छत्तीसगढ़: जिला प्रशासन ने रूकवाई बाल विवाह

Update: 2021-05-15 16:55 GMT

कवर्धा। प्रदेश में मुख्यतः अक्षय तृतीया एवं रामनवमी के अवसर पर विवाह किये जाने के प्रचलन है जिसमें बाल विवाह होने की भी संभावनाएं होती है। बाल विवाह पर पूर्णतः रोक लागने हेतु सचिव, छत्तीसगढ़ शासन महिला एवं बाल विकास विभाग ने जिला प्रशासन को पत्र लिखकर सुझावात्मक बिन्दु दिये गये थे। जिला कलेक्टर रमेश कुमार शर्मा के निर्देशन में कोविड-19 गाइडलाईन की कड़ाई से पालन कराने तथा बाल विवाह पर रोक लगाने राजस्व विभाग, पंचायत विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग एवं पुलिस विभाग के दल द्वारा जिले सभी पंचायतो एवं नगरीय क्षेत्रों का सघन भ्रमण कर जानकारी ली गई।

सघन जांच के दौरान ग्राम इंदौरी में एक नबालिक बालक की बेमेतरा निवासी एक बालिका के साथ शादी करने के लिए बारात निकलने तैयारी की सूचना मिली जिस पर हेमन्त पैकरा नायाब तहसीलदार, मुलचंद पाटले थाना प्रभारी पिपारिया और महिला एवं बाल विकास विभाग बाल संरक्षण टीम ने विवाह स्थल जाकर बालक के उम्र संबंधित दस्तावेजों का सूक्ष्म परीक्षण किये जिसमें बालक का उम्र 21 वर्ष कम पाया गया। जिस पर टीम ने तत्काल विवाह स्थिगित कराते हुए बारात निकलने से पहले ही रोक लिया गया इसी दौरान एक और बारात जिला बेमेतरा के लिए निकल जाने की जानकारी प्राप्त हुई जिसमें बालक दस्तावेज अनुसार बालिक था किन्तु टीम को संदेह हुआ की बालिका की उम्र कम हो जिस पर नायाब तहसीलदार के निर्देश पर जिला बेेमेतरा की बाल संरक्षण टीम को विवाह स्थल भेजकर बलिका की उम्र सत्यापन कराया गया जिस में बालिका 18 वर्ष से कम निकली और बाल विवाह रोका गया।

इसी तरह ग्राम घुघरी में दो नबालिक भाईयों की शादी किये जाने की सूचना मिली जिस पर मनीष वर्मा तहसीलदार, पुलिस और महिला एवं बाल विकास विभाग बाल संरक्षण टीम ने विवाह स्थल जाकर दोनों बालक के उम्र संबंधित दस्तावेजों का सूक्ष्म परीक्षण किये जिसमें दोनों बालक का उम्र 21 वर्ष कम पाया गया। जिस पर टीम ने तत्काल विवाह स्थिगित कराया तथा कोंविड-19 के दौरान विवाह आयोजन की अनुमति नहीं लेने के कारण पांच हजार रूपये का जुर्माना भी लयागा गया।

मनीष वर्मा तहसीलदार ने मौके पर उपस्थित लोगों को बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि 21 वर्ष कम उम्र के लड़के और 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की के विवाह को प्रतिबंधित किया गया है बाल विवाह जैसे सामाजिक बुराई को समाज से समूल समाप्त करने बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के अंतर्गत बाल विवाह करने या कराने वाले बर एवं बधु के माता-पिता सगे संबंधी, बराती यहां तक पुरोहित पर भी कानूनी कार्यवाही की जा सकती है इसमें कड़ी सजा का भी प्रवाधान जो 2 वर्ष का कठोर कारावास अथवा जुर्माना हो 1 लाख रूपये तक हो सकता है अथवा दोनो से दण्डित किया जा सकता है।

हेमन्त पैकरा नायाब तहसीलदार ने नाबालिक के परिवार एवं मौके पर उपस्थित लोगों को बताया की बाल विवाह केवल एक समाजिक बुराई ही नही अपितु कानूनन अपराध भी है। बाल विवाह के कारण बच्चों में कुपोषण, शारीरिक दुर्बलता, शिक्षा का अभाव, मानसिक विकास में रूकावट, हिंसा व दुव्र्यवाहर, समयपूर्व गभवस्था, मातृ एवं शिशु मृत्यु दर के साथ घरेलू हिंसा में भी वृद्धि होती है, इसलिए इससे बचे।

अक्षय तृतीया को दिखते हुए जिला प्रशासन ने कोविड-19 गाईडलाइन का काड़ई से पालन कराने तथा बाल विवाह कुरिति को समाज से समूल समाप्त करने जनप्रतिनिधियों, स्वयं सेवी संगठनों एवं आमजनों से अपिल किये है, जिससे सभी ने प्रशासन का अच्छा सहयोग किया साथ ही टीम ने भ्रमण के दौरान लोगो से यह अपील भी किया कि कोविड-19 से प्रभावित परिवारों के एसे बच्चे जिनके माता-पिता की मृत्यु हो गई हो या कोविड-19 संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती हो और बच्चों की देखरेख करने वाला कोई नहीं हो एसे बच्चों को महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा आश्रय देने का प्रावधान है ऐसे बच्चों की जानकारी होने पर विभाग को सूचित करें जिससे देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले ऐसे बच्चों को तत्काल सहायता मिल सके।

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