जारी विज्ञप्ति में आगे बताया गया है कि केंद्र सरकार द्वारा वर्ष में दो बार जनवरी और जुलाई में मूल्य सूचकांक के आधार पर केंद्र सरकार द्वारा अपने सेवारत कर्मचरियों/अधिकारियों जिसमें भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी भी शामिल है, सबके लिए बढ़ती महंगाई पर महंगाई भत्ता देने आदेश जारी की जाती है. इसी कड़ी में सेवानिवृत्त अधिकारियों और कर्मचारियों और परिवार पेंशनरों के लिए भी उसी तिथि से उसी दर से महंगाई राहत का आदेश केन्द्र सरकार द्वारा किया जाता है.
इसी प्रकार सभी राज्य सरकारों द्वारा भी अपने कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए तुरन्त आदेश करना चाहिए. परंतु देश में कुछ राज्य सरकारों को अन्य सभी राज्य सरकारे वित्तीय संकट के बहाने कई महीने तक आदेश रोक कर रखती है. जब भी महीनों बाद जब आदेश करती है तो पूरा एरियर हजम कर जाती है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण छत्तीसगढ़ राज्य है, जहाँ यह परंपरा बरसो से चल रही है. हद तब हो जाती है जब भारतीय प्रशासनिक सेवा के राज्य में पदस्थ अधिकारियों को केन्द्र के देय तिथि और दर पर एरियर सहित राज्य कोष से भुगतान कर दिया जाता है और राज्य सेवा के अधिकारी, कर्मचारी, तथा पेंशनर्स मुंह ताकते रह जाते हैं.
इसलिए राज्य सरकारों की मनमानी और शोषण से मुक्ति के लिए संसद में कानून पास करना जरूरी हो गया है. इस मामले पर भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ के निरंजन धर्मशाला रायपुर में 5-6 जनवरी 23 को आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन में प्रस्ताव पारित कर केन्द्र सरकार से मांग करेगा.