छत्तीसगढ़: न्यूज-पोर्टल चलाने तय हो पात्रता...वसूली और ब्लैकमेलिंग का बना माध्यम

Update: 2020-12-02 05:45 GMT

अतुल्य चौबे

रायपुर। इंटरनेट और डिजिटल के जमाने में न्यूज वेबपोर्टल सोशल मीडिया की ही तरह तेजी से प्रचलन में आ रहा है। लोग टीवी पर न्यूज चैनल देखने और अखबार पढऩे की जगह न्यूज पोर्टल और वेबसाइट के माध्यम से मोबाइल पर खबरों का अपडेट लेना पसंद कर रहे हैं। लेकिन इसका बुरा पहलू भी सामने आ रहा है कि कोई भी 10-12 हजार में वेबसाइट बनवा कर न्यूज पोर्टल संचालित करने लगा है। न्यूज पोर्टल चलाने के लिए कोई मापदंड और पात्रता नहीें होने के कारण न्यूज पोर्टलों की बाढ़ आ गई है। पत्रकार तो पत्रकार, कारोबारी, बिल्डर के साथ अपराधी और छुटभैय्ये नेता भी न्यूज पोर्टल की आड़ में अपना उल्लू सीधा करने लगे हैं। न्यूज पोर्टल ब्लेकमेलिंग, वसूली यहां तक की लोगों की निजता और व्यक्तिगत जिंदगी में दखलदांजी का प्लेटफार्म बनते जा रहा है। सोशल मीडिया पर किसी के खिलाफ अपमान जनक पोस्ट करने पर संबंधित प्लेटफार्म के साथ पुलिस का साइबर सेल भी शिकायत दर्ज कर कार्रवाई करता हैं लेकिन न्यूज वेबपोर्टल पर ऐसे कंटेट और पोस्ट पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं होती, शिकायत तक दर्ज नहीं की जाती है, इससे न्यूज पोर्टल संचालित करने वाले बेखौफ होकर किसी को भी अपमानित और बदनाम कर ब्लेकमेल करते हैं।

पत्रकारिता हो रही कलंकित

मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है। व्यवस्थागत कमियों को दूर करने की पहल के साथ समाज और लोकहित में शोषितों-वंचितों और पीडि़तों के लिए आवाज उठाना पत्रकारिता का धर्म है, लेकिन आज पत्रकारिता का स्वरूप बदल गया है। मीडिया भी पूरी तरह से व्यवसायिक हो गई है। लोग इसका इस्तेमाल व्यक्तिगत फायदे के लिए करने लगे हैं। पत्रकार भी अब पत्रकार नहीं रहा। स्वतंत्र पत्रकारिता करने वाले जहां अखबार, न्यूज पोर्टल की आड़ में आर्थिक लाभ के रास्ते तलाशते रहते हैं वहीं बड़े-बड़े बैनर्स, अखबार और न्यूज चैनल से संबद्ध पत्रकारों को संस्थानों ने पत्रकार की जगह समाचार संकलक और लाइजनर बना दिया है। जिन्हें ये विशेषज्ञता हासिल नहीं है उनकी पत्रकारिता ही संकट में है। अब न्यूज पोर्टलों को माध्यम बनाकर कोई भी आदमी पत्रकारिता के आड़ में व्यवसाय के साथ ब्लेमेलिंग और धौंस दिखाकर वसूली जैसा कृत्य कर रहे हैं।

अपराधी भी न्यूजपोर्टल का संचालक

न्यूज पोर्टल के लिए किसी तरह की पात्रता या अनिवार्यता से संबंधित मापदंड नहीं होने से अखबार की तरह ही कोई भी व्यक्ति एक वेबसाइट बनाकर न्यूज पोर्टल संचालित कर लेता है। अखबारों-चैनलों से जुड़े पत्रकारों के साथ स्वतंत्र पत्राकारिता करने वाले इसे अपना माध्यम तो बना ही रहे हैं। बड़े उद्योगपति, बिल्डर, कारोबारियों के अलावा छुटभैय्ये नेता और अपराध से जुड़े लोग भी न्यूजपोर्टल चला रहे हैं। जेल में बंद अपराधी भी अपने परिजनों-गुर्गो के सहयोग से न्यूज पोर्टल चला रहे हैं। न्यूज पोर्टलों की बाढ़ से आम पत्रकारों की प्रतिष्ठा भी धूमिल हो रही है। न्यूज पोर्टल चलाने वाले तथाकथित पत्रकार वास्तविक पत्रकारों को भी नहीं बख्शते और पांच-दस हजार में पत्रकार तैयार करने की बात कहकर मजाक भी उड़ाते हैं। ऐसे न्यूज पोर्टलों को सरकार और उसके संबंधित विभाग भी उपकृत कर रहा है जिससे ऐसे पचासों न्यूज पोर्टल रोज पैदा हो रहे हैं।

