राज्य सरकार को गफलत में रखकर गुमराह कर रहे हाउसिंग बोर्ड के अधिकारी
सबसे बड़ी चूक...?
सिंचाई कालोनी का पूरा क्षेत्र लाल बहादुर शास्त्री वार्ड क्रमांक 33 में आता है जबकि दरों का निर्धारण उक्त भूमि को शंकर नगर वार्ड का बताकर किया गया है।
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। सिंचाई कालोनी के रिडेव्हलपमेंट के नाम पर छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड ने घपला करने के लिए एक नया प्लान तैयार कर लिया है। अपने तमाम बड़े प्रोजेक्ट्स में अनियमितता करने वाले अधिकारियों को मनमानी और सरकारी धन का बंदरबाट करने की छुट देने वाली एंजसी को ही इस योजना की सारी जिम्मेदारी सौंप दी गई है। नतीजा यह कि अब तक जिस तरह से बोर्ड के अधिकारी दूसरे प्रोजेक्टस से मोटी कमाई करते रहे हैं, सिंचाई कालोनी रिडेव्हलपमेंट योजना से भी कमाई का तरीका ईजाद कर रहे हैं। जिस तरह से योजना का खाका तैयार किया गया है और इसे जिस तरह से धरातल पर उतारा जा रहा है उसके संकेत मिलने लगे हैं। योजना के लिए जिस तरह जमीन की कीमत में हाउसिंग बोर्ड को रियायत दी गई है और जिला प्रशासन द्वारा आबंटित भूमि के मूल्य का गलत निर्धारण किया गया है उससे साफ पता चलता है कि इस योजना के जरिए बड़ा खेल खेला जा रहा है और मोटी कमाई के लिए षडयंत्र रची गई है।
हाउसिंग बोर्ड को 30 फीसदी रियायत किसलिए?
रिडेव्हलपमेंट योजना के तहत शांति नगर रायपुर में जल संसाधन विभाग की 19.76 एकड़ भूमि में से 16.00 एकड़ पर जिसका कलेक्टर गाईड लाईन वर्ष 2019-20 के अनुसार मुख्य सड़क से 20 मीटर तक दर 40,000/- वर्ग मीटर एवं 20 मीटर के बाद 26,000/- वर्ग मीटर पर राज्य शासन के निर्णय अनुरूप 30 प्रतिशत कम करते हुए और भू राजस्व पुस्तक परिपत्र के अनुसार छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल को भूमि का 60 प्रतिशत मूल्य देय का प्रावधान के आधार पर गणना करने पर कुल मूल्य 77.42 करोड़ निर्धारित किया गया है। अब सवाल यह उठता है कि भूमि के मूल्य में हाउसिंग बोर्ड को 30 फीसदी की रियायत किस लिए दी जा रही है। यह योजना न ही गरीबों के लिए है और न ही लोगों को रियायती दर पर मकान उपलब्ध कराने के किसी स्कीम का हिस्सा है। यह पूरी तरह सरकारी कर्मियों को उपलब्ध कराए जाने वाले सरकारी क्वार्टर और व्यावसायिक उद्देश्य से बनाई गई योजना है ऐसे में हाउसिंग बोर्ड को उक्त रियायत देना तर्कसंगत नहीं है, वहीं जल संसाधन विभाग के जमीन को ही आवास एवं पर्यावरण विभाग को सौंपना भी कई संदेह पैदा करता है। भूमि का मालिकाना हक जल संसाधन विभाग के पास रखते हुए सिर्फ निर्माण और कंसल्टेंसी एंजेसी नियुक्त कर जीर्ण-शीर्ण मकानों का रिडेव्हलपमेंट किया जा सकता है।
हाउसिंग बोर्ड के आयुक्त की हिमाकत
इस पूरी योजना में हाउसिंग बोर्ड सुनियोजित तरीके से आगे बढ़ रहा है। कलेक्टर कार्यालय ने बोर्ड द्वारा मांगी 1.388 भूमि के दर का निर्धारण वर्ग मीटर के आधार पर किया है। इसी आधार पर भूमि आबंटन के लिए प्रव्याजी 16,28,64,800/- और भू-भाटक 7,06,522/- की रकम एक मुश्त जमा कराने कलेक्टर-भू आबंटन कार्यालय ने हाउसिंग बोर्ड को मांग पत्र भेजा है। लेकिन हाउसिंग बोर्ड को भूमि का वर्गमीटर के आधार पर दर निर्धारण मंजूर नहीं हुआ और आयुक्त हाउसिंग बोर्ड ने कलेक्टर भू-आबंटन से हेक्टेयर के आधार पर दर निर्धारित करने की मांग कर डाली। इससे साफ पता चलता है कि हाउसिंग बोर्ड योजना का पूरा काम अपनी शर्तों और तौर-तरीके से करने पर आमादा है।
भूमि का नामांतरण नहीं तो कैसी प्लानिंग?
