छत्तीसगढ़: आरक्षक की याचिका पर हाई कोर्ट ने DGP को भेजा नोटिस, जानें पूरा मामला
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बिलासपुर जिले के सकरी स्थित बटालियन का जवान 10 साल से एमटी शाखा में अटैच है। इस बीच संविलियन के लिए उन्होंने कई बार आवेदन पत्र दिया। कोई सुनवाई नहीं होने पर आरक्षक ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। इस मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने पुलिस महानिदेशक सहित अन्य पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। सकरी बटालियन में आरक्षक के पद पर कार्यरत सुरेंद्र कुमार सरेलिया ने अधिवक्ता सोमकांत वर्मा, मनोज चौहान व मनोहर देवांगन के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें बताया गया है कि याचिकाकर्ता आरक्षक वर्ष 2009 से एमटी वर्कशाप में संलग्न हैं। इस बीच 2019 तक एमटी वर्कशाप में सेवाएं देते रहे। 10 साल की लंबी अवधि तक अटैचमेट रखने पर उन्होंने अपनी सेवाएं मूल स्थान बटालियन में वापस करने की मांग की।
इस संबंध में उन्होंने पुलिस महानिदेशक के समक्ष आवेदन पत्र पेश किया और बताया कि मेरी सेवा इसी विभाग में संविलियन कर किया जाए। इसके बाद भी उनके आवेदन पत्र पर कोई सुनवाई नहीं हुई। इससे परेशान होकर उन्होंने हाई कोर्ट की शरण ली। कोर्ट ने डीजीपी को याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन के निराकरण करने का आदेश दिया। लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद उनके अभ्यावेदन को नवंबर 2018 में निरस्त कर दिया गया। इस पर याचिकाकर्ता आरक्षक ने दोबारा हाई कोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में कहा गया कि बटालियन के अन्य आरक्षकों में यासीन खान, धनंजय पांडेय, मोहन मालवीय का का 2009 व 2010 में संविलियन किया गया है, जिस तरह उनका संविलियन किया गया है। उसी तरह याचिकाकर्ता का भी संविलियन किया जाए।
याचिकाकर्ता ने बताया कि अटैचमेंट के चलते पदोन्न्ति नहीं मिल पा रही है। इस मामले की सुनवाई जस्टिस पी सैम कोशी की एकलपीठ में हुई। कोर्ट ने प्रारंभिक सुनवाई करते हुए इस मामले में डीजीपी, एसएएफ के एडीजी, एमटी वर्कशाप के एसपी सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।