलिस ने ड्रग्स कारोबारियों के विरूद्ध अब तक की पहली व सबसे बड़ी कार्रवाई की है। नशे का कारोबार करने वाले कारोबारियों के विरूद्ध रायपुर पुलिस का अभियान लगातार जारी रहेगा।

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