राजनांदगांव। राजनांदगांव ग्राम शिवधाम मुड़पार (उपरवाह) में सप्त दिवसीय शिवमहापुराण कथा एवं द्वादश ज्योतिर्लिंग प्राणप्रतिष्ठा महोत्सव हो रहा है। इसी क्रम में शिवमहापुराण कथा के पांचवे दिन आज कथावाचक श्री रामप्रताप शास्त्री जी कोविद ने माता पार्वती जी के जन्म की कथा को विस्तार से बताया। उन्होंने कथा सुनाई कि माता सती के वियोग के पश्चात कैसे महादेव वैरागी हो जाते है और तब संसार के कार्यों का निर्वाध संचालन के लिए माता पार्वती का जन्म होता है। जब मां जगत जननी बाल्यकाल में थी तब देवऋषि नारद माता मैना से उनके भविष्य के विषय में बताती है उसी कथनों के परिपालन में माता, सदाशिव को पाने के लिए कठिन तप करती है। भगवान शिव माता की कठिन तपस्या देख स्वयं परीक्षा लेने आते हैं और उन्हें भ्रमित करने का प्रयास करते हैं। लेकिन उन्हें अपने गुरु नारद के वचन याद थे। उन्होंने समस्त प्रलोभनों को त्याग कर शिव को ही पति रूप में पाना चाहा। जिससे महादेव प्रसन्न होकर उनसे विवाह करते है। गुरुदेव ने बताया कि जो अपने गुरु के वचनों पर दृढता से विश्वास करता है।
उन्हें भगवान स्वमेव मिल जाते है। गुरु पर कभी भी संदेह नहीं करना चाहिए। अगर मां अपने गुरु नारद के वचनों पर विश्वास नहीं करती तो उन्हें शिव प्राप्त नहीं होते। कथा के दौरान जब शिव शक्ति विवाह का क्रम आता है तो बालिकाएं शिव और पार्वती का रूप धारण कर मंच पर आते है। शिव सज धजकर अपने गणों के साथ माता मैना के यहां आते है। शिवशक्ति परिणय उत्सव का साक्षी बनने पर भक्तजन जमकर थिरकने लगे। भक्तों ने छत्तीसगढ़ में विवाह उत्सव में गाया जाने वाले लोकगीतों का भी गायन किया। इस दौरान बच्चे बूढ़े सब इस भक्तिमय वातावरण में लीन हो गए। कल मंगलवार को इस महोत्सव के छठवें दिन कलश पूजन एवं द्वादश ज्योतिर्लिंग प्राणप्रतिष्ठा का पुनीत कार्य संपन्न किया जाएगा। इसमें सभी भक्तजन सम्मिलित होकर इस पर्व का लाभ लेंगे।