भ्रष्ट-दागदार अधिकारियों ने विद्युत विभाग को बनाया कंगाल

Update: 2024-05-20 05:00 GMT

आगजनी से बिजली विभाग को 50 करोड़ का नुकसान

रायपुर अग्निकांड : बिजली विभाग ने शासन को सौंपी रिपोर्ट, उठ रहे जांच पर सवाल

रायपुर में बिजली विभाग के गोदाम में लगी थी आग

रायपुर में बिजली विभाग में हुए अग्निकांड में सरकार को करोड़ों का नुकसान हुआ

रायपुर। दुनिया में छत्तसीगढ़़ को बिजली विभाग जिस तरह बिजली उत्पादन में नंबर वन है ठीक वैसे ही भ्रष्टाचार में भी दुनिया में नंबर वन है। बिजली विभाग के अधिकारियों को होली खेलने का बहुत शौक है, हर साल ट्रांसफार्मरों में आग लगाकर विभाग को चूना लगाने का खेल में उन्हें मजा आता है। बड़े -बड़े अधिकारियों को साल में इतना बजट मिलता है कि उन्हें खर्च नहीं कर पाते है, तो नए-नए उपक्रम कर हर साल कही न कही ट्रांसफार्मरों आग लगवा देते है फिर मेंटनेंस के नाम और नए ट्रांफार्मर खरीदी के नाम पर कालापीला करते हैं। जिसमें उन्हें 50 प्रतिशत तक कमीशन का ऑफर रहती है। बिजली विभाग अपने कारनामों से हर साल सुर्खियों में रहता है। विभाग के अधिकारी कोई न कोई ऐसा बेतुका काम कर देते हंै जिसके कारण हर साल विभाग की भद्द पिटती है। भद्द पिटने से अधिकारियों को कोई मतलब नहीं है उन्हें तो सिर्फ कमाई से मतलब है जो वो अपने गिरोह के साथ हर साल इस तरह की होली खेलकर विभाग को कंगाल बनाकर खुद मालामाल हो जाते हैं। उच्च अधिकारियों तक रिपोर्ट पहुंच नहीं पाती उसी का पायदा उटाते है।

गौरतलब है कि रायपुर में बिजली विभाग में हुए भीषण आगजनी की तपिश दिल्ली तक भी पहुंच गई थी। बिजली विभाग के गोडाउन में 5 अप्रैल का वह अग्निकांड, जिसने पूरी राजधानी दहशत में आ गई थी आसपास के लोगों को आनन फानन में घर खाली कर सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया गया था। झकझोर कर रख दिया था। शहर के बीचों बीच सीएसइबी के गोडाउन में लगी आग से सरकार के करोड़ों रुपये की बिजली मशीनरीज जलकर तबाह हो गई थी। महीने भर बाद जब बिजली विभाग ने जांच रिपोर्ट शासन को सौंपी है। तब चौंकाने वाले बिंदु सामने आए हैं. रिपोर्ट में बिजली प्रबंधन ने छत्तीसगढ़ सरकार को बताया है कि 5000 से अधिक नए पुराने ट्रांसफार्मर, बिजली के केबल, हजारों लीटर ऑयल समेत 50 करोड़ रुपये से भी अधिक की बिजली मशीनरीज जलकर खाक हो गई है, लेकिन आगजनी कैसे हुई? यह अब तक नहीं बताया जा सका है और ना ही महीने भर बीत जाने के बावजूद विभाग ने आज तक किसी भी अधिकारी पर कार्रवाई की. या उन्हें नोटिस देकर जवाब नहीं मांगी है जो संदेह के दायरे में है। उच्च अधिकारियों से तथ्य छुपाये गए हैं। सूत्र तो यह भी बता रहे हैं की यह जानबूझकर करोडो के घोटाले को छुपाने के लिए आग लगाई गई थी। एक एसई, दो ईई और दर्जनों कर्मचारियों के देखरेख में विभाग होने के बाद भी अग्निकांड सवाल खड़े कर रहे हैं। जबकि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने अधिकारियों को सचेत करते हुए कार्रवाई के स्पष्ट निर्देश दिए थे। ऐसे में बड़े भ्रष्टाचार के सुगबुगाहट के बीच बिजली विभाग के जांच रिपोर्ट पर ही सवाल उठने लगा है।

बिजली विभाग में यह भी बना चर्चा का विषय

बिजली विभाग में इस बात की भी चर्चा जोरों पर है कि गोडाउन में लंबे समय से बिजली उपकरणों की चोरी हो रही थी नए की जगह पुराने ट्रांसफार्मर रख दिए जा रहे थे, भ्रष्टाचार को लेकर गोडाउन में कुछ लोगों की संलिप्तता की बात भी चर्चा में रही। ऐसे में अचानक लगी आग को लेकर भी बड़ा सवाल है। जो जांच अधिकारियों को भी हजम नहीं हो रहा है। सबसे महत्वपूर्ण बात ये बी है कि जिम्मेदार अधिकारियों पर किसी की कार्रवाई न होना है।

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