छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन में दवा परिवहन का मामला, निविदा शर्तों के विरुद्ध लगाई गाडिय़ां

Update: 2021-05-29 05:01 GMT

भूपेश बघेल के किये धरे पर स्वास्थ्य विभाग फेर रहा पानी

सरकार को बदनाम करने की कोशिश

स्वास्थ्य मंत्री को संज्ञान में लेकर इस पर करवाई करनी चाहिए

शासन को करोडो का चूना लगाया जा रहा है

टेंडर की शर्तो के उललंघन के बावजूद टेंडर मिलना संदेहो को जन्म दे रहा

विभाग द्वारा जानबूझकर अपात्र फर्म को पहुंचाया जा रहा लाभ मिली भगत की आशंका

ज़ाकिर घुरसेना

रायपुर। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन (सीजीएमएससी) द्वारा दवाई आपूर्ति हुए भ्रष्टाचार का बड़ा कारनामा लोग भूले नहीं हैं अब दूसरा कारनामा कर दिया गया । दवा परिवहन हेतु बुलाई गई निविदा के मूल्याकन में गड़बड़ी कर अपात्र फर्म को अनुचित लाभ पहुंचाया जा रहा है है। साथ ही निविदा में दिए शर्तो का भी खुल्लम खुल्ला उललंघन किया गया है। निविदा में पात्र निविदाकार के पास बंद बॉडी वाहन होना चाहिए क्योकि दवाई सप्प्लाई में इस प्रकार के वाहनों की ही जरुरत पड़ती है ताकि दवाइयां पानी से खऱाब न हो, लेकिन दवाइयों की सप्लाई खुले वहां से तिरपाल ढँक कर करवाया जायेगा। इसके पहले सीजीएमएससी द्वारा राज्य के सरकारी अस्पतालों में आपूर्ति की गई पोविडोन आयोडीन एंटीसेप्टिक साल्यूशन (घोल) को जांच में नकली पाया गया था । मामला खुलने के बाद शासन ने आनन-फानन में सभी अस्पतालों से दवा को वापस मंगा लिया था। औषधि विभाग ने जाँच की थी तो दवाई गुणवत्ताहीन पाई गई थी। इस सम्बन्ध में प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने तत्काल करवाई करने कहा था लेकिन दवा परिवहन के मामले में कारवाई नजऱ नहीं आ रही है। इस सम्बन्ध में स्वास्थ्य मंत्री के निजी सचिव से बात हुई उनका कहना था की लिखित में एक शिकायत कीजिए मै भिजवा देता हूँ। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने दवाओं को मरीजों के लिए संजीवनी बताया था । और जांच के बाद निश्चित तौर पर दोषियों पर कार्रवाई करने की बात कहे थे । दोषियों पर करवाई हुई कि नहीं पर अब सीजीएमएससी के क्षेत्रीय औषधि गोदामों से छत्तीसगढ़ में दवा परिवहन के लिए बुलाई गई निविदा में भी गोलमाल का अंदेशा नजऱ आ रहा है।

सीजीएमएससी लिमिटेड के क्षेत्रीय औषधि गोदामों से दवा परिवहन हेतु वाहनों को लगाने/ दर अनुबंध हेतु 5 दिसंबर 2020 को निविदा आमंत्रित की गई थी जिसमें कुल 3 निविदाकारों ने भाग लिया था उक्त निविदा में दिनांक 24 फऱवरी 2021 को दावा आपत्ति चाही गई थी जिसके तहत तीनों निविदाकारों को अपात्र घोषित कर दिया बाद में एक निविदाकार एस के इंटरप्राइजेज को पात्र कर दिया गया। दावा आपत्ती में दूसरे निविदाकरो को मामूली बात पर अपात्र घोषित किया जाकर भारी भ्रस्टाचार किया गया है। जिस एस के इंटरप्राइजेज को इसके लिए पात्र किया गया है उनको पहले इस क्षेत्र में काम करने का अनुभव ही नहीं है इससे जाहिर होता है कि इसके मूल्यांकन में गड़बड़ी कर जमकर भ्रस्टाचार किया गया है।

