दीपक बैज बने छत्तीसगढ़ कांग्रेस कमेटी के नए अध्यक्ष, सीएम भूपेश ने दी बधाई

छग

Update: 2023-07-12 15:53 GMT
रायपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नवनियुक्त अध्यक्ष दीपक बैज को नए दायित्व के लिए बधाई एवं शुभकामाएं। हमारे निवर्तमान अध्यक्ष मोहन मरकाम का संगठन का सफल नेतृत्व करने के लिए आभार। दीपक बैज के प्रदेश अध्यक्ष आदेश बनने के आदेश के पहले ही अपने समर्थकों के साथ दिल्ली के लिए रवाना हो गए थे और जैसे ही दीपक बैज दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचने वाले थे उनके नाम में पीसीसी चीफ का पद भी उनके साथ-साथ दिल्ली तक पहुंच गया। और अभी कुछ देर पहले ही छत्तीसगढ़ से रवाना हुए दीपक बैज अपने समर्थकों के साथ दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचे है।
जनता से रिश्ता समाचार पत्र ने आज से तीन महीने पहले ही अपने समाचार में प्रकाशित किया था कि सांसद दीपक बैज को जल्द ही मोहन मरकाम की कुर्सी पर बिठाया जाएगा। इस फैसले को लाने में भले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को थोड़ा समय लगा लेकिन आख़िरकार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपनी और कांग्रेस पार्टी की ताकत का अच्छा प्रदर्शन किया है।

बस्‍तर से सांसद दीपक बैज को प्रदेश कांग्रेस का नया अध्‍यक्ष बनाया गया है।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्वीट कर लिखा किछत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नवनियुक्त अध्यक्ष दीपक बैज को नए दायित्व के लिए बधाई एवं शुभकामनाएं। मुख्यमंत्री ने ये प्रदर्शन करके अपनी बढ़ती हुई ताकत का एहसास कराया है।

पूर्व पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम ने दी बधाई 

इस साल के अंत में छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होना है। और चुनाव के पहले छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी को नया अध्यक्ष मिल सकता है वैसे भी पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम का कार्यकाल पूरा हो चुका है,ऐसे में नए पीसीसी अध्यक्ष की घोषणा जल्द की जा सकती है। पार्टी सूत्रों की माने तो इस बार एक अध्यक्ष और दो कार्यकारी अध्यक्ष बनाये जा सकते हैं। यह भी बताया जा रहा है की पीसीसी अध्यक्ष के लिए बस्तर के सांसद दीपक बैज का नाम सबसे टॉप में चल रहा है। चूंकि अध्यक्ष आदिवासी वर्ग से आते हैं साथ ही अन्य वर्ग जैसे ओबीसी और अनुसूचित जाति वर्ग को साधने के लिए दोनों वर्ग से कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाये जा सकते हैं। 2023 के नवंबर में छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव होने हैं। इस लिहाज से पार्टी किसी भी समाज को नाराज़ करना नही चाहती।चुनाव से पहले प्रदेश में कांग्रेस पार्टी में बड़े बदलाव की अटकलें लगाई जा रही हैं। छत्तीसगढ़ में काग्रेस पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर एक नया चेहरा देखने को मिल सकता है। लेकिन अंतिम फैसला कांग्रेस हाईकमान को लेना है। पक्की खबर यह भी आ रही है की सांसद दीपक बैज के नाम पर मुहर लगाई जा सकती है सूत्र यह भी बताते हैं कि नाम लगभग फाइनल हो गया है बस हाईकमान की मुहर लगना बाकी है।

दीपक बैज ही नए पीसीसी अध्यक्ष की कुर्सी संभालने वाले हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी दिल्ली में थे वे राहुल गाँधी के साथ सूरत भी गए थे वहां से दिल्ली वापसी में इन नेताओ के साथ दीपक बैज भी उनसे मिले थे। आल इंडिया कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष खरगे और राहुल गांधी से मुलाकात के बाद प्रदेश में बदलाव के कई तरह की अटकलें लगाई जानी शुरू हो गई थीं। इन अटकलों के बीच दो नेताओं का नाम सबसे ऊपर माना जा रहा था। जिसमें एक कैबिनेट मंत्री अमरजीत सिंह भगत तो दूसरे लोकसभा सांसद दीपक बैज शामिल हैं। वहीं इस बीच दीपक बैज दिल्ली भी पहुंच चुके हैं और दिल्ली पहुंचकर दीपक बैज ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात की। हालांकि छत्तीसगढ़ का कांग्रेस पार्टी का नया प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा इस बात का अंतिम फैसला हाईकमान को ही लेना है लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पसंद ना पसन्द को भी ध्यान में रखना होगा। जिस नाम पर भूपेश बघेल सहमत होंगे हाईकमान उसी नाम को ही फाइनल करेगी।
पहले अटकलें लगाई जा रही थी कि सरगुजा से आने वाले कैबिनेट मंत्री अमरजीत भगत को पार्टी की कमान सौंपकर मोहन मरकाम को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा, लेकिन कहते हैं कि यह समीकरण उस वक्त फेल हो गया जब भगत की ओर से अध्यक्ष नहीं बनने की बात रखी गई थी। भगत मंत्री मंडल में ही रहना चाह रहे थे लेकिन बदलती राजनीतिक घटनाक्रम को देखते हुए सहमति उनकी है परंतु अचानक युवा तुर्क और साफ सुथरी छवि के आदिवासी नेता दीपक बैज का नाम सामने आया।दीपक बैज को लेकर सहमति बनने की खबर के पीछे यह दलील दी जा रही है कि मरकाम कि तरह वह भी बस्तर से आते हैं, पार्टी के सांसद हैं, युवा चेहरे हैं। हाल ही में रायपुर में हुए अधिवेशन में भी युवा चेहरों को जिम्मेदारी देते हुए महत्वपूर्ण पदों पर लाने का प्रस्ताव पारित हुआ था। उस लिहाज से भी दीपक बैज फीट बैठ रहे हैं वे युवा हैं और आदिवासी वर्ग से भी आते है ऐसे में उनके नाम पर सबकी सहमति बनने में देर नहीं लगेगी। दीपक बैज बस्तर से ही होने के वजह से मोहन मरकाम की जगह आसानी से ले भी सकते हैं और आदिवासी वर्ग नाराज भी नहीं होगा साथ ही बस्तर में जो घटनाक्रम चल रहा है उसका हल भी बेहतर तरीके से खोज सकते हैं।
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