कार्रवाई के चंद दिनों बाद ही आबाद हो रहे नशे के अड्डे

Update: 2021-01-22 06:25 GMT

ड्रग माफिया और हिस्ट्रीशीटरों का जलवा बरकरार, सेटिंग का खेल

शहर में गांजा बिक्री की सबसे सक्रिय आसिफ गैंग है जो हर दिन राजधानी के नेहरू नगर, बूढ़ातालाब, कालीबाड़ी, गांधी नगर इलाके में खुलेआम गांजा बेचता है

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। नशेडिय़ों को रायपुर बहुत पसंद है, राजधानी में नशे के कारोबारियों की हिम्मत बढ़ी है तो उसका सबसे बड़ा कारण है कुछ छुटभैय्या नेता, क्योंकि कुछ छुटभैय्या नेताओं के संरक्षण की वजह से आज नशे का कारोबार और कारोबारी अपनी काली कमाई चरम सीमा पर है। एक मंत्री को इतनी तनख्वा नहीं मिलती होगी जितनी एक ड्रग पैडलर को एक दिन में मिल जाती है। रायपुर शहर में पुलिस जब से एक्शन मोड़ में आयी है तब से नशे के सौदागरों में एक अलग तरह का खौफ दिखने लगा है। बावजूद असामाजिक तत्वों ने अपने धंधों को चलाने के लिए जगह-जगह पर अब भी अपने अड्डे बना लिए हैं। शहर के भीतर नशे के सौदागरों ने अपने अड्डे बना लिए है। शहर में गांजा, शराब, सट्टा और जुआ का कारोबार जोर-शोर से चल रहा है। उनका संचालन बेखौफ किया जा रहा है।

कालीबाड़ी में बिकता दुनिया भर का नशा

जितने भी अवैध गतिविधि संचालित होने वाले अड्डे है वहां पुलिस दबिश देती है। तभी कुछ दिन के लिए अवैध गतिविधियां रूकती है और चंद दिनों बाद भी ये अवैध धंधे फिर से शुरू हो जाते है। इससे साफ़ पता है कि पुलिस की कार्रवाई दिखावे की होती है। और बाद में पुन: पुलिस के संरक्षण में ही उनकी गतिविधियां फिर से चलने लगती है। राजधानी के कालीबाड़ी चौक स्थित सुलभ शौचालय के आगे खाली मैदान में दिन और रात सट्टा, जुआ, गांजा, अवैध शराब और नशीली दवाई का कारोबार किया जा रहा हैं। जिससे आस-पास के लोग काफी परेशान थे। कोतवाली सीएसपी और बड़े अधिकारियों के दिशा निर्देशन के बाद से पुलिस ने उस इलाके में अपना दबदबा बना लिया है। मगर कारोबार को बंद कराने में पुलिस अब भी असमर्थ है।

कहीं गांजे की चिलम तो कहीं पुडिय़ा, शहर बनी नशे की गुडिय़ा

राजधानी में उड़ता चिलम तो कहीं पुडिय़ा शहर अब बना नशे की गुडिय़ा। शहर में भी नशे का कारोबार तेजी से फल-फूल रहा है। हिस्ट्रीशीटरों से जुड़े कई तस्कर खुलेआम कहीं गांजे की चिलम जलाते हैं, तो कहीं पुडिय़ां बनाकर बेचते हैं। लोगों की लगातार शिकायतों के बाद पुलिस ने आधी रात तक पीसीआर वैन में घूमती रहती है मगर उसके बाद भी हिस्ट्रीशीटर गिरफ्तार नहीं हो पाते है। क्योंकि पीसीआर वैन सायरन बजाते आती है और सटोरियों-गंजेडिय़ों को सचेत कर देती है क्योंकि सबकी कि मिलीजुली सरकार होती है। नए साल के आने से पहले ड्रग्स माफिया और हिस्ट्रीशीटरों का जलवा नजर आने लगा है। हिस्ट्रीशीटर लंबे समय से गांजा और सट्टे का कारोबार कर ही रहे है। पुलिस उसके खिलाफ ठोस कार्रवाई की है। मगर उसके बाद भी हिस्ट्रीशीटर अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे है।

राजधानी में मिलता नशे का साजो-सामान

छत्तीसगढ़ की राजधानी में नशे का कारोबार दिन पर दिन फल-फूल रहा है, नशे ने युवा पीढ़ी को अपने आगोश में ले रखा है। राजधानी रायपुर में शराब, गांजा, चरस, हेरोइन, अफीम की तस्करी का खेल खुलेआम चल रहा है, नशे का अवैध कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। शहर के अधिकांश लोग यहां से फोन पर कांटेक्ट कर माल की सप्लाई करते हैं। इसके लिए तस्करों ने महिलाओं और बच्चों को नियुक्त कर रखा है। तस्कर कई बार पकड़ जाते हैं मगर पुलिस की मिलीभगत के चलते कार्रवाई नहीं की जाती। नशेड़ी यहां खुलेआम धुंआ उड़ाते नजर आते हैं।

सुबह से रात देर तक बिकते हैं नशीले पदार्थ

पुरानी बस्ती के लाखेनगर चौक, नर्मदापारा, चूनाभ_ी, गुढिय़ारी के पहाड़ीपारा चौक, गोलबाजार थाने के ठीक सामने गली में, नेहरुनगर, कालीबाड़ी, पेंशनबाड़ा, ओसीएम चौक के पास, खमतराई ओवरब्रिज आदि स्थानों पर लंबे समय से सट्टा-पट्टी, शराब, गांजा बेचने का कारोबार चल रहा है। अड्डों पर बैठे कोचिया खुलेआम देसी, अंग्रेजी शराब के साथ-साथ गांजा आदि बेच रहे हैं। शराब, गांजा बेचने का काम सुबह छह बजे से शुरू होता है और शराब दुकान खुलने के दो घंटे बाद तक चलता है। दोपहर एक बजे शराब की अवैध ब्रिकी बंद कर दी जाती है। फिर रात नौ बजे से दोबारा यह काम शुरु होता है, जो रात एक बजे तक चलता है।

ओडिशा से आता है नशे का सामान

जानकारों का कहना है कि मलकानगिरी ओडिसा से गांजा की सप्लाई सराईपाली, बसना, पिथौरा होते कार, दोपहिया, ट्रक, बस के माध्यम से रायगढ़ और राजधानी में गांजा का खेप उतर रहा है। गांजा तस्कर पुलिस के देखरेख में राजधानी तक गांजा लाने में सफल हो रहे है। राजधानी पहुंचते ही संबंधित ठिकानों पर पहुंचाकर पैसा लेकर वापस फिर ओडिसा के लिए निकल जाते है।

सुलभ शौचालय के आसपास नशेड़ी सक्रिय

नशेडिय़ों का कहना है कि राजधानी के जितने भी सुलभ शौचालय है, वहां गंजेडिय़ों ने अड्डा जमा रखा है। वहां पर आने वाले नशेडिय़ों को मालूम रहता है कि किसके नशे का सामान मौजूद है। नशे की तलब लगने पर नशेड़ी सुलभ शौचालय की ओर चले जाते हैं, जहां पर उन्हें आसानी से गांजा मिल जाता है। या फोन कर लोकेशन बता देते है कि यहां पर गांजा की मांग है तत्काल सप्लाई करें। गांजा में भी कई क्वालिटी गांजा पीने वाले नशेडिय़ों ने बताया कि गांजा की कई क्वालिटी होती है। हल्का नशा वाला गांजा 10 रुपए में ज्यादा नशा वाला गांजा 50 रुपए में एक पुडिय़ा आसानी से मिल जाती है।

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