दंतेवाड़ा। दंतेवाड़ा जिले के अरनपुर में नक्सली हमले में 10 जवान और एक ड्राइवर की मौत हो गई थी। जवानों के साथ शहीद हुए निजी वाहन चालक धनीराम यादव पिछले 5 सालों से ड्राइवरी का काम करते थे। वे छत्तीसगढ़ के गीदम शहर के रहने वाले थे। उनके परिवार में कमाई करने वाला सिर्फ एक शख्स था और वो थे धनीराम, उनके शहीद होने के बाद से परिवार में संकट की घड़ी आ गई है। उन्हें तो देश के लिए वीरगति प्राप्त हो गई, लेकिन सवाल यह उठता है कि उनके परिवार का क्या होगा। परिवार में बूढ़ी मां, पत्नी और 2 छोटे बच्चें है, जिनका रो-रोकर बुरा हाल हैं। इस घटना में उनका सब कुछ खत्म हो गया है।
आपको बता दें, गीदम के कुम्हरपारा स्थित धनीराम का घर आप देखेंगे तो पता चलेगा कि, उनका पूरा घर कच्चा यानी पक्का मकान भी रहने के लिए नहीं है। इनका परिवार आर्थिक तंगी में गुजर-बसेरा करता है। अब आप सोच सकते है कि अगर घर में एक ही आदमी कमाने वाला है और वो ही दुनिया से चला जाए तो उनका घर जीवन-यापन कैसे करेगा।
धनीराम यादव के शहीद होने के बाद परिवार के लोग सरकार से सहायता की आस लगाए बैठे है। उनका सोचना है कि परिवार के किसी एक सदस्य को सरकारी नौकरी मिल जाए तो गुजर-बसर में सहायता मिलेगी। इस घटना के बाद यह कहना गलत नहीं होगा कि, नक्सलियों द्वारा लगाए गए बारूद की चपेट में आकर केवल धनीराम की मौत नहीं हुई। बल्कि पूरे परिवार के लोगों का जीवन दाव पर लग गया।
दंतेवाड़ा में IED ब्लास्ट के बाद 10 वीर जवान शहीद हुए थे। और 1 ड्राइवर शहीद हो गया था। इनमें से सुकमा के पोलमपल्ली के रहने वाले प्रधान आरक्षक जोगा सोढी, प्रधान आरक्षक मुन्ना राम कड़ती, प्रधान आरक्षक क्रमांक संतोष तामो, नव आरक्षक क्रमांक दुल्गो मण्डावी, नव आरक्षक क्रमांक लखमू मरकाम, नव आरक्षक जोगा कवासी, नव आरक्षक हरिराम मण्डावी, गोपनीय सैनिक राजू राम करदम, गोपनीय सैनिक जयराम पोड़ियाम, गोपनीय सैनिक जगदीश कवासी और वाहन चालक धनीराम यादव शहीद हुए है।