कोरोना ने दिखाया बंगाल जैसे तेवर, संभाले नहीं संभल रहे हालात

Update: 2021-05-08 06:34 GMT

ज़ाकिर घुरसेना/कैलाश यादव

कोरोना पर काबू पाने में भारत सरकार ने देर कर दी, क्योंकि पांच राज्यों में चुनाव जो था। प्रधानमंत्री सहित केंद्रीय मंत्रिमंडल के लगभग सभी सदस्य और भाजपा शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री सहित काफी तादात में मंत्री कोरोना के चरमकाल में चुनावी दौरे करते नजर आये। एक पाठक का कहना था कि आज तक के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब प्रधानमंत्री एक राज्य में चुनाव रैली के गए लगभग दो दर्जन बार किसी प्रदेश में गए हों। उसके बावजूद भी हासिल कुछ नहीं हुआ, बल्कि कोरोना जरूर फैल गया। अब जब कोरोना ने रौद्र रूप धारण लिया तब सरकार जागी है, जबकि बहुत देर हो चुकी है। प्रधानमंत्री मोदी बंगाल चुनाव में भीड़ देख कर गदगद हो जाते हैं, और कहते थे इतनी भीड़ मैने कभी नहीं देखी। वहीं दिल्ली आते ही उनका सुर बदल जाता था। कहने लगते थे कि सोशल डिस्टेसिंग और मास्क को जरूरी बताते थे। वहीं योगी आदित्यनाथ ने तो लॉकडाउन लगाने से ही इंनकार कर दिया था। बहरहाल जो भी हो विश्व के लगभग अधिकतर देशों ने भारत को दिल खोल कर हर चीज से मदद किया है।

चुनाव खत्म रेट बढऩा शुरू

देखा गया है पिछले तीन से चार महीने तक डीजल-पेट्रोल के दाम बढऩे के समाचार अखबारों में नहीं आ रहे थे, क्योंंिक सामने चुनाव था। अब चुनाव खत्म हो गया है । समाचार भी अखबारों में दिखने लगे हैं। पिछले साल इसी मई महीने की तुलना में कच्चा तेल का रेट कम होने के बावजूद डीजल-पेट्रोल के दामों का बढऩा जारी है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि तेल देखो और तेल की धार देखो ।

भाजपाई जगह-जगह धरना दे रहे

पिछले दिनों बंगाल में भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या के विरोध में भाजपा नेता अपने-अपने घरों के सामने धरने पर बैठे। जनता में खुसुर फुसुर है कि चुनावी सभाओं के कारण हजारों लोग काल के गाल में समा गए, तब भाजपाइयों को धरना देना था, सुप्रीम कोर्ट को भी इसमें बोलना पड़ा था कि देश इमरजेंसी के दौर से गुजर रहा है और ये चुनावी रैली में व्यस्त हैं। उस समय इनको धरना देना था, तब नहीं दिए। मतलब देश की जनता होना उतना मायने नहीं रखता, जितना भाजपा कार्यकर्ता होना मायने रखता है।

पत्रकारों के हिमायती बने भाजपाई

भाजपा नेता मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर पत्रकारों को फ्रंटलाइन कोरोना वर्कर घोषित करने की मांग कर रहे। जनता में खुसुर-फुसुर है कि पंद्रह साल के राज में कम से कम पत्रकारों के लिए भरपूर पेंशन,बीमा और सुरक्षा पर ही ध्यान दे देते तो पत्रकारों की स्थिति सुधर गई होती। भाजपा कार्यालय में पत्रकारों को कैसे दौड़ा दौड़ा कर पीटा था, सब को याद है अब जब सरकार नहीं है तो पत्रकारों की याद आ रही है।

निजी अस्पतालों की मनमानी

कोरोनाकाल में निजी अस्पताल वालों ने जो धूम मचाया है, इतिहास बन गया है। भूपेश सरकार के आदेश के अनुसार हर बीमारी के इलाज का रेट तय कर दिया गया था, उसके बावजूद अस्पताल वालों का कोई रेट नहीं था। मनमाने फीस वसूले गए। जिसको जैसा मौका मिला वैसा दोहन किया। कही तो ऐसा तो नहीं है कि राजधानी के अधिकतर बड़े अस्पताल आईएएस-आईपीएस और नेताओं के स्वामित्व वाले हंै। इस वजह से सरकार के आदेशों को धता बताने में पल भर देर नहीं लगाते। पता नहीं इन अस्पताल वालों को जानकारी है कि नहीं कफन में जेब नहीं होती और कब्र में तिजोरी नहीं होती।

तीसरी लहर को लेकर भारी कनफ्यूजन

कोरोना की तीसरी लहर को लेकर भाजपा-कांग्रेस के साथ वैज्ञानिकों और आम जनता में बहुत ज्यादा कनफ्यूजन सामने आ रहा है। भाजपा वाले पश्चिम बंगाल चुनाव में मिली करारी शिकस्त तो, वहीं कांग्रेसी यह मान रहे है कि तीसरी लहर में निगम मंडलों की खेप उतरने वाली है। वहीं वैज्ञानिकों ने कोरोना स्टे्रन को लेकर साफ कहा है कि यह बच्चों के लिए खतरनाक हो सकता है इसलिए बच्चों को वैक्सीन लगाने की शुरआत हो गई है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि तीसरी लहर को किराना व्यापारियों की कमाई का है जो मनमाने दाम पर दाल, चावल, तेल, शक्कर बेचकर तीसरी लहर से पहले अपना असर दिखा दिया है। कोरोना से नहीं तो किराना समान के भार से आमआदमी मरने लगा है। तो फिर किसके लिए रोना क्योंकि ये कोरोना काल है, भाई सिर्फ रोना ही रोना है। कोई बचाने वाला नहीं है।

समाज सेवियों का योगदान

कोरोनाकाल में विभिन्न समाज सेवियों का पीडि़त मानवता के लिए दवाई, उपचार, भोजन सेवा और आक्सीजन सेवा, कोरोना केयर सेंटर में मरीजों को सेवा उपलब्ध कराई है वह सराहनीय है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि कोरोना को लेकर जब सरकार कोरोना किट और दवाई लक्षण वाले मरीजों के घर तक पहुंचा रहे ह,ै तो लोग क्यों कोरोना केयर सेंटर और अस्पतालों में जाकर कोरोना को घर साथ लेकर आ रहे है। कोरोना के लक्षण से बचाव वाले दवाइयों को घर में लेकर आइसोलेट होकर सेवन करें तो कोरोना की लड़ाई को बेहतर ढंग से जीता जा सकता है।

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