दिव्यांग रामदेव पिछले 7 वर्षों से इलेक्ट्रिशियन का कार्य कर रहे हैं। वे बताते हैं कि मोटोराइज्ड ट्रायसिकल मिलने से पहले रोज़ाना काम के लिए आनि से बैकुंठपुर तक बैसाखी के सहारे पैदल आना-जाना पड़ता था। उसपर अपने काम से जुड़े ज़रूरी सामान भी कंधों पर ढ़ो कर लाने होते थे। पैदल आने जाने की वजह से दूर जाकर काम करना मुश्किल था और ऑटो से जाने में आधी कमाई निकल जाती।
जिला प्रशासन का आभार व्यक्त करते हुए रामदेव कहते हैं कि अब ट्राइसिकल मिलने से आवागमन में सुविधा मिली है। वे बताते हैं कि वर्तमान में उन्हें आनी में ही एक विद्यालय में जलजीवन मिशन के अंतर्गत काम मिला है। वे सभी प्रकार के इलेक्ट्रिक कार्य करते है। ट्राइसिकल में ही एक बॉक्स जुड़ा है, जिसमें वे जरूर उपकरण रखते हैं। जिससे कंधों को भी राहत मिली है।
'बीते 3 महीनों में 150 से ज्यादा दिव्यांग हितग्राहियों को मिले सहायक उपकरण'
नवंबर 2021 से जनवरी 2022 तक तीन महीनों में ही जिला प्रशासन की ओर से 158 दिव्यांग हितग्राहियों को सहायक उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं। इन सहायक उपकरणों में मोटराइज्ड ट्राइसिकल, श्रवण यंत्र, ब्लाइंड स्टिक, ट्राइसिकल, बैसाखी, व्हीलचेयर आदि शामिल हैं।