मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सरप्लस चावल लेने का पीएम मोदी से किया अनुरोध

Update: 2021-09-28 12:26 GMT

रायपुर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कॉफ्रेंस के माध्यम से नेशनल इंस्टीट्यूट बायोटेक स्ट्रेस मैनेजमेंट बरौंडा रायपुर के नये परिसर का लोकार्पण किया और विशेष गुणों वाली 35 फसलों की किस्में भी राष्ट्र को समर्पित की। प्रधानमंत्री ने इस संस्थान में स्नातकोत्तर कक्षाओं का भी शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने नेशनल इंस्टीट्यूट बायोटेक स्ट्रेस मैनेजमेंट के नये परिसर के लोकार्पण अवसर पर अपने निवास कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रंेसिंग के जरिए शामिल हुए। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कार्यक्रम में प्रधानमंत्री से छत्तीसगढ़ राज्य का 47 लाख टन सरप्लस चावल लेने, राज्य को धान की उसना मिलिंग की अनुमति और 23 लाख टन उसना चावल लेने का आग्रह किया। उन्होंने भारत सरकार स्तर पर वर्ष 2019-20 की खाद्य सब्सिडी की लंबित राशि 1024.79 करोड़ रूपए तथा 6 लाख टन अतिरिक्त धान से एथेनॉल बनाने की अनुमति दिलाने का भी अनुरोध प्रधानमंत्री से किया। मुख्यमंत्री ने नेशनल इंस्टीट्यूट बायोटेक स्ट्रेस मैनेजमेंट बरौंडा रायपुर में स्नातक स्तर की कक्षाएं शुरू किए जाने का भी आग्रह किया। कार्यक्रम में केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर भी वर्चुअल रूप से शामिल हुए। मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में वर्चुअल कार्यक्रम के दौरान कृषि मंत्री श्री रविन्द्र चौबे, मुख्यमंत्री के सलाहकार श्री प्रदीप शर्मा, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ.कमलप्रीत सिंह सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री बघेल ने इस मौके पर जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का विस्तार से उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। नरवा, गरवा, घुरूवा, बाड़ी के माध्यम से प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षण एवं स्थानीय संसाधनों के बेहतर उपयोग से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने का प्रयास किया जा रहा है। गोधन न्याय योजना और राजीव गांधी किसान न्याय योजना से खेती-किसानी को समृद्ध बनाने की पहल की गई है। राज्य में गोधन न्याय योजना के तहत गौठानों में गोबर की खरीदी कर उससे जैविक खाद का उत्पादन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अब गोबर से बिजली उत्पादन की शुरूआत 2 अक्टूबर से करने जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि प्रधानमंत्री ने रायपुर के बरौंडा में नेशनल इंस्टीट्यूट बायोटेक स्ट्रेस मैनेजमेंट संस्थान और विशेष गुणों वाली 35 किस्मों की फसले राष्ट्र को समर्पित की हैं, इसके लिए एक किसान होने के नाते मैं छत्तीसगढ़ के सभी किसानों की ओर से प्रधानमंत्री के प्रति आभार व्यक्त करता हूॅ। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने राज्य में कृषि उत्पादों और लघु वनोपजों के वेल्यू एडिशन एवं जैविक खेती को बढ़ावा देने के प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा कि सरगुजा जिले के बतौली विकासखण्ड के ग्राम बांसाझाल में 15 स्व-सहायता समूह की महिलाएं जीराफूल धान का जैविक उत्पादन कर मिलिंग कर रही हैं। इससे उन्हें बेहतर बाजार और कीमत मिल रही है।

मुख्यमंत्री ने राज्य में कोदो-कुटकी और रागी के उत्पादन को बढ़ावा देने मिशन मिलेट की शुरूआत की गई है। जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए गौठानों में गोधन न्याय योजना के तहत गोबर की खरीदी कर जैविक खाद का उत्पादन किया जा रहा है। अब तक 12 लाख क्विंटल जैविक खाद में से 10 लाख क्विंटल खाद क्रय कर किसान खेतों में इसका उपयोग कर चुके हैं। गोबर खरीदी से राज्य के एक लाख 80 हजार पशु पालक लाभान्वित हो रहे हैं। पशु पालकों से क्रय गोबर के एवज में 102.54 करोड़ रूपए का भुगतान किया जा चुका है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में फसल उत्पादकता एवं फसल विविधिकरण को बढ़ावा देने के लिए संचालित राजीव गांधी किसान न्याय योजना के दायरे में खरीफ की सभी फसलों के साथ-साथ उद्यानिकी फसलों को भी शामिल किया गया है। इस योजना के तहत वृक्षारोपण के लिए भी कृषकों को इनपुट सब्सिडी दिए जाने का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि नेशनल इंस्टीट्यूट बायोटेक स्ट्रेस मैनेजमेंट संस्थान के माध्यम से फसलों में कीट के प्रकोप एवं बीमारियों के अनुसंधान एवं इसकी रोकथाम में मदद मिलेगी। इस संस्थान की स्थापना की पहल छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष डॉ.चरणदास महंत जब केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री थे, उस समय की गई थी। इसके लिए 50 हेक्टेयर भूमि आबंटित की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह संस्थान कृषि क्षेत्र को आगे बढ़ाने और किसानों की समृद्धि और खुशहाली का आधार बनेगा, ऐसी उम्मीद है।

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक चुनौती है। छत्तीसगढ़ राज्य में प्राकृतिक कारणों से जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का विस्तार से उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि दो दशकों में वर्षाकाल के समय और मात्रा में बदलाव आया है। बंगाल की खाड़ी में तूफानों की संख्या में वृद्धि हुई है, जिससे राज्य में धान और लघु वनोपज को काफी नुकसान होता है। बढ़े हुए तापमान की वजह से खेतों में एक्टिव कार्बन का अपघटन हो रहा है। इसके कारण खाद्यान्न उत्पादन के लिए रासायनिक उर्वरकों का उपयोग बढ़ा है। फसलों में कीट-व्याधि और बीमारियां बढ़ी हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि इन सब कारणों को ध्यान में रखते हुए जलवायु परिवर्तन का व्यापक अध्ययन जरूरी है, ताकि इसके दुष्प्रभावों को कम किया जा सके।

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