बैठक में निर्णय: छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड की 66 कालोनियां होंगी निगम के हवाले
रायपुर (जसेरि)। छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड की रायपुर समेत 14 जिलों में निर्मित 66 कालोनियों का स्थानीय नगरीय निकायों में हस्तांतरण करने की तैयारी की गई है। यह फैसला बोर्ड की बैठक में लिया गया। बोर्ड ने प्रस्ताव भी तैयार कर लिया है। जल्द ही इसे नगर निगमों को सौंप दिया जाएगा। इनमें रायपुर जिले की आठ, नवा रायपुर की दो, आरंग एक, दुर्ग की दो समेत 14 जिलों की कालोनियां शामिल हैं। दरअसल पिछले दिनों हाउसिंग बोर्ड के नवा रायपुर स्थित दफ्तर में संपन्ना हुई 66 वीं बैठक में सर्वसम्मति से यह फैसला लिया गया कि प्रदेश के 14 जिलों में बोर्ड की निर्मित आवासीय कालोनियों को स्थानीय नगरीय निकाय को हस्तांतरित किया जाएगा।
निगम में इन कालोनियों के शामिल होने से वहां रहने वाले हजारों रहवासियों को पानी, बिजली, साफ-सफाई समेत अन्य मूलभूत सुविधाएं निगम की तरफ से मुहैया कराया जाएगा। इससे लोगों को काफी लाभ मिलेगा, लेकिन इसके एवज में पैसा भी खर्च करना पड़ेगा। अभी इन कालोनियों के बोर्ड के अधीन होने से अधिकांश सुविधाएं नदारद हैं। न तो साफ-सफाई और न ही पीने के लिए साफ पानी लोगों को मिल पा है।
14 जिलों की कालोनी के रहवासियों को मिलेगा फायदा : रायपुर समेत जिन 14 जिलों की 66 कालोनियों को नगर निगम को सौंपने का प्रस्ताव हाउसिंग बोर्ड ने तैयार किया है, उनमें रायपुर, नवा रायपुर, आरंग, दुर्ग, भिलाई, चरोदा, कुम्हारी, राजनांदगांव, खैरागढ़, जगदलपुर, बिलासपुर, कोरबा, कटघोरा, रायगढ़, अंबिकापुर, जगदलपुर, बेमेतरा आदि जिले की कालोनी हैं।
फ्री होल्ड पॉलिसी से हाउसिंग बोर्ड-आरडीए का राजस्व बढ़ेगा
छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड और आरडीए द्वारा कमर्शियल प्लानिंग के तहत में बेची गई प्रॉपर्टी का लंबे अरसे बाद हितग्राहियों को लाभ मिलेगा। काफी समय से प्रॉपर्टी को फ्री होल्ड करने मांग हितग्राहियों ने रखी थी, अब राज्य शासन ने हाउसिंग बोर्ड के साथ ही आरडीए की पुरानी पॉलिसी में राहत देने मंजूरी दी है। राहत के इस आदेश के बाद लगभग 1000 करोड़ की प्रॉपर्टी में आमदनी बढऩे की संभावना है। अफसरों के मुताबिक मौजूदा स्थिति में महंगी प्रॉपर्टी से टैक्स वसूली पर प्रभाव पड़ेगा। सरकार के निर्णय के अनुसार नई व्यवस्था लागू होने के बाद आरडीए और हाउसिंग बोर्ड की योजनाओं में व्यावसायिक प्रयोजन से बेची गई प्रॉपर्टी को फ्री होल्ड किया जाएगा। हितग्राही इसके लिए जल्द ही आवेदन प्रस्तुत कर सकेंगे। लंबे समय से जाम प्रॉपर्टी की राशि में कन्वर्शन शुल्क और फिर ग्राउंड रेंट के हिसाब में 2 से 5 प्रतिशत टैक्स वसूल किया जा सकेगा। अफसरों का कहना है कि इस पॉलिसी से आरडीए और हाउसिंग बोर्ड दोनों के राजस्व की स्थिति में सुधार हो सकेगा। कमर्शियल प्लानिंग में प्रॉपर्टी खरीदीने वाले भी जल्द से जल्द बकाया टैक्स की भरपाई कर सकेंगे।
आरडीए के अफसरों का कहना है कि कमर्शियल प्लानिंग में हालात सुधरने के बाद आवक बढ़ेगी। इसके बाद नए प्लान पर फोकस किया जा सकेगा। आरडीए पर बैंक को लगभग 300 करोड़ रुपए कर्ज लौटाने का दबाव है। रेवेन्यू की आवक बढऩे के बाद रुके हुए प्रोजेक्ट में संचालक मंडल आगे निर्णय ले सकेगा। कमर्शियल प्लान ने दिया झटका हाउसिंग बोर्ड और आरडीए की प्लानिंग में कई जगहों पर हितग्राहियों ने महंगे शॉप तो खरीदे हैं, लेकिन वहां पर व्यापार की संभावनाएं हर दिन कम हुई हैं। महंगी कीमत पर प्रॉपर्टी खरीदे जाने और नुकसान होने के बाद लीज सिस्टम खत्म कर प्रॉपर्टी फ्री होल्ड करने की मांग चल रही थी, इसी पर राज्य शासन ने सहमति प्रदान की है।
फंड की तंगी के चलते प्रोजेक्ट बंद
हाउसिंग बोर्ड और आरडीए की तरफ से पुराने समय में तय की गई आवासीय प्लानिंग के तहत निर्माण कार्य पूरी तरह से रोक दिया गया है। फंड की तंगी के चलते नए आवास निर्माण की फाइलें वापस हुई हैं और नई कार्ययोजना पर सुझाव फिलहाल कागजों में डंप हैं। आरडीए की तरफ से बोरियाखुर्द, कमल विहार जैसी बड़ी योजनाओं पर निर्माण कार्य बंद करने फैसला किया गया है।