- ओडिशा-आंध्रप्रदेश से रायपुर होकर पूरे देश में गांजे की सप्लाई, अंतर्राज्यीय तस्कर सक्रिय
- पुलिस प्रशासन संज्ञान लेकर कर रही लगातार कार्रवाई
- राज्यों की सीमा पर सख्त चौकसी के बाद भी हो रही तस्करी
- स्थानीय व अंतर्राज्यीय तस्कर राजधानी रायपुर को बना रखा है कारिडोर
- गांजा तस्करों पर शिकंजा कसना जरूरी, तभी रूकेगी गांजे की तस्करी
- राजधानी के आसिफ-मुनाफ-रवि के गैंग पर आखिर कब होगी कार्रवाई
- जनता से रिश्ता जन सरोकार को लेकर चला रहा है पिछले दो साल से गांजा तस्करों के खिलाफ मुहिम
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। राजधानी का पहला मिड-डे अखबार अपने टैग लाइन के अनुसार जो दिखेगा वो छपेगा के तर्ज पर पिछले दो साल से गांजा, अफीम,अवैध शराब,सट्टाृ-जुआ,हुक्काबार सहित नशे के अन्य के खिलाफ समाचार प्रकाशित कर जनसरोकार के मुद्दे को प्रशासन को अवगत करा रहा है। पुलिस प्रशासन संज्ञान लेकर लगातार कार्रवाई कर रही उसके बाद भी तस्करों के हौसले बुलंद है। पुलिस की सख्ती को चकमा देकर नए -नए तरीके अपना ररहे है। पुलिस की सख्त कार्रवाई से पत्थलगांव में गांजा तस्करों ने पुलिस से बचने की जुगत में वाहन को धार्मिक जुलूस में घुसा दिया जिसमें कई लोग जख्मी हुए और एक की मौत हो गई । घटना के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सख्त रूख अपनाते हुए गांजा तथा अन्य मादक पदार्थो व दीगर अवैध नशे के कारोबार पर अंकुश लगाने सख्त निर्देश दिए थे। और इस सम्बन्ध में प्रदेश के सीमावर्ती स्थानों में चेकपोस्ट पर कैमरे लगाने हेतु तत्कालीन डीजीपी डीएम अवस्थी को तत्काल एक्शन लेने के निर्देश दिए गए थे। डीएम अवस्थी ने इस तारतम्य में सभी पुलिस अधीक्षकों को प्रदेश के सीमावर्ती राज्यों से अवैध गांजा और मादक पदार्थो के छत्तीसगढ़ में प्रवेश नहीं होने हेतु सख्त कदम उठाने तथा तस्करों पर कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। उससे ऐसा लगने लगा था कि अब गांजा तस्करों की शामत आने वाली है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर ओडिशा सहित महाराष्ट्र यूपी -बिहार की पुलिस अधिकारियों की बैठक हुई। उन्होंने गांजा तस्करी रोकने के लिए ठोस कार्ययोजना बनाने और सीमावर्ती चेक पोस्ट में सीसीटीवी कैमरे की व्यवस्था के साथ ही 24 घंटे निगरानी के लिए पुलिस बल तैनात करने को कहा था। मुख्यमंत्री ने राज्य के पुलिस महानिदेशक और विशेष पुलिस महानिदेशक नक्सल आपरेशन को इस संबंध में तत्काल आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए थे। छत्तीसगढ़ में लगातार गांजा तस्करों के पकड़े जाने को देखते हुए मुख्यमंत्री ने दो हफ्ते पहले भी डीजीपी को सीमा में चेक पोस्ट बनाकर तस्करों को बार्डर में ही पकडऩे के निर्देश दिए थे। इसके बाद डीजीपी ने सभी सीमावर्ती जिलों के एसपी को चेक पोस्ट पर सीसीटीवी के जरिए निगरानी और तस्करों पर लगाम कसने को कहा था। इसके बाद प्रदेश में नए डीजीपी की नियुक्ति हो गई। और अधिकारी नए साल की होने वाली पार्टी में उलझ कर रह गए और तस्करों को अच्छा मौका हाथ लग गया। करोड़ों रुपयों के अवैध नशे के सामान रायपुर होकर अन्य प्रदेशों में सप्लाई हो गई। अब पुलिस की सख्ती के बाद बस्तर, महासमुंद, कवर्धा में बड़े खेप पकड़ेे गए। बीते दिनों कोंडागांव पुलिस ने एक क्विंटल गांजा वाहन के छत पर डालकर ओडिसा से बस्तर के रास्ते राजस्थान ले जाते हुए दो तस्करों को पकड़ा। पत्थलगांव हादसे के बाद मुख्यमंत्री ने इस पर सख्ती दिखाते हुए अधिकारियों को तस्करी रोकने और सख्त निगरानी के निर्देश देने के बाद नशे के कारोबारी सहम गए थे, लेकिन प्रशासनिक फेरबदल और नए साल के आगमन ने इन तस्करों के लिए फिर से कारोबार के दरवाजे खोल दिए। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट रूप से निर्देश दिए थे कि सीमावर्ती जिले जिनकी सीमाएं अन्य प्रदेशों से लगती है वहां पर चेकपोस्ट में कैमरे तत्काल लगाया जाये एवं जहां जरुरत हो वहां चेकपोस्ट बनाया जाये ताकि गांजा और अन्य मादक पदार्थो की तस्करी पर प्रभावी रूप से अंकुश लग सके।
