छत्तीसगढ़: माता के मंदिर में दान पेटी से रुपए और आभूषण की चोरी, पुलिस मामले की जांच में जुटी
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छत्तीसगढ़-ओडिशा बॉर्डर पर स्थित गिरौला माता मंदिर में बुधवार की सुबह चोरी की बड़ी वारदात हुई। मंदिर की दान पेटी से रुपए समेत माता के सोने-चांदी के आभूषण और अन्य कीमती सामान चोर ले गए। बताया जा रहा है कि चोरों ने करीब 10 लाख रुपए से ज्यादा की चोरी की है। मामले की जानकारी मिलते ही जगदलपुर SP जितेंद्र मीणा पुलिस बल के साथ पहुंच गए। पुलिस अज्ञात चोरों की तलाश में जुट गई है। मामला बकावंड थाना क्षेत्र का है।
जानकारी के मुताबिक, बुधवार सुबह अज्ञात चोर मंदिर का ताला तोड़ कर अंदर घुस गए। दबे पांव मंदिर के गर्भगृह पहुंचे। यहां माता को श्रृंगार किए हुए सोने-चांदी के आभूषणों पर पहले हाथ साफ किया। फिर मंदिर की दान पेटी में रखे सारे पैसों को लेकर रफू चक्कर हो गए। सुबह जब मंदिर में पूजा अर्चना करने के लिए पुजारी पहुंचे तो उन्हें चोरी की जानकारी मिली। जिसके बाद मामले की जानकारी फौरन पुलिस को दी गई। इधर मौके पर पहुंची पुलिस आसपास के लोगों और मंदिर समिति से जुड़े लोगों से पूछताछ कर रही है।
मंदिर में कुछ जगहों पर CCTV कैमरे लगे हुए हैं। चोरी की घटना के बाद पुलिस अब इन्हीं कैमरों को खंगालने की कोशिश कर रही है। हालांकि इन कैमरों में चोरी की घटना कैद हुई है या नहीं पुलिस ने इसे अभी स्पष्ट नहीं किया है। लेकिन बताया जा रहा है कि पुलिस जल्द ही चोरों तक पहुंच जाएगी।
बस्तर में पिछले 2 दिनों से कड़ाके की ठंड पड़ रही है। सुबह लगभग 7 बजे तक कोहरा छाया रहता है। ऐसे में 50 मीटर की दूरी पर खड़ा व्यक्ति भी नजर नहीं आता। चोरों ने ठंड का फायदा उठाया और मंदिर में घुस गए। जिस समय चोरी की घटना हुई उस समय मंदिर के पुजारी सोए हुए थे। कोहरे की वजह से आसानी से चोरों ने घटना को अंजाम दिया और भाग खड़े हुए।
2 राज्यों के बॉर्डर पर स्थित माता का यह काफी प्रसिद्ध मंदिर है। माता के मंदिर में नवरात्र के समय भक्तों की जबरदस्त भीड़ उमड़ती है। केवल बस्तर ही नहीं बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ और ओडिशा से भी भक्त माता के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। पूरे साल भर भी यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।
बस्तर में एक और देवी हैं, जिसे बस्तर की कुलदेवी कहा जाता है। मां दंतेश्वरी की तरह ही मां हिंगलाज के प्रति बस्तरवासियों के साथ पड़ोसी राज्य तेलंगाना और ओडिशा के लोगों की गहरी आस्था है। हिंगलाजिन मां को मां दंतेश्वरी का ही एक रूप माना जाता है।
शहर से 40 किलोमीटर दूर बस्तर ब्लॉक के गिरोला गांव में विराजमान मां हिंगलाजिन बस्तर की कुलदेवी मानी जाती हैं। बस्तर और ओडिशा की सीमा पर स्थित गिरोला गांव में विराजमान मां हिंगलाजिन यहां वर्षों से पूजी जा रही हैं। कालांतर से मां हिंगलाज का इस गांव में विशेष महत्व है। यहीं वजह है कि बस्तर के साथ पूरे छत्तीसगढ़, ओडिशा और तेलंगाना राज्य से बड़ी संख्या में श्रद्धालु मां हिंगलाजिन के दर्शन के लिए गिरोला पहुंचते हैं।
राजा महाराजा के समय से स्थापित देवी मां के मंदिर में पीढ़ी दर पीढ़ी उनका परिवार पूजा करता आ रहा है। हिंगलाजिन माता बस्तर की कुलदेवी और मां दंतेश्वरी का एक रूप है। पुजारी ने बताया कि तीनों राज्यों से पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या साल दर साल बढ़ती ही जा रही है।
ऐसी मान्यता है कि लोग अपनी मनोकामना लेकर माता के मंदिर आते हैं और मनोकामना पूरी होने पर चांदी के छत्र चढ़ाते हैं। इसे माता का सिंहासन छतरी भी कहा जाता है। मंदिर के प्रांगण में अनेक देवी देवताओं की मूर्ति स्थापित है और मां हिंगलाजिन माता के गर्भगुड़ी में चांदी के छोटे बड़े छत्रियों का अंबार लगा हुआ है।
यहां के श्रद्धालुओं का कहना है कि हिंगलाजिन माता के प्रति बस्तरवासियों में गहरी आस्था है। बस्तर के साथ बाकी राज्यों के श्रद्धालु भी अपनी-अपनी मनोकामनाएं लेकर नवरात्र के समय माता के दरबार पहुंचते हैं और यहां माता से प्रार्थना के समय बस्तर का विशेष मोरिया बाजा बजाया जाता है। मान्यता है कि प्रार्थना के वक्त मोरिया बाजा से मां प्रसन्न होती हैं।