धर्मांतरितों को डी-लिस्ट करने की मांग
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। प्रदेश में डी लिस्टिंग (धर्म बदल चुके आदिवासियों, या आरक्षित वर्ग को आरक्षण के लाभ से बाहर करने) को लेकर बड़ा आंदोलन होने जा रहा है। इसे लेकर भाजपा और कांग्रेस आमने सामने है। आंदोलन को पीछे से क्रस्स्, विश्व हिंदू परिषद और बजरंगदल जैसे संगठनों का पूरा समर्थन है। इसे प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने षडय़ंत्र बताया है।
शनिवार को मीडिया से चर्चा में डिलिस्टिंग को लेकर हो रहे आंदोलन पर मुख्यमंत्री का बयान सामने आया, ष्टरू ने कहा- दिल्ली में यह प्रदर्शन करना चाहिए। यह फैसला भारत सरकार लेगी। इसलिए उनके ही पास जाकर बोलना चाहिए, छत्तीसगढ़ में रैली करने का कोई मतलब नहीं। यहां भारतीय जनता पार्टी , क्रस्स् , बजरंग दल , विश्व हिंदू परिषद सारे मिलकर लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। ये सिर्फ षडय़ंत्र कर रहे हैं।
धर्मातरण कराने वालों को कांग्रेस का प्रश्रय: बृजमोहन
भाजपा की भूमिका को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की टिप्पणी पर बृजमोहन अग्रवाल ने कहा है कि उनकी कांग्रेस पार्टी ही आदिवासियों के धर्मांतरण कराने वालों को प्रश्रय देती है। इसीलिए वो डी लिस्टिंग को लेकर आंदोलित आदिवासियों के आंदोलन पर उंगली उठा रहे है। देश भर के आदिवासी अपने अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए चिंतित है। ऐसे बहुत से लोग हैं जो धर्म परिवर्तन करके अपनी आस्था,अपनी संस्कृति,अपने संस्कारों और अपनी परंपराओं को परिवर्तित करने के बाद भी आदिवासियों की सुविधाएं ले रहे हैं। आदिवासियों के अधिकारों को छीन रहे हैं। भाजपा संस्कृति की रक्षा का काम कर रहीे है।
नारायणपुर की घटना भी इसी का परिणाम है। बस्तर में कई जगह हालत ये है कि आदिवासी समाज अपने श्मशान घाटों में धर्म परवर्तित कर ईसाई बने लोगों को दफनाने की जगह नहीं दे रहा है। यह एक गंभीर समस्या बनकर सामने आई है। पादरी भगवा कपड़ा पहन रहे हैं, धर्म बदलने वाले का नाम नहीं बदला जाता। पूर्व में रही सरकारों ने अपने निजी स्वार्थ के लिए आदिवासी समाज को तोडऩे के लिए धर्मांतरण का कुचक्र चलाया है। बृजमोहन अग्रवाल ने आगे कहा- कांग्रेस नेताओं को सपने में भी आरएसएस और भाजपा दिखने लगी है। वो अपनी गलतियों को देखें किस प्रकार से आदिवासियों के अधिकारों को छीन रहे हैं।
आज जुटेंगे आदिवासी : प्रदेश के जनजाति वर्ग के आरक्षण को खत्म करने उन्हें विशेष व्यव्स्थाएं जो सरकार की ओर से मिलती हैं उसे खत्म करने का अभियान चलेगा। ये अभियान ऐसे जनजाति वर्ग के लोगों के खिलाफ चलेगा जो ईसाई या इस्लाम धर्म कबूल चुके हैं। मुहिम रायपुर में 16 अप्रैल को एक बड़ी रैली के साथ शुरू होगी। इसकी अगुवाई जनजाति सुरक्षा मंच की ओर से की जाएगी। अब इस रैली में एक ही मांग सरकार से की जाएगी वो है डीलिस्टिंग, इसका सीधा मतलब ऐसे लोगों को आरक्षण की लिस्ट से हटाना है जो धर्मांतरण कर चुके हैं।
क्या कहते हैं अभियान चलाने वाले : संगठन के गणेश राम भगत (राष्ट्रीय संयोजक, जनजाति सुरक्षा मंच), भोजराज नाग (संयोजक), रोशन प्रताप सिंह (संयोजक) और संगीता पोया (सह-संयोजिका) ने आंदोलन के बारे में बताया। इन पदाधिकारियों ने कहा- दरअसल जनजाति समाज को आरक्षण इसीलिए दिया गया है ताकि उनकी सामाजिक, आर्थिक स्थितियों को ऊपर उठाया जा सके। लेकिन जनजाति आरक्षण का मूल उद्देश्य तब अर्थहीन हो जाता है, जब जनजाति अपने मूल संस्कृति एवं रीति-रिवाजों को अस्वीकार कर दूसरे धर्म में परिवर्तित हो जाता है तो वह जनजातियों को मिलने वाले लाभों को उठाने का पात्र कैसे हो सकता है ?
