जो धर्म को संभालता है धर्म उसके पास सुख को अवश्य भेजता है

Update: 2024-08-28 03:48 GMT

रायपुर Raipur। श्री संभवनाथ जैन मंदिर विवेकानंद नगर में आत्मोल्लास चातुर्मास 2024 की प्रवचनमाला जारी है। मंगलवार को तपस्वी मुनिश्री प्रियदर्शी विजयजी म.सा. ने कहा कि दो परम मित्र हैं छगन और मगन,मगन का छोटा लड़का गुजर गया तो छगन ने अपने लड़के को कहा की मगन के यहां जाकर शोक मना कर आओ। लड़के ने कहा कि मेरा उनके बड़े लड़के के साथ झगड़ा हुआ है मैं नहीं जाऊंगा। तब पिता ने कहा की बेटा मगन हमारा बहुत ख्याल रखता है, मेरा परम मित्र है,उस नाते से भी तुझे जाना चाहिए और पिता के बहुत कहने पर छगन का लड़का मगन के घर पर गया। छगन मतलब धर्म और छगन का लड़का मतलब सुख तो जो धर्म को संभालता है धर्म उसको उसके पास सुख को अवश्य भेजता है । chhattisgarh news

मुनिश्री ने कहा कि शांति सूरीश्वरजी जी महाराज जीव को धर्म प्राप्ति का मार्ग बताते हुए कहते हैं कि जीवन में पाप का डर होना चाहिए लेकिन उसके पहले पाप का पक्षपात तोड़ना पड़ता है तो पाप का पक्षपात जीवन में है या नहीं उसे जानने के लिए....

(1) *यह देखना चाहिए के जीवन में बनी हुई कौन सी ऐसी घटना है जिसमें मुझे आनंद आता है* प्रवचन पूरा होने से 5 मिनट पहले जो मैं निकल जाता हूं और बाद में मुझे पता चलता है कि आज महाराज साहब में ने तीर्थ की रक्षा के लिए एक हफ्ते तक एकासणा करने का अभिग्रह दिया है तो उस समय मेरी मन:स्थिति क्या होती है मुझे आनंद आता है कि खेद होता है....

(2) *जीवन में कौन सी ऐसी परिस्थिति है जो खेद का अनुभव कराती है* कभी व्याख्यान में नहीं जाने वाले ऐसे हमको किसी मित्र ने प्रेरणा की और व्याख्यान में गए और उस दिन व्याख्यान में साधार्मिक के लिए फंड इकट्ठा हो रहा था, फंड इकट्ठा करने वालों ने हमारी तरफ से अच्छी खासी रकम लिख दी जो हमारी लिमिट में है उस समय मुझे आनंद आता है या खेद होता है....

(3) *हम कौन से कंपनसेशन को क्लेम करते हैं* तपस्या करने के बाद प्रभावना लेनी बाकी हो और दो दिन के अंदर की लिमिट दी गई हो तो वह लेना हमको याद आता है या फिर पर्युषण में एक प्रतिक्रमण रह गया हो उसके बदले में हम एक प्रतिक्रमण पर्युषण के बाद कर लें ऐसा याद आता है बस यही सारी बातें बताती है कि हमारे जीवन में धर्म का पक्षपात है या पाप का पक्षपात है।

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