लोक अदालत में मां बेटे के संपत्ति को लेकर विवाद, 85 वर्षीय मां ने व्हीलचेयर में आकर किया बेटे से समझौता
छत्तीसगढ़
बिलासपुर: मदर्स ड़े के एक दिन पहले लगे लोक अदालत में मां बेटे का संपत्ति को लेकर चला आ रहा विवाद में समझौता हो गया। 62 वर्षीय बेटे से समझौता करने 85 वर्षीय मां व्हीलचेयर पर बैठकर अदालत पहुंची। मां ने भी ममत्व दिखाते हुए अपने बेटे को अपने मायके से मिली संपत्ति में से हिस्सा देने की सहमति दे दी। जिसके बाद दोनों पक्षों के आंसू खुशी से निकल पड़े।
जांजगीर जिले के अकलतरा के हाई स्कूल के पास स्थित पेट्रोल पंप के पास रहने वाली 50 वर्षीय बहुरा बाई की एक बेटी और एक बेटा है। बहुरा बाई के पति की मौत हो चुकी है। उनकी बेटी की भी मौत हो चुकी है। बहुरा बाई की बेटी से एक संतान है। व उनका एक 62 वर्षीय बेटा बसंत लाल साहू है। बहुरा बाई साहू के कोई भाई नहीं थे। जिसके चलते उनके मायके में उन्हें संपत्ति मिली हुई थी। अपने मायके की संपत्ति को बेच कर उन्होंने बिलासपुर के ग्राम बैमा-नगोई में मुख्य मार्ग से लगी 67 डिसमिल जमीन खरीदी थी। मायके की संपत्ति बेचकर जमीन खरीदने के चलते यह उनकी स्व अर्जित संपत्ति थी।
बहुरा बाई ने अपनी जमीन का सौदा 20 लाख रुपए में कर जमीन बेच दिया था। उनका बेटा बसंत लाल साहू अपनी मां की स्व अर्जित संपत्ति में से हिस्सा मांग रहा था। पर उनकी मां अपने संपत्ति में से अपने बेटे को जीते जी हिस्सा नहीं देना चाहती थी। उनका कहना था कि उनके मरने के बाद तो उनकी सारी संपत्ति बेटे की हो जाएगी। लिहाजा वह जीते जी अपने मायके से मिली संपत्ति को बेच कर ली गई जमीन में से कोई भी हिस्सा अपने बेटे को नहीं देगी। जबकि बहुरा बाई के बेटी के बेटे यानी बहुरा बाई के नाती ने जमीन बेचने पर कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई थी। उनके नाती का मानना है कि जो भी संपत्ति नानी को अपने मायके के हिस्से में मिली है वह उनकी स्वयं की है और वह जैसा चाहें वैसा उसका उपभोग करें। इस बीच बहुरा बाई के बेटे बसंत लाल साहू द्वारा जमीन बेचने के खिलाफ स्थगन देने हेतु अदालत में आवेदन भी लगाया था पर अदालत ने परिस्थितियों को देखते हुए स्थगन देने से मना कर दिया था। जिसके बाद 2020 से यह मामला अदालत में चल रहा था।
बहुरा बाई के अधिवक्ता विनय श्रीवास्तव व सौरभ गुप्ता थे। उन्होंने वृद्धा की स्थिति को देखते हुए उन्हें समझाया कि आप के बाद आपकी सारी संपत्ति आपके कहे अनुसार ही आपके बेटे की है तो उसे जीते जी कुछ हिस्सा देने से क्या फर्क पड़ता है। जीवन के अंतिम वर्षों में बेटे व मां में मनमुटाव होना अच्छी बात नहीं है। साथ ही बेटे बसंत लाल साहू को भी समझाया कि इस उम्र में उसे मां की सेवा करनी चाहिए ना की संपत्ति में हिस्सा मांगनी चाहिए। इस तरह समझा-बुझाकर मां बेटे के बीच मनमुटाव खत्म करने की पहल की गई जिसके बाद। इसके बाद मां ने 20 लाख रुपये में बेची गई जमीन में से 8 लाख रुपये अपने बेटे को देना स्वीकार कर लिया और दोनों मां बेटे के मध्य दूरियां भी इस लोक अदालत के चलते मदर्स डे के दिन पहले ही खत्म हो गई।