इस पूरी रिडेव्हलपमेंट योजना में सबसे बड़ी चौंकाने वाली बात यह कि अगर भूमि का नामांतरण ही नहीं हुआ तो इसकी प्लानिंग किस आधार पर की जा रही है। हाउसिंग बोर्ड ने जब इस योजना के नामांतरण व भूमि हस्तांतरण से संबंधित जानकारी आरटीआई के तहत मांगी गई थी तो साफ शब्दों में इस बाबत जानकारी निरंक बताया था। ऐसे में सवाल उठता है कि जब भूमि का नामांतरण ही नहीं हुआ तो योजना की प्लानिंग और इस पर काम कैसे शुरू हो गया। जर्जर मकानों की तोड़-फोड़ कैसे हो गई और बिना स्वीकृति के 11 लाख खर्च भी कर दिए गए। यह साफ संकेत देता है कि इस रिडेव्हलपमेंट योनजा के पीछे कोई बड़ा खेल है और हाउसिंग बोर्ड के अधिकारी सरकार को गफलत में रखकर गुमराह कर रही है। इस योजना के आड़ में एक बड़े घोटाले की षडयंत्र नजर आ रही है। सरकार को इस योजना के क्रियान्वयन की निकटता से मानिटरिंग करनी चाहिए।
जिला प्रशासन ने किया गलत मूल्य निर्धारण(आबंटित भूमि 1.388 हेक्टेयर का रकबा ए ग्रेड सड़क जीई रोड-गौरव पथ से लगी हुई है)
हाउसिंग बोर्ड ने योजना के लिए 1.388 हेक्टेयर भूमि आबंटित करने कार्यालय कलेक्टर(भू-आवंटन शाखा) जिला रायपुर को आवेदन किया था जिस पर कलेक्टर कार्यालय ने प्रस्तावित भूमि रकबा 1.388 हेक्टेयर/13880 वर्ग मीटर को शंकर नगर वार्ड 31 अंतर्गत न्यू शांतिनगर में स्थित बताकर गाईड लाईन के वार्ड क्रमांक 31 नं. कंडिका-3 के अनुसार भूमि का प्रति वर्ग मीटर बाजार मूल्य 17,500/- के अनुसार भूमि को दो भागों में वर्गीकृत कर रजिस्ट्रीकृत कुल मूल्य का 60 फीसदी(आवासीय) व 100 फीसदी(कामर्शियल) प्रव्याजी 16,28, 64,800/- रुपए और बाजार मूल्य से 0.3 प्रतिशत(आवासीय) व 0.6 प्रतिशत(कामर्शियल) भू-भाटक कुल 7,06,522/- निर्धारित किया है। कलेक्टर कार्यालय द्वारा इस पूरी भूमि का मूल्य निर्धारण ही गलत है। भूमि को पूरी तरह वार्ड 31 में तथा मुख्य सड़क से 20 मीटर अंदर बताकर कम गाईड लाईन मूल्य के आधार पर दर निर्धारित किया गया जबकि सिंचाई कालोनी का पूरा क्षेत्र लालबहादुर शास्त्री वार्ड में आता है। वहीं 1.388 हेक्टेयर की जिस भूमि का हाउसिंग बोर्ड ने आवंटन मांगा है वह भूमि भगत सिंह चौक से पहले ए ग्रेड सड़क जीई रोड-गौरव पथ से लगी हुई है। जानकारी के अनुसार रिडेव्हलपमेंट योजना में इस भूमि पर कामर्शियल बिल्ंिडग बनाने की योजना है ऐसे में इस भूमि के दर का निर्धारण घड़ी चौक से लेकर भगत सिंह चौक के बीच प्रचलित गाईड लाइन के आधार पर किया जाना चाहिए था, जोकि नहीं किया गया। वहीं जब इस भूमि का पूरी तरह व्यावसायिक उपयोग होना है तो सिर्फ 30 फीसदी जमीन पर ही कार्मशियल आधार पर दर का निर्धारण क्यों?जबकि पूरी जमीन का कामर्शियल आधार पर दर निर्धारित किया जाना था।
संकेत
जिला प्रशासन द्वारा आबंटित 1.388 हेक्टेयर भूमि जो ए-ग्रेड सड़क से कनेंक्ट है। जिसका दर निर्धारण ही गलत है।
जीई रोड गौरवपथ- जिससे उक्त भूमि लगी हुई। इसी आधार पर दर का निर्धारण होना था।