सीएम ने की नजरें टेढ़ी, अब गांजा तस्करों की आएगी शामत...

Update: 2021-10-18 04:56 GMT

'जनता से रिश्ता' की मुहिम रंग लाई

  1. छग और ओडिशा के पुलिस अधिकारियों की होगी उच्चस्तरीय बैठक
  2. जनता से रिश्ता पिछले दो सालों से खोल रहा है गांजा तस्करों की पोल
  3. ओडिशा-आंध्रप्रदेश से लगातार हो रही गांजे की तस्करी
  4. सीमा पर सख्त चौकसी जरूरी ताकि छग में प्रवेश न कर सकें तस्कर
  5. स्थानीय व अंतर्राज्यीय तस्कर राजधानी में भी खपा रहे गांजा
  6. तस्करों की चेन तोडऩा जरूरी, इससे रूकेगी गांजे की सप्लाई
  7. राजधानी में सक्रिय आसिफ-मुनाफ गैंग पर कार्रवाई आखिर कब?

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। पत्थलगांव हादसे के बाद अब गांजा तस्करों की शामत आने वाली है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ओडिशा राज्य से गांजा तस्करी को रोकने के लिए ओडिशा और छग के पुलिस अधिकारियों की उच्च स्तरीय संयुक्त बैठक बुलाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने गांजा तस्करी रोकने के लिए ठोस कार्ययोजना बनाने और सीमावर्ती चेक पोस्ट में सीसीटीवी कैमरे की व्यवस्था के साथ ही 24 घंटे निगरानी के लिए पुलिस बल तैनात करने को कहा है। मुख्यमंत्री ने राज्य के पुलिस महानिदेशक और विशेष पुलिस महानिदेशक नक्सल आपरेशन को इस संबंध में तत्काल आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। छत्तीसगढ़ में लगातार गांजा तस्करों के पकड़े जाने को देखते हुए मुख्यमंत्री ने दो हफ्ते पहले भी डीजीपी को सीमा में चेक पोस्ट बनाकर तस्करों को बार्डर में ही पकडऩे के निर्देश दिए थे। इसके बाद डीजीपी ने सभी सीमा वर्ती जिलों के एसपी को चेक पोस्ट पर सीसीटीवी के जरिए निगरानी और तस्करों पर लगाम कसने को कहा था। इसके बाद भी तस्करी हो रही थी और बस्तर, महासमुंद, कवर्धा में बड़े खेप पकड़ेे गए। अब पत्थलगांव हादसे के बाद मुख्यमंत्री ने इस पर सख्ती दिखाते हुए अधिकारियों को तस्करी रोकने और सख्त निगरानी के निर्देश दिए हैं।

छत्तीसगढ़ तस्करों का सुरक्षित कारिडोर

ओडिसा छत्तीसगढ़ के महासमुंद, गरियाबंद, धमतरी, कांकेर व बस्तर के रास्ते गांजे की बड़ी खेप देश के दूसरे राज्यों में पहुंचती है। पुलिस लगातार गांजे की बड़ी खेप पकड़ भी रही है, उसके बाद भी रोजाना गांजे की तस्करी करने वाले अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे है। गांजे की तस्करी को रोकने में पुलिस अमला कुछ हद तक नाकम भी हो रहा है, वही छत्तीसगढ़ राज्य के महासमुंद जिले के रास्तों से बहुत भारी मात्रा में गांजे की खेप रायपुर होकर यूपी, बिहार, मध्यप्रदेश जाती है। ओडिसा और छत्तीसगढ़ के स्थानीय तस्कर राजधानी में भी बड़े मात्रा में गांजे की सप्लाई कर रहे हैं। शहर भर में गांजा पीने वालों की बड़ी तादाद है। नशे का व्यापार पूरे शहर भर में बढ़ते जा रहा है नशे के सौदागरों ने राजधानी को अपना गुलाम बना लिया है और युवाओं को अपना दलाल। ये वो दलाल है जो चंद रुपयों के लिए नशे के दलदल में धंसते जा रहे हैं।

खुलेआम हो रही गांजे की तस्करी

बस्तर पुलिस ने अब तक जितना भी गांजा पकड़ा है उनमें 90 फीसदी मामलों में तस्करों के हौंसलों को इससे ही समझा जा सकता है कि तस्करों ने गांजा ले जाने के लिए लुकाछिपी का खेल ही नहीं खेला। तस्कर सीधे ट्रक,कार, बाइक में ही बोरियों और बैग में गांजा लेकर निकल गए। हाल ही में नगरनार पुलिस ने राजस्थान के तस्करों को कार में भरे गांजा समेत पकड़ा इसमें तस्करों ने गांजा बैग में भरकर डिक्की में रखा हुआ था। कुछ गिनती के मामले ही ऐसे है जिनमें तस्करों ने गांजा छिपाने के लिए सब्जी की गाडिय़ों या फिर गुप्त चेंम्बर वाली गाडिय़ों का इस्तेमाल किया हो। इसके अलावा महासमुंद-कवर्धा जिले में बड़ी खेप पकड़ी गई है। जिसमें तस्कर सब्जी व अन्य माल ढुलाई की आड़ में गांजा तस्करी करते पकड़े गए हैं।

वाहनों में प्रेस लिख कर भी देते हैं चकमा

वाहनों में प्रेस लिखवाना अब फैशन बन गया है। ऐसे लोग जिनका दूर-दूर तक मीडिया से किसी प्रकार का नाता नहीं होता वे लोग भी अपने छोटे-बड़े सभी वाहनों में प्रेस लिखाकर रौब दिखाते रहते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में सामान आपूर्ति करने वाले व्यापारी तक अपने चार पहिया वाहनों में प्रेस लिखाकर सामान बेचते रहते हैं। गांजा तस्करी करने वाले लोग भी अब अपनी बाइक चार पहिया वाहनों में प्रेस लिखाकर गांजा की तस्करी करते है। आमतौर पर पुलिस की कार्रवाई से बचने और पार्किंग पर लगने वाले शुल्क से बचने के लिए भी लोग प्रेस का स्टीकर लगाते हैं।

फलों और सब्जियों की आड़ में गांजा तस्करी

तस्कर ओडिसा-आंध्रपदेश से फलों और सब्जियों की गाडिय़ों में भरकर गांजा तस्करी कर रहे हैं। बस्तर-महासमुंद जिले की पुलिस रोज करोड़ों गांजे की खेप पकड़ रही है. लगातार कटहल, कलिंदर, नमक, नारियल और अब गोभी ट्रांसपोर्टिंग की आड़ में गांजा तस्कर बड़ी मात्रा में गांजे की खेप एक राज्य से दूसरे राज्य तक पहुंचा रहे है। कई बार तस्कर पुलिस को चकमा देकर निकल जाते हैं, और कभी पकड़ में आ जाते हैं जिससे पुलिस करोड़ों का गांजा बरामद कर पाती है। छोटे तस्कर मोटरसाइकल के जरिए ही गांजे की तस्करी कर रहे हैं। दुपहिया से पुलिस को आसानी से चकमा देते भी बनता है इसलिए वे इसका इस्तेमाल ज्यादा करते हैं. लेकिन बड़ी खेप दुपहिया में ले जाना संभव नहीं होता। छत्तीसगढ़ से दूसरे राज्यों में पहुंचाने के लिए बड़े वाहनों का इस्तेमाल जरूरी हो जाता है इसलिए तस्कर दूसरे माल व फल-सब्जी ट्रांसपोर्ट की आड़ में गांजा तस्करी करते हैं।

Tags:    

Similar News

-->