इस संबंध में प्रमुख सचिव वन एवं जलवायु परिवर्तन श्री मनोज पिंगुआ ने बताया कि वर्तमान में कोदो, कुटकी एवं रागी का संग्रहण प्राथमिक वनोपज समिति द्वारा प्रारंभ किया गया है। छत्तीसगढ़ राज्य में कवर्धा, राजनांदगांव एवं बालोद जैसे जिलों में बहुतायत में कोदो, कुटकी एवं रागी का उत्पादन होता है, परन्तु उक्त क्षेत्र में आदिवासी विकासखंड उपलब्ध न होने के कारण कृषकों, मुख्य रूप से आदिवासी बैगा परिवार के है, कोदो, कुटकी एवं रागी क्रय करने में कठिनाई हो रही है। अतएव राज्य सरकार के इस महत्वपूर्ण निर्णय से अब छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ के प्राथमिक वनोपज सहकारी समिति क्षेत्र में आने वाले समस्त ग्रामों में कोदो, कुटकी एवं रागी क्रय करने से प्रदेश के किसानों को शासन द्वारा निर्धारित उक्त समर्थन मूल्य का लाभ प्राप्त हो सकेगा।
राज्य के कुछ क्षेत्र जहां कोदो, कुटकी एवं रागी का उत्पादन होता है, परन्तु प्राथमिक लघु वनोपज समिति अथवा जिला यूनियन के कार्यक्षेत्र से बाहर स्थित है, ऐसे ग्रामों क्षेत्रों को चिन्हांकित कर समीपस्थ प्राथमिक लघु वनोपज समिति एवं जिला यूनियन के कार्यक्षेत्र में शामिल किए जाने पर ऐसे क्षेत्रों में कोदो, कुटकी एवं रागी संग्रहण करने वाले संग्राहकों को लाभ पहुंचेगा। प्रमुख सचिव वन श्री पिंगुआ ने बताया कि इसके लिए छत्तीसगढ़ सहकारी सोसायटी अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत प्राथमिक लघु वनोपज समिति एवं जिला यूनियन के उपनियमों में संशोधन कर विस्तार किया जाएगा। इसी तरह कोदो, कुटकी एवं रागी का उत्पादन होता है, परन्तु किसी प्राथमिक लघु वनोपज समिति अथवा जिला यूनियन के कार्यक्षेत्र के अंतर्गत नही है। इस हेतु समीपस्थ प्राथमिक लघु वनोपज समिति एवं जिला यूनियन के कार्यक्षेत्र में शामिल किए जाने के लिए उप नियमों में संशोधन का विस्तार किया गया है।