छत्तीसगढ़ तस्करों का सुरक्षित कारिडोर
ओडिसा छत्तीसगढ़ के महासमुंद, गरियाबंद, धमतरी, कांकेर व बस्तर के रास्ते गांजे की बड़ी खेप देश के दूसरे राज्यों में पहुंचती है। पुलिस लगातार गांजे की बड़ी खेप पकड़ रही है, उसके बाद भी रोजाना गांजे की तस्करी करने वाले अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे है। गांजे की तस्करी रोकने में पुलिस अमला कुछ हद तक नाकाम भी हो रहा है, वहीं ओडिसा से महासमुंद जिले के रास्तों से भारी मात्रा में गांजे की खेप रायपुर होकर यूपी, बिहार, मध्यप्रदेश पहुंच रही है। ओडिसा और छत्तीसगढ़ के स्थानीय तस्कर राजधानी में भी बड़ी मात्रा में गांजे की सप्लाई कर रहे हैं। शहर भर में गांजा पीने वालों की बड़ी तादाद अनगिनत है। नशे का व्यापार पूरे शहर में पैर पसारते जा रहा है नशे के सौदागरों ने राजधानी को अपना गुलाम बना लिया है और युवाओं को दलाल। ये वो दलाल है जो चंद रुपयों के लिए नशे के दलदल में धंसते जा रहे हैं। खुलेआम हो रही गांजे की तस्करी बस्तर पुलिस ने अब तक जितना भी गांजा पकड़ा है उनमें 90 फीसदी मामलों में तस्करों के हौंसलों को समझा जा सकता है कि तस्करों ने गांजा ले जाने के लिए लुकाछिपी का खेल ही नहीं खेला। तस्कर सीधे ट्रक, कार, बाइक में ही बोरियों और बैग में गांजा भरकर निकल पड़ते है। हाल ही में नगरनार पुलिस ने राजस्थान के तस्करों को कार में भरे गांजा समेत पकड़ा, इसमें तस्करों ने गांजा डिक्की में रखा था। कुछ गिनती के मामले ही ऐसे है जिनमें तस्करों ने गांजा छिपाने के लिए सब्जी की गाडिय़़ों या फिर गुप्त चेंम्बर वाली गाडिय़ों का इस्तेमाल किया हो। इसके अलावा महासमुंद-कवर्धा जिले में बड़ी खेप पकड़ी गई है। जिसमें तस्कर सब्जी व अन्य माल ढुलाई की आड़ में गांजा तस्करी करते पकड़े गए।
वाहनों में प्रेस लिखकर भी कर रहे तस्करी
वाहनों में प्रेस लिख कर भी देते हैं चकमा वाहनों में प्रेस लिखवाना अब फैशन बन गया है। ऐसे लोग जिनका दूर-दूर तक मीडिया से किसी प्रकार का नाता नहीं होता, वे लोग भी अपने छोटे-बड़े सभी वाहनों में प्रेस लिखाकर रौब दिखाते रहते हैं। मौका देखकर मादक पदार्थो की तस्करी में लिप्त हो जाते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में सामान आपूर्ति करने वाले व्यापारी तक अपने चार पहिया वाहनों में प्रेस लिखाकर सामान बेचते रहते हैं। गांजा तस्करी करने वाले लोग भी अब अपनी बाइक चार पहिया वाहनों में प्रेस लिखाकर गांजा की तस्करी करते है। आमतौर पर पुलिस की कार्रवाई से बचने और पार्किंग पर लगने वाले शुल्क से बचने के लिए भी लोग प्रेस का स्टीकर लगाते हैं। फलों और सब्जियों की आड़ में गांजा तस्करी तस्कर ओडिसा-आंध्रपदेश से फलों और सब्जियों की गाडिय़ों में गांजा तस्करी कर रहे हैं। बस्तर-महासमुंद जिले की पुलिस रोज करोड़ों रुपए गांजे की खेप पकड़ा रहा है, कभी कटहल, कलिंदर, नमक, नारियल और अब गोभी ट्रांसपोर्टिंग की आड़ में गांजा तस्कर बड़ी मात्रा में गांजे की खेप एक राज्य से दूसरे राज्य तक पहुंचा रहे है। कई बार तस्कर पुलिस को चकमा देकर निकल जाते हैं, और कभी पकड़ में आ जाते हैं जिससे पुलिस करोड़ों का गांजा बरामद कर पाती है। छोटे तस्कर मोटरसाइकल के जरिए ही गांजे की तस्करी कर रहे हैं। दुपहिया से पुलिस को आसानी से चकमा देते भी बनता है इसलिए वे इसका इस्तेमाल ज्यादा करते हैं. लेकिन बड़ी खेप दुपहिया में ले जाना संभव नहीं होता। छत्तीसगढ़ से दूसरे राज्यों में पहुंचाने के लिए बड़े वाहनों का इस्तेमाल जरूरी हो जाता है इसलिए तस्कर दूसरे माल व फल-सब्जी ट्रांसपोर्ट की आड़ में गांजा तस्करी करते हैं।
जहां चेकपोस्ट नहीं है वहां नए चेकपोस्ट बनाने एवं चेकपोस्टों में कैमरा लगाने हेतु पीएचक्यू ने सम्बंधित जिलों से प्रस्ताव मंगाया था। पांच लाख रूपये सेंक्शन भी हो गया है, जल्द ही टेंडर करके चेकपोस्ट/ बैरक बना लिया जायेगा।
- कीर्तन राठौर, एडिशनल एसपी
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