विश्वसनीय सूत्रों से जानकारी मिली है कि वहीं टेंडर भरने की अंतिम तारीख तक एमडी की राशि जमा की जाती है लेकिन एस के इंटरप्राइजेज द्वारा आज दिनांक तक भी एमडी की राशि जमा नहीं की गई किंतु वित्तीय मूल्यांकन में निविदाकार द्वारा पुरानी निविदा में जमा की गई ईएमडी राशि के रूप में स्वीकार कर लिया गया है जिसके संबंध में प्रबंध संचालक द्वारा किसी भी तरह का अनुमोदन नहीं लिया गया है जो कि निविदा के नियम के विरुद्ध है। साथ ही ऐसी जानकारी भी मिली है कि इस निविदा के अंदर जो वाहन मांगी गई है उसके अंतर्गत टाटा 207/टाटा जेमोन/ पिकअप या समतुल्य गाड़ी व टाइप 2 के अनुसार टाटा 407/ आईसर/स्वराज माजदा अथवा समतुल्य गाड़ी निविदाकार के पास होनी चाहिए लेकिन निविदा में शामिल हुए प्रतिभागी सफल निविदाकार द्वारा जमा किए गए दस्तावेज में प्रदाय वाहन निविदा में चाही गई टाइप 1 एवं टाइप टू के अनुसार नहीं है। और ना ही निविदाकार के पास समस्त टाइप ए एवं टाइप टू के वाहन भी नहीं है।उनके द्वारा जमा किए गए वाहनों के दस्तावेज में केवल 15 वाहन के दस्तावेज निविदा समय के भीतर अपलोड किया गया था जबकि एक वाहन के दस्तावेज समय पर उनके द्वारा अपलोड नहीं किया गया। दिनांक 5 मार्च 2021 को प्राप्त आदेश के अनुसार उनके द्वारा केंद्र शासन के किसी आदेश का हवाला देते हुए बताया गया है कि अप्राप्त दस्तावेज को दिनांक 31 दिसंबर 2020 तक शासन द्वारा वैध कर दिया गया है। निविदा में 16 वाहन के दस्तावेजों की जानकारी मांगी गई थी जिसमें गणपति इंडस्ट्रीज के द्वारा 18 वाहन के दस्तावेज जमा किए गए हैं जबकि उक्त फर्म को दो वाहन के दस्तावेज पूर्ण नहीं है कह कर अपात्र कर दिया गया। जबकि निविदाकार एस के इंटरप्राइजेज के द्वारा पहले तो समस्त टाइप 1 एवं टाइप 2 वाहन के दस्तावेज जमा नहीं किए गए एवं जिन गाडिय़ों के दस्तावेज उनके द्वारा जमा किए गए हैं उनमें से तीन वाहन 3 साल पुराने हैं जो कि निविदा समिति द्वारा नजरअंदाज किया गया है एवं उसी आधार पर अन्य निविदा कार को अपात्र करार दे दिया गया।

गुमास्ता में अलग नाम, फिर भी मान्य?

निविदा में कुल 3 निविदाकारों ने भाग लिया था, जिसमें से एक निविदाकार को गुमास्ता के नाम अलग होने के आधार पर अपात्र किया गया है तो इस दशा में एस के इंटरप्राइजेज का गुमास्ता कैसे मान्य किया गया जबकि उसके द्वारा जमा किए गए दस्तावेज में भी फर्म का नाम नहीं है बल्कि शशि कपूर उपाध्याय का नाम है जोकि दोनों में समान अंतर दर्शाता है इसके बावजूद भी एस के इंटरप्राइजेज को पात्र घोषित कर दिया गया। ऐसा लगता है कि विभाग द्वारा जानबूझकर अपात्र फर्म को अनुचित लाभ पहुंचने के लिए ऐसा किया गया है। । सफल निविदाकार द्वारा टेंडर की शर्तो का खुला उललंघन इसके बावजूद पात्र घोषित किया जाना संदेह के घेरे में है। इन सबको देखते हुए इस बात से इंकार नहीं जा सकता कि निविदा में भारी गड़बड़ी हुई है।

ऐसे मे इन अनियमितताओं को देखते हुए सीजीएमएससी के प्रबंध संचालक को हस्तक्षेप करते हुए निविदा का पुन: मूल्यांकन हेतु एक नवीन समिति गठित करना चाहिए ताकि किसी के साथ भी अन्याय ना हो एवं शासन को भी राजस्व की क्षति ना हो। इस सम्बन्ध में सीजीएमएससी के प्रबंध संचालक से कई बार संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाई।  

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