रायपुर। अविभाजित मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा पंचतत्व में विलीन हो गए हैं. शिवनाथ नदी स्थित मुक्तिधाम पर जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया. इसके बाद उनके बड़े बेटे अरविंद वोरा ने अपने बाबूजी को मुखाग्नि दी. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वोरा की पार्थिव देह पर पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि देकर उन्हें अंतिम बिदाई दी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि स्वर्गीय श्री मोतीलाल वोरा अजातशत्रु थे। उनकी लगन, परिश्रम, निष्ठा और नेतृत्व के प्रति समर्पण अद्वितीय था। श्री बघेल ने कहा कि एक दिन पहले ही उन्होंने वोरा को जन्म दिन की बधाई दी थी। तब सोचा भी नहीं था कि वे इतनी जल्दी हमसे विदा हो जाएंगे। दिल्ली प्रवास के समय भी उनसे मुलाकात हुई थी। वे कोरोना से लड़ाई जीतकर आ गए थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब से हमने होश संभाला उन्हें काम करते देखा। उनकी सहजता, सरलता और मिलनसारता जो प्रारंभ में थी, वैसी ही अंतिम समय तक रही। उन्होंने पत्रकारिता से शुरूआत कर पार्षद, विधायक, मध्यप्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री, उत्तरप्रदेश के राज्यपाल, सांसद और केन्द्रीय मंत्री पद का दायित्व संभाला। वे सुबह से देर रात तक ताजगी के साथ कार्य करते थे। सभी से सहजता से मिलते थे। उनका निधन पार्टी के लिए ही नहीं पूरे देश के लिए अपूरणीय क्षति है। उनके निधन से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। मुख्यमंत्री ने स्वर्गीय श्री वोरा के परिवारजनों के प्रति संवेदना प्रकट करते हुए उनकी आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की। नेता प्रतिपक्ष श्री धरमलाल कौशिक ने कहा कि श्री वोरा जी दिल्ली में छत्तीसगढ़ की पहचान थे। एक सामान्य परिवार से निकलकर उन्होंने राष्ट्रीय क्षितिज पर कार्य किया। अनेक महत्वपूर्ण पदों के दायित्वों का निर्वहन किया। वे निर्विवाद रहे। कांग्रेस के वे अभिभावक तो थे ही उनका पक्ष-विपक्ष में भी बड़ा सम्मान था।