सरकार की घोषणा से बढ़ा आकर्षण

छत्तीसगढ़ में न्यूजपोर्टल की बाढ़ के पीछे पत्रकार अधिमान्यता और विज्ञापन हासिल करना मुख्य वजह है। न्यूजपोर्टल की आड़ में संचालकों को धमकी-चमकी और चाटूकारिता के रास्ते कमाई का रास्ता तो मिलता ही है। सरकार की घोषणा से भी न्यूज पोर्टल संचालित करने लोगों में दिलचस्पी बढ़ी है। सरकार ने अखबार के न्यूजपोर्टल संचालित करने वालों को भी अधिमान्यता देने की घोषणा की है। वहीं विज्ञापन के लिए न्यूजपोर्टल को इंपैनलमेंट भी किया जा रहा है। इससे इनको सरकारी विज्ञापन मिलना निश्चित हो जाएगा। इसी लालच में पत्रकारिता करने वालों के साथ अन्य लोग भी न्यूजपोर्टल शुरू कर रहे हैं।

दो रुपए में खबर अपलोड करवा रहे

न्यूज पोर्टल चलाने वाले के लिए संचालकों न आफिस-कंप्यूटर की जरूरत पड़ रही है और न कर्मचारियों की। मोबाइल पर ही न्यूज पोर्टल चलाया जा रहा है। खबर अपलोड करने के लिए बाकायदा लोग हायर किए जा रहे हैं जो घरों से ही मोबाइल से न्यूज पोर्टल में खबर अपलोड करते हैं इसके लिए प्रति खबर दो से तीन रुपए दिए जा रहे हैं। जिस तरह कई कंपनियों पार्टटाइम जाब के लिए एसएमएस आदि के लिए जाब उपलब्ध कराते हैं उसी तर्ज पर न्यूजपोर्टल वाले भी अपने पोर्टल में न्यूज अपलोड कराने यही रास्ता अपना रहे हैं।

वर्तमान वेबपोर्टल की कमेटी में एक भी पत्रकार आईटी एक्सपर्ट नहीं है सिवाय एकमात्र सरकारी कर्मचारी के

गूगल एनालेस्टिक पर कार्य किस प्रकार और कितना होता है, इसकी जानकारी किसी सदस्य को भी नहीं

किसी सदस्य के पास सात से दस साल का आईटी एक्सपर्ट या वेबसाइट के संचालक होने का कोई प्रमाण पत्र नहीं

किसी से भी जैसे किसी राजनीतिक पार्टी या कार्पोरेट आफिस से बदला लेने के लिए सुगम और सस्ता तरीका न्यूज वेबसाइट बनाओ और पैसा वसूलो

सोशल साइट के सभी प्लेटफार्म पर फेक न्यूज, फेक आईडी के लिए दंड का प्रवधान है और अपराध दर्ज होता है, लेकिन न्यूज वेबसाइट के लिए राज्य में कोई कड़ा कानून नहीं है

भारत सरकार के नए और प्रचलित कानून को अमलीजामा पहनाने के लिए डीएवीपी को निर्देश दिया, इसके बाद डीएवीपी ने वेबपोर्टल वेबसाइट के लिए कड़े कानून कड़ाई से लागू करने का निर्णय लिया

चुनावों के दौर में फर्जी वेबसाइट किसी भी राजनीतिक पार्टी के बारे में दुष्प्रचार कर पेड खबरों के माध्यम से कमाई का रास्ता अपनाते हैं जिसका परिणाम लोकतंत्र के लिए घातक होगा।

अधिकांश न्यूज वेबसाइट चलते-फिरते मोबाइल से ही एक-दो त्रक्च के डाटा में ही संचालित की जाती है

न्यूज पोर्टल के नाम पर लोग वसूली व ब्लैकमेलिंग जैसे गतिविधियों को दे रहे अंजाम

गैर पत्रकार और अपराधिक गतिविधियों में लिप्त तत्व भी न्यूज पोर्टल शुरू कर बेजा फायदा उठा रहे

बदले अथवा वसूली के लिए लोगों को बना रहे निशाना, निजता पर कर रहे हमला

न्यूज पोर्टल के संचालकों द्वारा प्रताडि़त व्यक्ति को नहीं मिलती कानूनी मदद

फर्जी न्यूजपोर्टल और फर्जी पत्रकारों को सरकारी नीतियों से मिल रहा लाभ

फर्जी न्यूज पोर्टल और फर्जी पत्रकारों पर कार्रवाई के लिए हो प्रावधान

सोशल मीडिया की तरह अप्रमाणिक और अपमान जनक खबरों के लिए सख्त कार्रवाई का प्रावधान जरूरी

अधिमान्यता और विज्ञापन देने के लिए पूर्ण कालिक और विशुद्ध पत्रकारों को मिले प्राथमिकता

अधिमान्यता और विज्ञापन के वर्तमान प्रावधान से लालच में चुनाव आते तक राज्य में एक लाख से ज्यादा न्यूज वेबसाइट-न्यूज पोर्टल अस्तित्व में आ जाएंगे

Tags:    

Similar News

-->