भरोसे के सम्मेलन को रमन ने बताया तमाशा, भूपेश ने किया पलटवार
़बस्तर में हुए भरोसे का सम्मेलन को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आमने-सामने हैं। एक तरफ भूपेश सरकार बस्तर को ब्रांड बनाने की बात कर रही है तो दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री डा. सिंह उनकी सरकार में ही बस्तर की ब्रांड बनने की बात कह रहे है। डा. सिंह ने बस्तर में पत्रकार वार्ता लेकर भरोसे के सम्मेलन को तमाशा करार दिया है और कहा कि प्रदेश सरकार जनता का भरोसा खो चुकी है।कांग्रेस को पता है कि उसकी सरकार छह माह बाद जाने वाली है इसलिए यह पूरा तमाशा किया है। इस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कड़ी प्रतिक्रिया दी और कहा कि रमन सिंह कोई सम्मेलन नहीं करा सकते, इसलिए उनको तमाशा लग रहा है। लोगों को जबरदस्ती ढोकर बंदूक की नोक पर भीड़ लाते थे। बिलासपुर के बंगाली समाज के आयोजन में शामिल होने से जाने के पहले मुख्यमंत्री बघेल ने मीडिया से चर्चा की। उन्होंने कहा- भूपेश सरकार नक्सलियों के सामने हाथ खड़े कर चुकी है। भाजपा शासनकाल में सुरक्षा बल अंदर तक घुसकर आपरेशन चलाते थे। अभी इसकी अनुमति नहीं है। प्रदेश में नक्सलवाद बढ़ रहा है। विकास के सारे काम ठप है। केंद्र सरकार के पैसे से ही कुछ काम हो रहे हैं। प्रदेश सरकार के पास सडक़ों की मरम्मत कराने के लिए पैसा नहीं है। तेंदूपत्ता और वन अधिकार पत्र को लेकर भूपेश सरकार ने जनता को गुमराह किया। भूपेश बघेल की सरकार के समय 2021 में मात्र 13 लाख मानक बोरा तेंदूपत्ता खरीदा गया। इसी तरह पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के समय 2008 से 2018 तक हर साल औसतन 41 हजार वन अधिकार पत्र का वितरण किया गया जबकि भूपेश सरकार औसतन साढ़े 16 हजार वन अधिकार पत्र ही बांट पा रही है। भूपेश बस्तर को ब्रांड बनाने की बात कह रहे हैं। यह पहले से ही ब्रांड है। मुख्यमंत्री बघेल को प्रियंका गांधी को लाकर अपनी तारीफ करानी पड़ रही है। कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में प्रियंका गांधी की छवि भी चमकाना है। राहुल गांधी ने चार वर्ष पहले जो भरोसा दिलाए थे वह खंड-खंड हो चुका है। भरोसा टूट चुका है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दिया जवाब: रमन सिंह के मुख्यमंत्री बनने के बाद बस्तर में कोई सैलानी नहीं जाता था। छत्तीसगढ़ के लोग भी नहीं जाते थे। यहां व्यापारी, आदिवासी नौजवान डरे हुए थे। फर्जी एनकाउंटर कराया। भोले-भाले आदिवासी परेशान थे। आए दिन आइडी ब्लास्ट हुआ। ये पहचान बनाकर रखे थे। रमन सिंह के समय यहां लोगों के पास न जाब कार्ड था, न राशन कार्ड और न ही आधार कार्ड था। कैंप लगाकर हमने सारे कार्ड बनाए। उस समय जवानों को राशन पहुंचाने के लिए मशक्कत करनी पड़ती थी। आज गरीब लोगों के घर राशन पहुंच रहा है। बस्तर में रमन सिंह ने जो जमीन छीने थे उसे वापस कराया। जो लघु वनोपज संग्रहण करते थे उनको प्रोत्साहित कर बढ़ावा दिया। लोगों को रोजगार से लगाया। शिक्षा और स्वास्थ्य से जोड़ा। बंद स्कूलों को खोला। हमने आदिवासियों को जल, जंगल,जमीन का अधिकार दिया। बस्तर की पुरानी पहचान थी। बस्तर का दशहरा, प्राकृ तिक सौंदर्य की पहचान, आदिवासी संस्कृ ति की पहचान विलुप्त हो गई थी। हमने पुराने दौर को वापस दिलाने का काम किया। यहां की बोली-भाषा, उनके नृत्य, संगीत, तीज-त्योहार को सहेजने का काम किया।