अंबिकापुर। दुष्कर्म के ममाले में अपर सत्र न्यायाधीश फ़ास्ट ट्रैक, स्पेशल कोर्ट (पाक्सो एक्ट) पूजा जायसवाल की अदालत ने दस वर्ष कारावास और अर्थदंड की सजा सुनाई है। कोंडागांव जिले के मोज्ज्मपारा निवासी आरोपित सादिक खान (45) को उसके रिश्तेदार ने अपने घर में शरण दी थी। आरोपित शरण देने वाले की किशोरी बेटी को शादी का झांसा देकर भगा ले गया और दुष्कर्म किया।
अतिरिक्त लोक अभियोजक राकेश कुमार सिन्हा ने बताया कि सरगुजा जिला निवासी व्यक्ति ने आरोपित सादिक खान को अपने घर में शरण दी थी। वह घूम-घूम कर झाड़-फूंक करता था। लगभग चार माह साथ रहने के दौरान उसकी हरकतों से परेशान होकर उसे घर से निकाल दिया। इसके बाद आरोपित नजदीक के ही एक ग्राम में परिचित के यहां रहने लगा। 17 जनवरी 2017 को पीड़िता घर में अकेली थी। इसी दौरान आरोपित उसे बहलाकर अपने साथ ले गया। कुछ लोगों ने उसे किशोरी को लेजाते देखा। आरोपित के पकड़े जाने पर पता चला कि उसने किशोरी से दुष्कर्म किया है। आरोपित के खिलाफ अपहरण, दुष्कर्म और लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम की धाराओं के तहत अपराध दर्ज कर न्यायालय के आदेश पर उसे जेल दाखिल करा दिया गया। पूरे प्रकरण की जांच के बाद पुलिस ने न्यायालय में चालान पेश किया था। प्रकरण के सारे तथ्यों की सुनवाई और पर्याप्त साक्ष्यों के आधार पर अपर सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रेक स्पेशल कोर्ट (पाक्सो एक्ट) पूजा जायसवाल की अदालत ने आरोपित सादिक खान को धारा 363 के तहत तीन वर्ष कारावास 1000 अर्थदंड, धारा 366 के तहत 5 वर्ष कारावास 1000 अर्थदंड तथा धारा 376 के तहत 10 वर्ष कारावास और 3000 रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। धारा 363, 366 में अर्थदंड की राशि अदा नहीं करने पर एक- एक माह अतिरिक्त कारावास तथा धारा 376 में अर्थदंड की राशि अदा नहीं करने पर छह माह अतिरिक्त कारावास का प्रविधान भी न्यायालय ने किया है। न्यायालय ने प्रकरण में टिप्पणी भी की है कि जिस व्यक्ति को पूरे विश्वास के साथ पीड़ित परिवार ने घर में रखा था, उसी ने परिवार की नाबालिग को भगा ले जा दुष्कर्म कर न सिर्फ पीड़िता बल्कि उसके माता-पिता के साथ भी विश्वासघात किया है।