दंतेवाड़ा जिले में कीट पालन कर महिलाऐं खाली समय का सदुप्रयोग करने के साथ-साथ स्वावलम्बी बनने की ओर अग्रसर हैं। रेशम कीट पालन के व्यवसाय को अपनाकर अपनी आमदनी में इजाफा कर रहीं हैं। चितालंका निवासी हीरामती यादव एक सफल उद्यमी के रूप में उभर कर आई हैं। वह शहतूती रेशम केन्द्र चितालंका में कार्यरत महिला रेशम कृमिपालन समिति के सदस्यों में से एक सक्रिय महिला हितग्राही है, जो विगत कुछ वर्षों से रेशम विभाग के सहयोग से मलबरी कोया कृमिपालन का कार्य कर रही है। श्रीमती यादव द्वारा वर्ष 2020-21 में मानसून एवं बसंतकालीन फसल के दौरान 170 मलबरी स्वस्थ डिम्ब समूह कृमिपालन का कार्य कर कुल 98 किलो ग्राम मलबरी कोया का उत्पादन किया गया। उत्पादित कोया को उन्होंने ककून बैंक चितालंका को विक्रय किया। जिससे उन्हें 15 हजार 3 सौ 81 रूपये का आर्थिक लाभ प्राप्त हुआ। कोसाफल उत्पादन के अतिरिक्त रेशम केन्द्र चितालंका में कृमिपालन की तैयारी के लिए किए गए, मजदूरी कार्य से श्रीमती यादव को 18 हज़ार 8 सौ 91 रुपये प्राप्त हुए। इस प्रकार कृमिपालन एवं मजदूरी कार्य से उन्हें कुल 34 हज़ार 272 रुपये की आमदनी प्राप्त हुआ। रेशम रोजगार से जुड़कर प्राप्त हो रही अतिरिक्त आमदनी से श्रीमती यादव सन्तुष्ट एवं प्रसन्न है एवं भविष्य में भी वे इस रोजगार साधन से जुड़े रहने की इच्छा व्यक्त करती हैं। समिति की अन्य महिलाए भी इनके कार्य से प्रेरित होकर अच्छा कार्य करने का प्रयास कर रही है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार हेतु कम समय में अधिक आय अर्जित करने के उद्देश्य से यह महिलाओं के अनुकूल व्यवसाय के रूप में उभर कर आया है।