बिलासपुर। बिलासपुर के शहरी और ग्रामीण इलाकों में डायरिया के साथ कंजक्टिवाइटिस की बीमारी अब हॉस्टल तक पहुंच गई है। राजेंद्र नगर स्थित कमला नेहरू गर्ल्स हॉस्टल को खाली करा दिया गया है। वहीं, दो बच्चियां सिम्स में भर्ती है। खास बात यह है कि स्वास्थ्य विभाग के अफसरों को इसकी जानकारी तक नहीं है। अब बीमार बच्चियां पढ़ाई छोड़कर घर चली गई हैं और अपना उपचार करा रही हैं। बता दें कि हॉस्टल में करीबन 100 स्टूडेंट्स हैं। बारिश के मौसम में शहरी क्षेत्र के साथ ही ग्रामीण इलाकों में डायरिया अपना कहर बरपाने लगा है। ज्यादातर इलाकों में मौसमी बीमारी कंजक्टिवाइटिस फैली हुई है। ऐसे में अब हॉस्टल में रहने वाली स्कूली छात्राओं को भी मौसमी बीमारी का खतरा है। बीते कुछ दिनों से राजेंद्र नगर स्थित गर्ल्स हॉस्टल की छात्राओं को उल्टी-दस्त के साथ ही आंख में तकलीफें होने लगी थी। हॉस्टल अधीक्षक और कर्मचारियों ने सिम्स ले जाकर छात्राओं को इलाज कराया, जिसके बाद बीमारी फैलने की आशंका को देखते हुए हॉस्टल को खाली करा दिया गया है।
परिसर में तीन गर्ल्स हॉस्टल हैं और तीनों जगह छात्राओं को परेशानी हो रही थी, जिसके बाद उन्हें घर भेज दिया गया है। स्थिति सामान्य होने पर उन्हें हॉस्टल आने की हिदायत दी गई है। हॉस्टल में रहने वाली एक छात्रा को उल्टी दस्त हो रही थी, जिसके बाद उसने अपने पेरेंट्स को बुलाया। परिजन उसे सिम्स लेकर गए। अस्पताल में छात्रा का इलाज चल रहा है। लगातार बढ़ रही बीमारी के बाद हॉस्टल में बच्चियों को छुट्टी दे दी गई है। शहर के चांटीडीह सहित अन्य मोहल्लों के बाद अब बिल्हा और मस्तूरी क्षेत्र के गांव में भी उल्टी-दस्त के मरीज मिलने लगे हैं। हालांकि, अब स्थिति सामान्य है। इस बीच डायरिया से बिलासपुर जिले में पांच लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, 500 से ज्यादा लोग बीमार हो चुके हैं। शहर के निचली बस्तियों के बाद ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य शिविर लगाने का दावा करने वाले स्वास्थ्य विभाग के अफसरों को कमला नेहरू गर्ल्स हॉस्टल में डायरिया और कंजक्टिवाइटिस फैलने की खबर तक नहीं है। स्वास्थ्य विभाग के अफसरों को हॉस्टल में रहने वाले छात्र-छात्राओं के बीमार होने की भी कोई जानकारी नहीं है। राजेंद्र नगर के इस कैम्पस में कमला नेहरू की तीन अलग-अलग हॉस्टल हैं, जिसमें कमला नेहरू ओल्ड गर्ल्स हॉस्टल, कमला नेहरू आदिवासी छात्रावास और कमला नेहरू नवीन छात्रावास शामिल हैं। हॉस्टल की अधीक्षिका पूनम गुप्ता ने बताया कि शुरुआती दौर में डायरिया के साथ ही कंजक्टिवाइटिस फैलने पर छात्राओं का इलाज कराया गया, जिसके बाद उनके पेरेंट्स से बात कर उन्हें घर भेज दिया गया है।