Chhattisgarh High Court: हाईकोर्ट का निर्देश, शिकायत मिलते ही तुरंत कराएं रेप पीड़िता की मेडिकल जांच

Update: 2024-05-31 03:42 GMT

बिलासपुर bilaspur chhattisgarh news। छत्तीसगढ़ के राज्यपाल (chhattisgarh governor) ने दुष्कर्म पीड़िता (rape) को न्याय दिलाने के संबंध में नियमों में जरूरी संशोधन किया है। राज्यपाल के अनुमोदन के बाद छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट (Chattisgarh High Court) ने इसे तत्काल प्रभाव से लागू करते हुए अधिसूचना जारी कर दी है। जारी अधिसूचना में कहा गया है कि दुष्कर्म पीड़िता का बयान दर्ज होने के बाद एफआइआर और आरोप पत्र दाखिल होने तक पूरे मामले को गोपनीय रखा जाएगा।

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट द्वारा जारी अधिसूचना में यह स्पष्ट कहा है कि सीआरपीसी की धारा 164 ए 2005 के अधिनियम 25 के तहत जांच अधिकारी की यह जिम्मेदारी तय कर दी है। लिहाजा जांच अधिकारी को पीड़िता की तुरंत चिकित्सीय जांच करानी होगी व मेडिकल जांच के संबंध में संपूर्ण दस्तावेज मजिस्ट्रेट (Magistrate) के सामने पेश करना होगा।

अधिनियम में यह भी स्पष्ट किया गया है कि आरोप पत्र दाखिल होने के बाद अदालत द्वारा उचित आदेश पारित किए जाने तक किसी भी व्यक्ति को दुष्कर्म पीड़िता के सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज किए गए बयान की प्रति नहीं दी जाएगी। पीड़िता को मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान के लिए उपलब्ध कराने में 24 घंटे से अधिक की देरी होती है, तो जांच अधिकारी को स्पष्टीकरण देना होगा। भारत के संविधान के अनुच्छेद 227 और दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) 1973 की धारा 477 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्यपाल के अनुमोदन के बाद छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने जरूरी आदेश जारी किया है। 

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