रायपुर। झीरम घटना पर न्यायिक जांच आयोग के राज्यपाल को रिपोर्ट सौंपे जाने के साथ ही सियासत तेज हो गई है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि आखिर भारत सरकार किस तथ्य को छिपाना चाहती हैं, वे षड्यंत्र पर जांच क्यों नहीं कर रहे? मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि गवाही के लिए कुछ लोगों को बुलाया गया, कुछ ने गवाही नहीं दी. साथ ही उन्होंने सवाल किया कि क्या नाम पूछ-पूछ कर मारा गया, क्या ये राजनीतिक षड्यंत्र हैं? हमने आयोग को कई बिंदुओं पर पत्र लिखा है कि नंद कुमार पटेल, महेंद्र कर्मा को सुरक्षा व्यवस्था क्यों नहीं दी गई?
उन्होंने कहा कि कांग्रेस की ओर से लगातार सवाल उठाते रहे लेकिन केंद्र सरकार जवाब ही नहीं दे रही है. ये गुमराह करने वाली बात है, वे किसे बचाना चाह रहे सवाल इस बात का है. केंद्र सरकार राज्य सरकार को जांच करने क्यों नहीं दे रही, ये लोग षड्यंत्रकारियों को बचा रहे. यह लोग जानते हैं कि पड़यंत्र के पीछे कौन है, लेकिन सच को छुपाया जा रहा है.
अमित जोगी का ट्वीट - झीरम_रिपोर्ट आँध्र प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश मान. प्रशांत मिश्रा ने तैयार की है।छत्तीसगढ़ के इतिहास के अब तक के सबसे वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी होने के नाते उन्होंने संभवतः माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय कि अगर किसी जाँच रिपोर्ट में राज्य सरकार के किसी मंत्री का उल्लेख आता है तो उसे मंत्रीमंडल के स्थान पर राष्ट्रपति अथवा राज्यपाल को सौंपना न्यायसंगत होगा का पालन करते हुए, अपनी रिपोर्ट महामहिम राज्यपाल को विधिवत सौंपी है। विषय की संवेदनशीलता और संवैधानिकता को ध्यान में रखते हुए सभी को संयम और समझदारी बरतनी चाहिए।
वकील बोले - झीरम जांच आयोग में कांग्रेस की पैरवी करने वाले अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने कहा, अमित जोगी जिस फैसले का हवाला दे रहे हैं वह मामला अलग था। उसमें मुख्यमंत्री के ऊपर भ्रष्टाचार का आरोप था। राज्य सरकार ने जांच के लिए आयोग बनाया। केंद्र सरकार ने एक बड़ा आयोग बना दिया। कर्नाटक सरकार ने उसको सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी। तब संविधान पीठ ने फैसला दिया कि केंद्र सरकार ऐसा आयोग बना सकती है। ऐसे आयोग की रिपोर्ट राष्ट्रपति या राज्यपाल के पास जमा की जाएगी। यहां तो किसी मंत्री अथवा सरकार के खिलाफ जांच नहीं थी। एक घटना की जांच हो रही थी। केंद्र सरकार का भी कोई आयोग नहीं था। वैसे भी आयोग के नियम-कानून साफ तौर पर कहते हैं कि यह रिपोर्ट केवल मंत्रिमंडल को मिलनी चाहिए। राज्यपाल को तो उस रिपोर्ट पर टिप्पणी करने का भी अधिकार नहीं। जो करेगी वह कैबिनेट करेगी। ऐसे में राज्यपाल वह रिपोर्ट रखकर क्या करेंगी। सुदीप श्रीवास्तव ने कहा, अगर किसी मंत्री की भूमिका का भी जांच आयोग में उल्लेख है तो मुख्यमंत्री कार्रवाई के लिए सक्षम हैं।
बता दें कि झीरम घाटी हमले की जांच कर रहे न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा न्यायिक जांच आयोग ने शनिवार शाम राज्यपाल अनुसूईया उइके को जांच रिपोर्ट सौंप दिया। झीरम हत्याकांड जांच आयोग के सचिव और छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार संतोष कुमार तिवारी यह रिपोर्ट लेकर राजभवन पहुंचे थे। न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा अभी आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश हैं। बताया जा रहा है, उनके बिलासपुर से निकलने से पहले ही इस रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया गया। यह रिपोर्ट 10 खंडों और 4 हजार 184 पेज में तैयार की गई है।