- आऊटरों में धड़ाधड़ अवैध प्लाटिंग से नगर प्रशासन की नींद उड़ी
- हर जोन में 25 से ज्यादा अवैध प्लाटिंग का मामला
- आरंग-धरसीवां और माना में सबसे ज्यादा अवैध प्लाटिंग की शिकायत
- कलेक्टर और निगम आयुक्त के निर्देश के बाद ढहाया गया अवैध कंट्रक्शन
- अवैध प्लाटिंग पर जिला प्रशासन ने की कार्रवाई - रायपुर जिला प्रशासन के राजस्व विभाग आज अवैध प्लाटिंग पर एक्शन मोड में आई और बड़ी कार्रवाई की है। राजस्व विभाग द्वारा परसुलिडीह में अवैध प्लॉटिंग पर कड़ी कार्रवाही करते हुए सीमेंट कांक्रीट सड़क को तोड़ दिया है। मामला परसुलिडीह का है । जहां तहसीलदार अजय चंद्रवंशी और नगर निवेश विभाग के उप संचालक बी.केरकेट्टा ने आज क्षेत्र में चल रहे अवैध प्लाटिंग वाली जगह पहुंचे और अवैध रूप से बनायी गई सीमेंट कांक्रीट सड़क को तोड़ दिया। इस दौरान हल्का पटवारी सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण भी मौजूद थे। परसुलीडीह में खसरा नम्बर 72/1 में दर्ज लगभग दो एकड़ कृषि भूमि पर यह अवैध प्लाटिंग और अवैध निर्माण कराया जा रहा था। यह जमीन रामेश्वर ठाकुर के स्वामित्व की बताई जा रही है। इससे पहले भी इसी भूमि पर अवैध प्लाटिंग को लेकर टॉउन एण्ड कंट्री प्लानिंग और राजस्व विभाग के अधिकारियों ने शिकायत कर मौका मुआयना किया था। अधिकारियों ने इसके बाद अवैध प्लाटिंग और अवैध निर्माण करने वाले को नोटिस भी जारी की थी। यहां अवैध प्लाटिंग कर्ताओं ने आठ सौ वर्ग फीट से लेकर पंद्रह सौ वर्ग फीट तक के 31 प्लॉट काटे है, जिनके लिए बनायी गयी सी.सी. सड़क को आज प्रशासन की टीम ने तोड़ दिया है। कलेक्टर ने खसरा ब्लॉक करने दिए निर्देंश – राजस्व अधिकारियों की कार्रवाई के बाद अवैध प्लाटिंग पर सख्त रूख दिखाते हुए कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर भूरे ने परसुलीडीह पटवारी हल्का के खसरा नम्बर 72/1 को ब्लॉक करने के निर्देंश उप पंजीयक को दिए है। इस खसरे के ब्लॉक होने से अब इसमें शामिल भूमि की खरीदी बिक्री और रजिस्ट्री प्रतिबंधित रहेगी।
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। राजधानी में बिल्डरों की प्रापर्टी में कोई उठाव नहीं होने और फ्लैटों का क्रेज खत्म होते ही बिल्डरों ने तुरंत रास्ता बदल कर कमाई का नया रास्ता निकाल लिया है। राजनीतिक रसूख वाले छुटभैया नेता और अधिकारियों से साथ मिलकर अवैध प्लाटिंग में भागीदारी शुरू कर दी है। लोगों को अपना खुद का स्वतंत्र मकान बनाने की चाह को पूरा करने के लिए बिल्डरों ने भू-माफियाओं के साथ मिलकर सरकारी जमीन का बंदरबाट शुरू कर दिया है। सरकारी अधिकारियों को अवैध होने की जानकारी होने के बाद भी कार्रवाई करने के लिए शिकायत का इंतजार कर रहे है। जानकारों का कहना है कि बिल्डरों के फ्लैट अब कौड़ी के दाम में नहीं बिक रहा है, तो उसकी भरपाई करने के लिए सरकारी जमीन पर कब्जा कराकर अवैध प्लाटिंग का खेल शुरू कर दिया है। राजधानी के 70 वार्डों में 10 जोनों में हर जोन में 25 से ज्यादा मामले अवैध प्लाटिंग के शिकायतों पर कार्रवाई के मामले लंबित है। कलेक्टर-एसडीएम का कहना है कि नगर निगम के अधिकारी कार्रवाई के लिए समक्ष है उनके रिपोर्ट पर अवैध प्लाटिंग मामले में एफआईआर कर कार्रवाई की जाती है। अब तक निगम ने राजधानी के आसपास आउटरों में 50 से ज्यादा अवैध प्लाटिंग मामलों पर कार्रवाई कर उनके सड़क-नाली और कंसट्रक्शन को ढहा चुकी है। उसके बाद भी अन्य वार्डो में लोगों को सस्ते दर पर प्लाट देने के नाम पर अवैध प्लाटिंग का खेल बेखौफ चल रहा है।
