तंबाकू का उपयोग ना करें, जीएं स्वस्थ जीवन

Update: 2022-05-30 07:19 GMT

रायपुर। तंबाकू एवं इससे संबंधित उत्पादों का सेवन कर रहे लोगों के लिए हो सकता है इसके सेवन से उनको क्षणिक आनंद का अनुभव होता हो किंतु लंबे समय तक इसका सेवन करने से स्वास्थ्य से संबंधित कई गंभीर परेशानियां हो सकती हैं। इसलिए तंबाकू का उपयोग नहीं करना चाहिए और दूसरों को भी ऐसा करने से मना करना चाहिए। यह कहना है तंबाकू या धूम्रपान छोड़ चुके लोगों का। प्रदेश में बीते एक वर्ष (अप्रैल 2021 से मार्च 2022 तक) में 1,946 लोगों ने तंबाकू और धूम्रपान का सेवन करना छोड़ा हैI इनमें सर्वाधिक लोग सूरजपुर के हैं एवं दूसरा स्थान धमतरी का है। अब यह लोग नशा छोड़ने के लिए अन्य लोगों को प्रेरित भी कर रहे हैं।

कहते हैं लोग 'अब अच्छा महसूस हो रहा' -विगत 35 वर्षों से तंबाकू और गुटखा का सेवन कर रहे बिलासपुर निवासी 59 वर्षीय टेकराम ( परिवर्तित नाम) ने अब तंबाकू सेवन छोड़ दिया है।उन्होंने बताया: "मैंने पांचवी तक पढ़ाई की है। पारिवारिक स्थिति के चलते कम उम्र में ही मैं काम करने लगा। टैक्सी और ऑटो चलाने के दौरान मैंने तंबाकू और गुटखा खाना शुरू कर दिया। इससे मुझे अच्छा महसूस होता था। शारीरिक परेशानियों को मैं नजरअंदाज करता था, परंतु जब दांत में परेशानी हुई तो मुझे डॉक्टर ने तंबाकू की वजह से सारे दांत खराब होने एवं अन्य परेशानियां होने की बात बताई। तंबाकू छोड़ने के लिए मैं तब "तंबाकू नशा मुक्ति केन्द्र" गया। एक माह इलाज चला और मैंने तंबाकू छोड़ दिया। अब मैं ठीक हूं दोस्तों को भी तंबाकू छोड़ने को कहता हूं, कुछ ने सेवन छोड़ भी दिया है।"

कांकेर निवासी 12 वीं के छात्र 19 वर्षीय राम एवं श्याम ( परिवर्तित नाम) ने भी धूम्रपान करना छोड़, अब स्वस्थ जीवन को अपना लिया है। राम का कहना है: "पिता के गुजर जाने के बाद मुझे बहुत अकेलापन लगता था। इसके बाद मां ने मुझे कभी भी अकेला नहीं छोड़ा फिर भी मैंने अवसादग्रस्त होकर दोस्तों के साथ धूम्रपान करना शुरू कर दिया। मेरा दोस्त श्याम भी मेरे साथ सिगरेट पीने लगा। धूम्रपान कर हमें अच्छा लगता था। एक दिन स्कूल में धूम्रपान की वजह से होने वाली स्वास्थ्यगत परेशानियों और "तंबाकू नशा मुक्ति केन्द्र" के बारे में बताया गया। तब हमने केन्द्र में जाकर काउंसिलिंग ली। एक दो काउंसिलिंग के बाद ही हमने धूम्रपान करना छोड़ दिया, अब पढ़ाई और हर काम में मन लगता है।"

क्या कहते हैं विशेषज्ञ- दंत रोग विशेषज्ञ एवं राज्य प्रशिक्षक तंबाकू निषेध, डॉ. शिल्पा जैन ने बताया: "तंबाकू में नशे की आदत डालने वाला निकोटीन नामक पदार्थ होता है। निकोटीन कुछ समय के लिए बेहत्तर महसूस कराता हैं, लेकिन इसका लंबे समय तक उपयोग, हृदय, फेफड़े और पेट के साथ-साथ तंत्रिका तंत्र को भी प्रभावित करता हैं। इसके लगातार उपयोग करने पर व्यक्ति को इसके सेवन की आदत हो जाती है तथा अंत में व्यक्ति गंभीर स्वास्थ्यगत समस्याओं से पीड़ित भी हो जाता है। तंबाकू छोड़ने की दर केवल 5-6 प्रतिशत है क्योंकि तंबाकू छोड़ने के लिए जरूरी अनुपालन बहुत कम होता है। तंबाकू छोड़ने के लिए सबसे आवश्यक अच्छी सलाह, आत्मविश्वास, परिवार और दोस्तों का प्रेरित करने वाला माहौल होता है। इसलिए इसे छोड़ने वालों में दृढ़ इच्छाशक्ति होनi I आसपास का माहौल भी उसे इस कार्य के लिए प्रेरित करने वाला होना चाहिए।"

राज्य नोडल अधिकारी तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम, डॉ. कमलेश जैन का कहना है "इस वर्ष "तंबाकू हमारे पर्यावरण के लिए खतरा"थीम पर विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाएगा। तंबाकू और तंबाकू युक्त पदार्थों का सेवन छोड़ना ही स्वास्थ्य के लिए बेहतर है। इसलिए लोग "तंबाकू नशा मुक्ति केन्द्र", जिला चिकित्सालय में जाएं, काउंसिलिंग लें और धूम्रपान और तंबाकू सेवन की आदत को छोड़ें। हालांकि तंबाकू छोड़ने वालों की संख्या जरूर कम है, हमें और अधिक प्रयास करने की जरूरत है। स्वास्थ्य मंत्री ने आओ गांव चले हम, तंबाकू मुक्त ग्राम और ग्राम पंचायत बनाएं का आह्वान किया था, उस दिशा में प्रदेश में कार्य किया जा रहा है। धमतरी, सरगुजा एवं बिलासपुर में कार्य प्रगति पर चल रहा है।"

धमतरी पहले स्थान पर - अप्रैल 2021 से मार्च 2022 तक के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो प्रदेश के 2,505 संस्थान तंबाकू मुक्त घोषित किए गए हैं। इनमें धमतरी (1,553 संस्थान) का पहला स्थान है। वहीं जशपुर का दूसरा तथा सरगुजा, रायपुर, नारायणपुर का क्रमशः तीसरा, चौथा और पांचवां स्थान हैं। तंबाकू नियंत्रण हेतु कोटपा एक्ट 2003 (सिगरेट एंड अदर टोबैको प्रोडक्ट्स एक्ट, 2003) यानि सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (विज्ञापन का प्रतिषेध और व्यापार तथा वाणिज्य उत्पादन, प्रदाय और वितरण का विनियमन) अधिनियम, 2003 के प्रवधानों के तहत चालानी कार्यवाही में 291 कार्यवाही कर धमतरी प्रथम, 235 कर सरगुजा, 160 कर दुर्ग, 156 कर रायपुर तथा 137 कर कांकेर ने क्रमशः प्रदेश में दूसरा, तीसरा, चौथा एवं पांचवां स्थान हासिल किया है। वहीं प्रदेश के 4,201 स्कूलों में जन-जागरूकता कार्यक्रम किए गए जिसका लाभ 1,30,845 बच्चों ने लिया है।

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