जांजगीर-चांपा। हिट वेव जिसे सामान्य भाषा में लू चलना कहा जाता है, जब वातावरण का तापमान 40एष् या 104एस्न से ज्यादा हो तो हीट वेव (लू) की स्थिति उत्पन्न होती है, इसका असर बच्चों, बुजुर्गों व कोमार्बिड लोगों में सर्वाधिक होता है। हमारे शरीर के टेम्परेचर रेग्यूलेशन (तापमान नियंत्रण) मस्तिष्क के हाइपोथैलेमस भाग से होता है। जब वातावरण का तापमान 40एष् या 104 एस्न से अधिक हो जाता है तब टेम्परेचर रेग्यूलेशन तंत्र प्रभावित होता है, परिणाम स्वरूप तब हीट स्ट्रोक की स्थिति उत्पन्न होती है। इसमें तेज बुखार आना, बहुत तेज सर दर्द, मांसपेशियों में कमजोरी और ऐंठन, गरम लाल और सूखी त्वचा, जी मचलाना और उल्टी होना, घबराहट होना, व बुखार की सामान्य दवाइयों से बुखार नहीं उतरता है। इससे कभी-कभी मृत्यु भी हो सकती है।
हीट स्ट्रोक से बचने के उपाय
घर से बाहर खाना खाने के बाद ही निकलना चाहिए। कोशिश करें कि सुबह 10 बजे से शाम 04 बजे तक सीधे सूर्य की रोशनी से बचे व बाहर जाने पर धूप से बचने के लिए सिर पर गमछा, हेट/ टोपी, धूप का चश्मा तथा सूती के ढीले कपड़े पहनें। प्यास न लगने पर भी पानी पीते रहें। मौसमी फल जैसे तरबूज, ककड़ी, छाछ, लस्सी समय-समय पर लेते रहें। अगर लू के चपेट में आ जाये तो नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र से संपर्क करें। समस्त स्वास्थ्य केन्द्रों में ओ.आर.एस., आईवी फ्ल्युइड व बुखार की दवाइयां पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।