बिल्डरों ने सरकारी योजनाओं की जमीन और कोटवारी जमीन के साथ घास भूमि को राजस्व अधिकारियों और छुटभैया नेताओं से सांठगांठ कर कूटरचित दस्तावेज तैयार कर धड़ाधड़ प्लाटिंग शुरू कर दी है। सरकार ने जब से अवैध कब्जा को वैध करने की घोषणा की है बिल्डरों ने सरकारी विभाग के अधिकारियों से मिलकर अवैध कब्जा का नया खेल शुरू कर दिया है। अब सरकार के पास जोन स्तर पर लगातार शिकायत आ रही है उनके जोन में अवैध प्लाटिंग कर सड़क बनाकर लोगों को सस्ते दाम में प्लाट बेचने का झांसा देकर लोगों को लूटना शुरू कर दिया है। लोगों की जिंदगी भर की कमाई से खुद का स्वतंत्र मकान बनाने के सपने को पूरा करने का झांसा देकर भू-माफिया राजधानी के आउटरों में किसानी जमीन को बिना डायवर्सन के धड़ाधड़ अवैध प्लाटिंग कर लोगों को बेच रहे है साथ ही मकान बनाकर देने का ठेका तक ले रहे हंै।
फ्लैटों की बिक्री नहीं,करोड़ों के कर्ज को चुकाने नया पैंतरा
बिल्डरों ने पिछले दो सालों में फ्लैटों राजधानी के आउटरों में सैकड़ों प्रोजेक्ट लांच किए जिसकी पूछपरख नहीं होने और प्रापर्टी मार्केट में उठाव नहीं होने से राजनीतिक रसूख वाले छुटभैया नेताओं और अधिकारियों से मिलकर सरकारी योजनाओं की जमीनों के आसपास जो जमीन खरीदी थी, उस पर बिना डायवर्सन और एनओसी के प्लाटिंग से कमाई करना शुरू कर दिया है। करोड़ों के कर्ज में दबे बिल्डरों ने कर्ज चुकाने के लाले पड़ते ही अवैध प्लाटिंग की ओर रूख कर दिया है। जिसमें अच्छी कमाई कर रहे है।
लोगों को खुद की जमीन खुद का आसमां देने का झांसा
जिन लोगों का फ्लैटों से मोह भंग हो चुका है ऐसे लोगों की तलाश बिल्डर के दलाल करते है और उसे अपनी चिकनी-चुकड़ी बातों से माइंडवाश कर उसे अवैध प्लाट सस्ते में खरीदने के लिए तैयार कर टोकन मनी तक ले रहे है। पहले भी बिल्डर के दलाल फ्लैट बेचने के लिए दलाली करते थे। अब फ्लैट का धंधा मंदा होते ही बिल्डरों ने सरकारी जमीन पर मनमाना कब्जा कर अवैध प्लाटिंग कर बेचने का खेल शुरू कर अपनी प्लैटों की बिक्री पर लगे ग्रहण को उतारने में सरकारी जमीन पर टोटका कर रहे है।
स्वतंत्र मकान की चाह बढ़ी
लोगों का फ्लैट सिस्टम से मोह भंग होते दिखाई दे रहा है लोगों का मूड अब फ्लैट में रहने के बजाय अपनी जमीन अपना आसमान के तर्ज पर स्वतंत्र मकान बनाना चाहते है। इसलिए प्लाट की बिक्री बढ़ गई है। जबकि निर्माण लागत बढऩे के बाद भी लोगों का सोचना है कि खुद की जमीन पर मकान बनाना सबसे अच्छा है जिससे बिल्डरों के झंझटों से मुक्ति मिलेगी। अपने हिसाब से लेआउट-नक्शा बनाओ और अपने पसंद के हिसाब से निर्माण कराआ, जितना लागत फ्लैट का ही उतने में ही स्वतंत्र मकान बन सकता है।
अवैध प्लाटिंग का खेल शुरू
रियल स्टेट में मंदी के दौर में फ्लैट के प्रति लोगों की अरूचि को देखते हुए छुटभैया नेताओं ने बिल्डरों के साथ मिलकर प्लाटों का मांग को देखते हुए अवैध कब्जा वाली जमीन पर लाटिंग का खेल शुरू कर दिया है। लोगों को सस्ते में प्लाट देने के झांसा देकर अवैध कब्जा वाली जमीन पर प्लाटिंग कर अनाप-शनाप कमाई करने में उतर गए है।
नजूल जमीन पर कब्जा कराने में सांठगांठ
छुटभैया नेता अधिकारियों के साथ मिलकर सरकारी जमीन का नक्शा खसरा निकलवाते है फिर उस पर कब्जा कर धड़ाधड़ अवैध प्लाटिंग कर बेच रहे है। आखिर इन छुटभैया नेताओं को सरकारी जमीन का रिकार्ड कौन उपलब्ध कराता है आज तक अज्ञात है। किसी दूसरे की जमीन को अपने नाम कराने का खेल पटवारी के साथ मिलकर हो रहा है।
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