पिछले चुानाव की सफलता दोहराने पर जोर
रायपुर (जसेरि)। कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा के मुख्यमंत्री और मंत्रियों के साथ बैठक से पहले नया विवाद खड़ा हो गया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने अंबिकापुर में कहा कि मुख्यमंत्री का चेहरा केंद्रीय संगठन तय करेगा। यह भी कहा कि यहां सिंहदेव सहित सभी मंत्री काम कर रहे हैं, कोई भी चेहरा हो सकता है। मरकाम को सीएम विरोधी खेमे का माना जाता है। अब तक कांग्रेस मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर भाजपा पर निशाना साधती रही है। ऐसे में मरकाम के बयान के बाद भाजपा को मौका मिल गया है। भाजपा ने छह महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए किसी भी नेता को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया है। भाजपा के केंद्रीय नेताओं ने साफ कर दिया है कि आगामी विधानसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा जाएगा।
इसके साथ ही मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल रहे मंत्री टीएस सिंहदेव ने यह कहकर संगठन की चिंताएं बढ़ा दी हैं कि पहली बार चुनाव जीतना आसान होता है, लेकिन दूसरी बार चुनाव में जाने से पहले उपलब्धियां बतानी होती है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लगातार यह दावा कर रहे हैं कि सरकार हर वर्ग के लिए बेहतर काम कर रही हैं। वहीं संगठन के नेताओं के अलग सियासी राग ने नया बखेड़ा खड़ा कर दिया है। इसके बीच कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा बुधवार को मुख्यमंत्री और मंत्रियों के साथ बैठक करेंगी, जिसमें चुनावी रणनीति पर मंथन किया जाएगा। यह बैठक मुख्यमंत्री निवास में होगी। बताया जा रहा है कि करीब साढ़े तीन घंटे चलने वाली बैठक में एक-एक सीट को लेकर विचार-विमर्श किया जाएगा। प्रदेश की 90 विधानसभा सीट में से 71 सीट पर कांग्रेस के विधायक हैं।
पिछले चुनाव में चार चेहरे को आगे करके कांग्रेस ने लड़ा था चुनाव
15 साल सत्ता से बाहर रही कांग्रेस ने पिछले विधानसभा चुनाव में चार वरिष्ठ नेताओं के चेहरे को आगे करके चुनाव लड़ा था। तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल, तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव, साहू समाज के वरिष्ठ नेता और कांग्रेस के उस समय के एकमात्र सांसद ताम्रध्वज साहू और राज्य गठन के बाद सबसे लंबे समय तक प्रदेश अध्यक्ष रहे डा चरणदास महंत को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। सरकार बनने के बाद चारों नेता मुख्यमंत्री की दौड़ में थे, लेकिन आखिरी बाजी भूपेश बघेल ने मारी और मुख्यमंत्री बने।
धान, किसान, नौजवान, सबसे
बड़ा चुनावी मुद्दा
प्रदेश की राजनीति में धान, किसान और नौजवान सबसे बड़े चुनावी मुद्दे रहे हैं। कांग्रेस ने पिछले चुनाव में धान की खरीदी 2500 रुपये में करने, किसानों की कर्जमाफी और युवाओं को रोजगार का वादा किया था। मुख्यमंत्री की कमान संभालने के एक घंटे बाद ही भूपेश बघेल ने किसानों की कर्जमाफी का वादा पूरा किया। प्रदेश में केंद्र सरकार के अड़ंगे के बाद भी धान की खरीदी 2500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से की। इसके लिए राजीव गांधी न्याय योजना में किसानों को प्रति एकड़ नौ हजार रुपये की इनपुट सब्सिडी दी जा रही है। युवाओं को रोजगार के लिए गोठान, रूरल इंडस्टीयल पार्क, राजीव मितान क्लब खोले गए। बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता देने की शुरुआत की गई। सरकार का दावा है कि सरकारी नौकरी और स्वरोजगार से करीब पांच लाख युवा जुड़े हैं।
प्रदेश प्रभारी कुमारी सेलजा मंत्रियों और महापौरों की लेंगी बैठक
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव करीब है। ऐसे में छत्तीसगढ़ की कांग्रेस प्रभारी कुमारी सेलजा बड़ी बैठक लेने वाली हैं। आज राजधानी रायपुर पहुंचते ही सबसे पहले प्रदेश के मंत्रियों की बैठक होगी। जिसमें तमाम कैबिनेट मंत्रियों के साथ प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी बैठक में शामिल होंगे। प्रदेश में सत्ता और संगठन के आपसी सामंजस्य के साथ ही राजनीतिक हालातों पर चर्चा होगी। इसके अलावा विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टी की रणनीति पर भी मंथन किया जाएगा। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस ने प्रदेश की सभी विधानसभा सीटों के लिए सर्वे रिपोर्ट तैयार कर ली है। और इस रिपोर्ट के आधार पर अब 90 विधानसभा सभा सीटों में विधायकों की परफॉर्मेंस के अलावा प्रभारी मंत्रियों के काम की भी समीक्षा की जाएगी।इस वक्त सभी विधानसभा सीटों के लिए चेहरों को लेकर कांग्रेस में नए समीकरण तैयार किए जा रहे हैं। जिसमें स्थानीय विधायकों के कामकाज के अलावा ये भी देखा जा रहा है की जमीनी स्तर पर कार्यकर्ता अपने विधायक से कितना संतुष्ट हैं। साथ ही जिन विधायकों की परफॉर्मेंस खराब है। या फिर प्रभारी मंत्रियों ने अपने प्रभार वाले जिलों में विधायकों से आपसी सामंजस्य बिठाकर नहीं रखा है। ऐसे मंत्रियों की क्लास कुमारी सेलजा बैठक में लें सकती हैं। इसके बाद अगले दिन शहरी सरकार में कांग्रेस के महापौरों की बैठक होगी। जिसमें दिए गए टारगेट को पूरा करने के साथ ही चुनाव को लेकर निकायों के महापौर की भी भूमिका तय की जाएगी। छत्तीसगढ़ समेत देश के कई राज्यों में लगातार हो रही ईडी की कार्रवाई को लेकर भी बैठक में चर्चा की जाएगी। इस वक्त छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव से पहले ईडी की छापेमार कार्रवाई की है। जिसके बाद चुनाव से पहले संगठन की इस मामले में क्या भूमिका होगी। और मंत्रियों का सहयोग क्या होगा इस पर भी चर्चा संभव है।